संयुक्त राष्ट्र (UN) में भारत के स्थायी मिशन ने साफ किया है कि देश के नए आईटी नियम (new it rules) 'सोशल मीडिया पर सामान्य यूजर्स को सशक्त बनाने' के लिए बनाए गए हैं. मिशन ने कहा कि आईटी नियम 2018 में सिविल सोसाइटी और बाकी स्टेकहोल्डर से बातचीत के बाद तय किए गए थे. UN के तीन खास दूतों ने कहा था कि नए नियम अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार नियमों के अनुरूप नहीं हैं.
मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (MeitY) ने 20 जून को अपने बयान में कहा, "भारत का स्थायी मिशन ये जानकारी देना चाहेगा कि MeitY ने 2018 में सिविल सोसाइटी, इंडस्ट्री एसोसिएशन समेत कई स्टेकहोल्डर से सलाह-मशविरा किया था और ड्राफ्ट नियम बनाने के लिए पब्लिक कमेंट्स को भी न्योता दिया था."
मानवाधिकार परिषद की स्पेशल प्रोसीजर ब्रांच के तीन खास दूतों ने 11 जून को भारत सरकार को एक कम्युनिकेशन भेज कर नए आईटी नियमों पर चिंता जताई थी.
सरकार ने बताई नियम बनाने की वजह
MeitY ने कहा, "नए आईटी नियम को सोशल मीडिया पर सामान्य यूजर्स को सशक्त करने के लिए बनाया गया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर एब्यूज का सामना करने वालों के लिए उनकी शिकायत का निपटारा करने का कोई फोरम होना चाहिए."
सरकार ने कहा कि नए नियम सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर बढ़ती एब्यूज की घटनाओं, आतंकियों के रिक्रूटमेंट, आपत्तिजनक कंटेंट, द्वेष, वित्तीय फ्रॉड, हिंसा फैलने से रोकने के लिए जरूरी थे.
'निजता के अधिकार का सम्मान, सीमित जानकारी मांगता है नियम'
भारत ने अपने बयान में कहा है कि वो निजता के अधिकार का सम्मान करता है. बयान में कहा गया, "निजता किसी भी व्यक्ति के अस्तित्व का एक मूल तत्व है. नए आईटी नियम वही जानकारी मांगते हैं जो पहले से सर्कुलेशन में है और उसकी वजह से अपराध हुआ है."
“पहला मेसेज भेजने वाले को ट्रेस करने के मामले में आईटी नियम सीमित जानकारी मांगता है. जब पब्लिक सर्कुलेशन में मौजूद कोई मेसेज हिंसा के लिए जिम्मेदार होता है, भारत की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाता है, किसी महिला का अपमान होता है, बच्चे का सेक्सुअल एब्यूज होता है, तभी सोशल मीडिया इंटेमिडियरी को पहला मेसेज भेजने वाले की जानकारी देनी होगी.”मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (MeitY)
सरकार ने कहा, "ये चिंता गलत और बेमतलब है कि नियमों का जानबूझकर गलत इस्तेमाल किया जाएगा."
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