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दिल्ली: वायु प्रदूषण में फिर नंबर-1, निकली सरकारी दावों की हवा

इस रिपोर्ट ने सरकार के उन कदमों पर सवालिया निशान लगा दिया है जो प्रदूषण कम करने के लिए उठाए जा रहे हैं.

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भारत
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स्वच्छ दिल्ली ऐप, ऑड-ईवन और फिर डीजल गाड़ियों पर कोर्ट का डंडा. दिल्ली की हवा को प्रदूषित होने से कोई फॉर्मूला रोक नहीं पाया है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट चौंकाने वाली है, दिल्ली को जल्द से जल्द छोड़ने लायक बताने वाली है. देश की राजधानी की बदहाली बताती इस रिपोर्ट को सिलसिलेवार तरीके से पढ़िए.

प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने अपनी रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में देश की राजधानी दिल्ली का नाम प्रदूषित शहरों की सूची में पहले नंबर पर है. इस बार की रिपोर्ट कहती है कि प्रदूषित शहरों की टाॅप फाइव लिस्ट में भारत के 3 शहर शामिल हैं. जिनमें दिल्ली सबसे ज्यादा प्रदूषित है. इसके बाद काहिरा, ढाका, कोलकाता और मुंबई का नंबर आता है.

दिल्ली की आबोहवा में प्रदूषण हमेशा से ही एक बड़ी समस्या रहा है. 2015 में सबसे ज्यादा पाॅल्यूटेड सिटी में भी दिल्ली शामिल थी. इस बार की रिपोर्ट भी यही कहती है कि दिल्ली की हवा दुनिया के तमाम मेगासिटीज में सबसे खराब है.

आंकड़ों पर गौर फरमाइए

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली की हवा में PM10 की मात्रा 225 माइक्रोग्राम प्रति मिलीमीटर तक पहुंच गई है. अगर PM10 की मात्रा हवा में जरूरत से ज्यादा बढ़ती है तो इंसान को फेफड़े के कैंसर, दिल का दौरा, स्ट्रोक और सांस की गंभीर बीमारी हो सकती है. सांस की बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए ये काफी नुकसानदायक है.

दिल्ली के 1.68 करोड़ लोगों में से 97.5% लोग शहरी क्षेत्रों में रहते हैं. शहर में प्रति वर्ग किलोमीटर लगभग 11,297 लोगों की जनसंख्या रहती है. 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार यह देश के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में आता है.
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जहरीली होती जा रही है दिल्ली..

दिल्ली एकमात्र ऐसी मेगासिटी है जहां हवा में PM10 का स्तर 200 माइक्रोग्राम/घन मीटर तक रिकॉर्ड किया गया है जो की गुणवत्ता के मानक 20 माइक्रोग्राम/घन मीटर से लगभग 900% अधिक है.

दिसंबर 2015 में, दिल्ली एयर पाॅल्यूशन के मामले में बीजिंग से एक से डेढ़ गुना तक बदतर थी.

इसबार भी दिल्ली ने बीजिंग और शंघाई को भी पीछे छोड़ दिया है. भारत के दूसरे शहर कोलकाता और मुंबई की हवाओं में भी PM10 का स्तर चीन के बड़े शहरों से अधिक है.

अभी हाल ही 22 सितंबर से 27 सितंबर के बीच राजधानी की हवा में फाइन पार्टिकुलेट मैटर 4 गुना ज्यादा दर्ज की गई.

डब्ल्यूएचओ के स्वास्थ्य के मानकों के आधार पर बात करें तो यह औसत से लगभग 11 गुना ज्यादा है. हालांकि, यह प्रदूषण बरसात में कम हो जाता है, लेकिन जैसे-जैसे ठंड बढ़ती है प्रदूषण में भी बढोतरी होती है.

भारत की स्थिति खराब

डब्ल्यूएचओ के अनुसार हर साल लगभग तीस लाख लोगों की मौत वायु प्रदूषण के कारण होती है. इनमें से लगभग 90% मौत निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होते हैं.

एयर पाॅल्यूशन से मरने वाले 3 लोगों में से 2 व्यक्ति की मौत साउथ-ईस्ट एशिया रीजन और वेस्टर्न पैसिफिक रीजन में होती है. भारत साउथ-ईस्ट एशिया रीजन का एक हिस्सा है.


साल 2012 में PM2.5 और PM10 से होने वाले वायु प्रदूषण से एक लाख लोगों की मौत के साथ चीन सबसे आगे था. और फिलहाल भारत में इससे होने वाली मौत की संख्या 621,138 तक रिकाॅर्ड की गई है. जो ग्लोबल लेवल पर होने वाली मौतों का लगभग 10% है.

रिपोर्ट लगा रही सरकारी स्कीम पर सवालिया निशान!

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट आने के बाद यह जाहिर हो गया है कि दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बहुत तेजी से बढ़ा है, जो दिल्ली वालों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. इस रिपोर्ट ने सरकार के उन कदमों पर सवालिया निशान लगा दिया है जो प्रदूषण कम करने के लिए उठाए जा रहे हैं.

2 करोड़ की आबादी वाली दिल्ली की हालत प्रदूषण से बुरी हो चुकी है.

ट्रांसपोर्ट, घरेलू ईंधन, कोयला आधारित बिजली संयंत्र, और औद्योगिक गतिविधियां वायु प्रदूषण का प्रमुख स्रोत हैं. दिल्ली में ट्रैफिक और कूड़े की वजह से प्रदूषण ज्यादा है. बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए केजरीवाल सरकार कमर्शियल वाहनों पर लगाम लगाने से लेकर ऑड-ईवन जैसी स्कीम लेकर आई थी. लेकिन इसके बावजूद प्रदूषण पर लगाम न लगा पाना सरकारी स्कीम की विफलता उजागर करती है.

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