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New Parliament: खूबसूरती बढ़ा रही UP की कालीन,9 महीने-10 लाख मानव-घंटे की मेहनत

New Parliament Inauguration: UP के भदोही और मिर्जापुर के 900 बुनकरों ने New Parliament के लिए तैयार किए कालीन.

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भारत
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New Parliament Inauguration: यूपी (UP) के करीब 900 कारीगरों द्वारा ‘10 लाख घंटे तक’ हाथों से बुनाई करके बनी कालीनें नए संसद भवन (New Parliament) में शोभा बढ़ा रही हैं. पीएम नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने रविवार, 28 मई, 2023 को नए संसद भवन का उद्घाटन (New Parliament Inauguration) किया. लोकसभा और राज्यसभा के कालीनों में क्रमशः राष्ट्रीय पक्षी मोर और राष्ट्रीय पुष्प कमल के उत्कृष्ट रूपों को दर्शाया गया है.

नए संसद भवन के लिए ओबीटी कार्पेट कपंनी ने तैयार की कालीन

इस कालीन को तैयार करने वाली 100 साल से अधिक पुरानी भारतीय कंपनी ‘ओबीटी कार्पेट’ ने जानकारी दी है कि

बुनकरों ने लोकसभा और राज्यसभा के लिए 150-150 से अधिक कालीन तैयार किए है. फिर दोनों सदनों की वास्तुकला के अनुरूप अर्ध-वृत्त के आकार में उनकी सिलाई की गई. बुनकरों को 17,500 वर्ग फुट में फैले सदन कक्षों के लिए कालीन तैयार करने थे. डिजाइन टीम के लिए ये बेहद चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि उन्हें कालीन को अलग-अलग टुकड़ों में सावधानी से तैयार करना था.
रुद्र चटर्जी, अध्यक्ष, ओबीटी कार्पेट

लाल और हरे रंग का इस्तेमाल कर बनाया गया कालीन

ओबीटी कार्पेट’ के अध्यक्ष रुद्र चटर्जी ने कहा, 'उन्हें यह सुनिश्चित करते हुए एक साथ जोड़ना था कि बुनकरों की रचनात्मक महारत कालीन को जोड़ने के बाद भी कायम रहे और यह कालीन अधिक लोगों की आवाजाही के बावजूद खराब न हो.'

राज्यसभा में उपयोग किए गए कालीन का लाल रंग मुख्य रूप से कोकम से प्रेरित हैं. जबकि लोकसभा में हरे रंग का इस्तेमाल किया गया है, जो भारतीय मोर के पंखों से प्रेरित है.

लगभग सात महीने में पूरा हुआ कालीन बुनाई का काम

कारीगरी के समक्ष पेश पेचीदगियों का जिक्र करते हुए रुद्र चटर्जी ने कहा कि, कालीन बनाने के लिए प्रति वर्ग इंच पर 120 गांठों को बुना गया. यानी कुल 60 करोड़ से अधिक गांठें बुनी गईं है.

उत्तर प्रदेश के भदोही और मिर्जापुर जिलों के रहने वाले बुनकरों ने नए संसद भवन के ऊपरी और निचले सदनों के कालीन को तैयार करने के लिए 10 लाख मानव-घंटे तक मेहनत की. हमने महामारी के बीच 2020 में ये काम शुरू किया था. सितंबर 2021 तक शुरू हुई बुनाई की प्रक्रिया मई 2022 तक समाप्त हो गई थी और नवंबर 2022 में इसे बिछाए जाने का काम शुरू हुआ."
रुद्र चटर्जी, अध्यक्ष, ओबीटी कार्पेट

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