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अब पावन गंगा पहुंची आपके द्वार, डाकघरों से होने लगी बिक्री

देश के कई डाकघरों से गंगाजल बेचे जा रहे हैं. ये योजना अनोखी है, इसलिए इस पर टीका-टिप्‍पणी का दौर भी चल रहा है.

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भारत
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डाक विभाग ने लोगों तक गंगाजल पहुंचाने का जो प्‍लान तैयार किया था, अब उसे अमलीजामा पहनाया जा रहा है. देश के कई डाकघरों से गंगाजल बेचे जा रहे हैं. ये योजना अनोखी है, इसलिए इस पर टीका-टिप्‍पणी का दौर भी चल रहा है.

योजना शुरू होने के 3 दिन के भीतर ही इसे अच्‍छा-खास रिस्‍पॉन्‍स मिल रहा है. लोग सीधे डाकघरों से हाथोंहाथ गंगाजल लपक ले रहे हैं. इससे आने वाले दिनों में इसकी डिमांड और बढ़ने की संभावना है.

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क्‍या है गंगाजल योजना

डाक विभाग की योजना के तहत, अब देश के सभी डाकघरों से गंगाजल खरीदा जा सकेगा. साथ ही अगर कोई गंगाजल के लिए ऑर्डर करता है, तो डाक विभाग इसे उसके घर तक पहुंचाएगा. फिलहाल गंगोत्री और ऋष‍िकेश से पैक किया गया गंगाजल पहुंचाया जा रहा है.

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और मनोज सिन्हा ने 10 जुलाई को इस योजना की शुरुआत की. इस बारे में रविशंकर प्रसाद ने कहा,

अब गंगोत्री और ऋषिकेश से लिया गया गंगाजल देश के सभी डाकघरों पर उपलब्ध होगा.

इस बारे में मनोज सिन्‍हा ने एक और खास बात कही. उन्‍होंने कहा कि बिहार के सुल्तानगंज में जब गंगाजल साफ हो जाएगा, तो डाक विभाग यहीं से गंगाजल लेकर उसे घर-घर तक पहुंचाएगा. सिन्हा ने कहा,

अभी सिर्फ गंगोत्री और ऋषिकेश से लिए गए गंगाजल को ही डाक विभाग देश के हर हिस्से में घरों-घरों तक पहुंचाएगा.
मनोज सिन्‍हा, केंद्रीय मंत्री

हर जगह के गंगाजल का अपना अलग महत्‍व

दरअसल, हर स्‍थान के गंगाजल का अपना अलग महत्‍व है. श्रद्धालु भी गंगा में डुबकी लगाने के लिए मौके के हिसाब से तीर्थ चुनते हैं. गंगोत्री से गंगा का उद्गम होता है. ऐसी मान्‍यता है कि ऋषिकेश में भगवान विष्णु के चरण पड़े थे. बिहार के सुल्‍तानगंज में आकर गंगा कुछ दूर तक उत्तर दिशा की ओर बहने लगती है, इसलिए इसका भी खास महत्‍व है. साथ ही कांवरिया सुल्‍तानगंज का जल लेकर ही पैदल बैद्यनाथधाम देवघर के शिवलिंग पर चढ़ाते हैं.

मोदी सरकार पर नीतीश का तंज

गंगा बिहार से होकर गुजरती है, इसके बावजूद वहां के डाकघरों से इसकी बिक्री पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने सवाल उठाया. उन्‍होंने इस योजना पर तंज कसते हुए कहा,

केंद्र सरकार ने मान लिया है कि पटना की गंगा में गंगोत्री का एक बूंद पानी नहीं है. इसलिए वे यहां गंगोत्री व ऋषिकेश का गंगाजल बेच रहे हैं. 


देश के कई डाकघरों से गंगाजल बेचे जा रहे हैं. ये योजना अनोखी है, इसलिए इस पर टीका-टिप्‍पणी का दौर भी चल रहा है.
अभी केवल गंगोत्री और ऋष‍िकेश के गंगाजल बेचे जा रहे हैं (ग्राफिक्‍स: रोहित मौर्य)

लाभ कमाना नहीं है मकसद?

सवाल उठता है कि आखिर डाक विभाग को इस तरह की योजना की शुरुआत करने की जरूरत क्‍यों पड़ी? सीधी बात तो यह है कि इस तरह की योजनाओं के जरिए डाक विभाग अपनी आर्थिक सेहत सुधारने की कोशिश कर रहा है. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ये तो स्‍वीकार करते हैं कि डाक विभाग खुद को ‘जीवंत’ करने की कोशिश कर रहा है. पर साथ ही वे यह कहने से नहीं चूकते कि गंगाजल से लाभ कमाना डाक विभाग का मकसद नहीं है.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि डाक विभाग गंगाजल के प्रति लोगों की आस्था का सम्मान करते हुए इसे लोगों तक पहुंचा रहा है, जिससे लोग लाभ उठा सकें.

बहरहाल, इतना तो तय है कि इस तरह की योजना आने वाले दिनों में और लोकप्रियता हासिल करेगी. इससे क्रेता और विक्रेता, दोनों का हित छुपा हुआ है.

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