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‘‘बेटे ने मुझे इतनी जोर से मारा कि अब सुनने में दिक्कत होती है’’

‘वर्ल्ड एल्डर अब्यूज अवेयरनेस डे’ पर सुनिए कुछ बुजुर्गों की दर्द भरी कहानी

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भारत
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‘‘एक बार मैं बीमार पड़ गई थी, मेरे बेटे ने मेरे मुंह में जूता डाल कर मुझे इतनी जोर से मारा कि अब मैं अपने दाहिने कान से सुन नहीं सकती.’’ ये कहानी है 90 वर्षीय चंपिया अम्मा की, जिन्होंने अपनी मुस्कुराहट के पीछे अपने दुःख को छिपाते हुए अपनी कहानी बताई. हर साल 15 जून को वर्ल्ड एल्डर अब्यूज अवेयरनेस डे मनाया जाता है ताकि बुजुर्गों के साथ हो रहे अत्याचार के बारे में लोगों को जागरूक किया जा सके. क्योंकि सच्चाई ये है कि आज भी हमारे देश में एक चौथाई बुजुर्ग किसी न किसी तरह की हिंसा के शिकार हो रहे हैं.

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चंपिया अम्मा 'मन का तिलक' में रहती हैं. ये देश की राजधानी में बसी एक छोटी सी संस्था है जो उन बुजुर्गों को पनाह देती है जिनके परिवार ने उनका साथ छोड़ दिया है. यहां चंपिया अम्मा जैसे, दिल्ली, कोलकाता और बाकी शहरों के कई बुजुर्ग एक साथ, एक छत के नीचे रहते हैं.

‘वर्ल्ड एल्डर अब्यूज अवेयरनेस डे’ पर सुनिए कुछ बुजुर्गों की दर्द भरी कहानी
‘मन का तिलक’ ओल्ड ऐज होम में रह रहे बुजुर्ग
(फोटो : ANI)
एक साल पहले मेरी बेटी ने मुझसे कहा कि हम बाहर जा रहे हैं और मुझे यहां छोड़ गई. मैं बहुत रोई लेकिन मेरी किसी ने नहीं सुनी. 
चंपिया अम्मा, ‘मन का तिलक’ में रह रहीं बुजुर्ग
मैं दो-तीन महीने में अपनी बेटी से बात कर लेती हूं. वो जल्द ही मुझसे मिलने के लिए आने वाली है. वो मुझे बैंक ले कर जाएगी और मेरी पेंशन निकलवाएगी. मेरे बेटे से अब मेरी बात नहीं होती, पर एक दिन वो मुझसे मिलने जरूर आएगा.
चंपिया अम्मा, ‘मन का तिलक’ में रह रहीं बुजुर्ग

‘‘बेटा पूछता था-तुम कब मरोगी?

चंपई अम्मा के साथ ही रह रहीं श्रवण अम्मा ने भी अपनी कहानी बताई. उन्होंने बताया, 'एक बार मेरे बेटे ने मुझसे पूछा तुम कब मरोगी?' रोज-रोज की प्रताड़ना सहना 57 साल की श्रवण की जिंदगी का एक हिस्सा बन गया था. धीरे-धीरे अम्मा की सब्र का बांध टूटा और उन्होंने एक लॉयर हायर किया. लॉयर ने उन्हें सलाह दी की वो यहां से कहीं और चली जाएं और फिर वो 'मन का तिलक' आईं.

‘उससे कहना अम्मा उससे एक आखिरी बार मिलना चाहती है

‘वर्ल्ड एल्डर अब्यूज अवेयरनेस डे’ पर सुनिए कुछ बुजुर्गों की दर्द भरी कहानी
रुक्मणी अम्मा, ‘मन का तिलक’ में रह रहीं बुजुर्ग
(फोटो : ANI)

‘मन का तिलक’ में रह रही रुक्मणी अम्मा कैसी हैं? एक साल ये जानने के लिए भी उनका बेटा नहीं आया. लेकिन रुक्मणी को यकीन है कि वो आएगा जरूर.

मैंने उसे जन्म दिया है, उसे नहलाया है, उसे कपड़े पहनाए हैं, उसे तब भी खाना खिलाया है जब मेरे पास कुछ खाने को नहीं होता था. हमारे पास ज्यादा कुछ नहीं था, पर मैंने अपने बेटे को हर चीज देने की कोशिश की. और ऐसे वो मेरा प्यार मुझे वापस लौटा रहा है, मुझे यहां छोड़ कर?
रुक्मणी अम्मा, ‘मन का तिलक’ में रह रही बुजुर्ग
मेरे बेटे ने कहा था वो मुझे वापस लेने जरूर आएगा, लेकिन एक साल से ऊपर हो गया है, मैंने उसे देखा तक नहीं है. अगर आप उससे कभी मिलें, तो उससे बोलिएगा, उसकी अम्मा उससे एक आखिरी बार मिलना चाहती है.
रुक्मणी अम्मा, ‘मन का तिलक’ में रह रही बुजुर्ग

आप देश के किसी भी ओल्ड ऐज होम में जाइए, ऐसी दर्द भरी कहानियां मिल जाएंगी. इसी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए ओल्ड ऐज होम ‘मन का तिलक’ ने एक कैंपेन शुरू किया है. इस कैंपेन में वो लोगों से एक सफेद रूमाल के साथ एक फोटो क्लिक करने के लिए बोलते हैं. इस फोटो को उन्हें अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर अपलोड कर कर अपने तीन दोस्तों को टैग करना होता है, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस बारे में जानकारी मिल सके.

भारत में ओल्डऐज अब्यूज

मिनिस्ट्री ऑफ सोशल जस्टिस की 2016 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 60 की उम्र से ऊपर वाले लोगों की संख्या 9.30% थी. पिछले साल 2018 में हेल्पऐज इंडिया नाम की एक संस्था ने भारत के 23 राज्यों में एक सर्वे किया. इस सर्वे में 5014 बुजुर्ग शामिल थे. चौंकाने वाली बात ये है कि इनमें से 25% बुजुर्ग एल्डर अब्यूज के शिकार थे. हेल्पऐज इंडिया की इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर 4 में से एक बुजुर्ग के साथ अब्यूज होती है.

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