नये संसद भवन (New Parliament House) का उद्घाटन 28 मई को होना है. इससे पहले उद्घाटन कार्यक्रम को लेकर सियासी रार मची हुई है. विपक्ष राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से नए संसद भवन का उद्घाटन नहीं कराने को लेकर कार्यक्रम के बहिष्कार का ऐलान कर चुका है. लेकिन अब उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल होने वाले दलों की संख्या बढ़ती जा रही है.
कौन-कौन दल शामिल हो रहे?
केंद्र की सत्तारूढ़ दल बीजेपी के अलावा, शिव सेना (एकनाथ शिंदे), AIADMK, BSP, BJD, शिरोमणि अकाली दल, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी, LJP (रामविलास), LJP, JDS,TDP, NPP, NDPP, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, JNP, MKMK, AJSU, RPI, मिजो नेशनल फ्रंट, तमिस मानिला कांग्रेस, बोडो पीपल्स पार्टी, अपना दल (सोनेलाल), पत्तली मक्कल कच्ची, महाराष्ट्रवादी गोमनतक पार्टी और असम गणपरिषद समेत कुल 25 दलों ने कार्यक्रम में शामिल होने की हामी भर दी है.
BRS को लेकर सस्पेंस बरकरार
हालांकि, केसीआर की पार्टी बीआरएस ने अपना रूख साफ नहीं किया है जबकि मायावती ने नये संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है लेकिन वो कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगी.
किन दलों ने कार्यक्रम का किया 'बॉयकॉट'?
वहीं, कांग्रेस, DMK, AAP, शिवसेना (UBT), SP, CPI, JMM, केरल कांग्रेस (मणि), विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची, RLD, TMC, JDU, NCP, CPI (M), RJD, AIMIM, AIUDF, IUML, NC, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और मरुमलार्ची द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (MDMK) समेत कुल 21 दलों ने उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार करने का ऐलान किया है.
क्यों हो रहा विवाद?
दरअसल, 18 मई को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नए संसद भवन का उद्घाटन करने के लिए निमंत्रण दिया. इस पर विपक्षी दलों ने विरोध कर दिया. उनका कहना है कि यह संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से उद्घाटन न कराना, उनके पद का अपमान है.
किसने क्या कहा?
इस मामले पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा, "राष्ट्रपति से संसद का उद्घाटन न करवाना और न ही उन्हें समारोह में बुलाना-यह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है. संसद अहंकार की ईंटों से नहीं, संवैधानिक मूल्यों से बनती है."
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि स्पीकर संसद के संरक्षक होते हैं और उन्होंने PM को आमंत्रित किया है. नई संसद के उद्घाटन समारोह का साक्षी बनने के लिए सरकार ने सभी राजनीतिक पार्टियों को आमंत्रित किया है. लोग अपनी-अपनी सोचने की क्षमता के हिसाब से रीएक्ट करते हैं. हमें इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करनी चाहिए.
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, "भाजपाइयों द्वारा संसद के दिखावटी उद्धाटन से नहीं, बल्कि वहां पर लिखे ‘श्लोकों’ की मूल भावना को समझकर, सभी को सुनने व समझने का बराबर अवसर देना ही सच्ची संसदीय परंपरा है. जहां सत्ता का अभिमान हो परंतु विपक्ष का मान नहीं, वो सच्ची संसद हो ही नहीं सकती, उसके उद्धाटन में क्या जाना."
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को नए संसद भवन के शिलान्यास के मौके पर आमंत्रित नहीं किया गया, ना ही अब राष्ट्रपति मुर्मू को उद्घाटन के मौके पर आमंत्रित किया गया है. केवल राष्ट्रपति ही सरकार, विपक्ष और नागरिकों का प्रतिनिधित्व करती हैं. वो भारत की प्रथम नागरिक हैं. नए संसद भवन का उनके (राष्ट्रपति) द्वारा उद्घाटन सरकार के लोकतांत्रिक मूल्य और संवैधानिक मर्यादा को प्रदर्शित करेगा."
TMC सांसद डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा, "संसद सिर्फ एक नई इमारत नहीं है. यह पुरानी परंपराओं, मूल्यों, मिसालों और नियमों के साथ एक प्रतिष्ठान है. यह भारतीय लोकतंत्र की नींव है. प्रधानमंत्री मोदी शायद यह नहीं समझते. उनके लिए रविवार को नई इमारत का उद्घाटन 'मैं, मेरा और मेरे लिए' से ज्यादा कुछ नहीं है, इसलिए हमें इससे बाहर ही समझें."
SAD सांसद दलजीत सिंह चीमा ने कहा, "नए संसद भवन का उद्घाटन देश के लिए गर्व की बात है, इसलिए हमने फैसला किया है कि शिअद पार्टी उद्घाटन समारोह में शामिल होगी. हम विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए मुद्दों से सहमत नहीं हैं."
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रपति द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन कराने के निर्देश देने की मांग वाली PIL पर विचार करने से इनकार कर दिया.
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