“दो साल पहले मैंने सुना महाराष्ट्र में सूखे और कर्ज के चलते एक किसान ने आत्महत्या कर ली थी. उनके घर की हालत इतनी खराब थी कि किसान की पत्नी को अपना शरीर बेचना पड़ रहा था, ये सुनकर मेरी रूह कांप गई. कई दिन तक मैं परेशान रहीं, उसके बाद मैंने सोचा, इन किसानों और महिलाओं के लिए कुछ करना होगा." जानी विश्वनाथ बताती हैं.
अब महाराष्ट्र के अलावा बुंदेलखंड में जानी किसानों के लिए पानी और आजीविका की व्यवस्था करने की कोशिशों में जुटी हैं. यहां पर वो किसानों के लिए बोरवेल रिचार्ज के प्रोजेक्ट पर काम करवा रही हैं, ताकि किसानों के लिए पानी का संकट कुछ कम हो और उनकी जिंदगी खुशहाल हो.
साथ ही वो अफ्रीकी देशों खासकर कीनिया जैसे गरीब देशों में अपने संगठन ‘हीलिंग लाइव्स’ (Healing Lives) के जरिए शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर काम कर रही हैं. जानी विश्वनाथ दुबई में रहती हैं, उनके परिवार के काफी लोग लंदन में भी रहते हैं, लेकिन वो मूलरूप से भारत की रहने वाली हैं. इसे वह काफी गर्व के साथ बताती हैं.
देखिए वीडियो-
पिछले दिनों किसानों के बीच चल रहे एक प्रोजेक्ट के लिए लखनऊ आईं जानी विश्वनाथ बताती हैं, "मैं इंडिया की रहने वाली हूं, अफगानिस्तान में पली बढ़ी हूं, लंदन और इंडोनेशिया में काफी वक्त बिताया है, आप कह सकते हैं मैं ग्लोबल सिटिजन हो गई हूं, लेकिन दिल और दिमाग से इंडियन ही हूं. हमारे माता-पिता ने जो संस्कार दिए, वो हमेशा साथ रहते हैं."
दक्षिण भारत के कोयबंटूर के ब्राह्मण परिवार में जन्मी जानी अपने नाम के साथ विदेश सेवा में कार्यरत पिता डॉ. टीके विश्वनाथ का सर नेम लगाती हैं. अपनी सामाजिक सोच और लोगों के प्रति कार्य करने की प्रेरणा के लिए वो अपने पिता के दिए संस्कारों को श्रेय देती हैं.
"मेरे शिक्षाविद पिता काबुल समेत कई देशों के तैनात रहे. उनका कहना था, दूसरों के लिए कुछ करो.. लेकिन इसका मतलब सिर्फ ये नहीं कि सामने वाले (किसी गरीब) के पास जाओ और उसे एक बार कुछ पैसे दे आओ, खाना और कपड़े दे आओ, बल्कि जरूरी है कि उन्हें शिक्षित करो, उनके लिए ऐसा काम करो कि आगे उन्हें कभी दोबारा सहारे की जरुरत न पड़े.
आगे कहा, “वो हमेशा कहते थे किसी को कुछ देने के लिए पैसा ही जरूरी नहीं, उनके साथ कुछ वक्त बिताओ, उनमें भरोसा भरो. मैंने कई साल नौकरी और बिजनेस करने के बाद उन्हें के बताए रास्ते पर चलना शुरू कर दिया.“
एक कारोबारी परिवार से ताल्लुक रखने वाली जानी ने करीब 12 साल पहले हीलिंग लाइव्स की शुरुआत की. पिछले कुछ सालों से वो पूरी तरह अपने इसी सामाजिक सरोकार से जुड़ी हैं. वो बताती हैं, “हमने अपने काम की शुरुआत सबसे पहले साउथ अफ्रीकी देश कीनिया से की. एक खूबसूरत देश जो गरीबी और बदहाली का शिकार है. यहां के ग्रामीणों और आदिवासी को स्वास्थ्य सेवाएं और शिक्षा पर काम करते हैं."
यह मेरा पसंदीदा काम है…
जानी विश्वनाथ बताती हैं, "कीनिया में बहुत गरीबी है, कई होनहार बच्चे चंदा लगाकर मेडिकल की पढ़ाई के लिए दाखिला लेते हैं, लेकिन कुछ महीनों में उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ती थी, वो युवा जो अच्छा सर्जन बन सकता था, वो मामूली मजूदर बनकर रह जाता है, इसलिए हम ऐसे छात्रों को डॉक्टरी की पढ़ाई स्पॉन्सर करते हैं. इसमें स्थानीय सरकारें और यूनिवर्सिटी हमारा साथ देती हैं. ये मेरा पसंदीदा काम है.
तब किसानों की आत्महत्याओं के बारे में सुना
विदेश में उन्होंने महाराष्ट्र के सूखे और उसके बाद किसानों की आत्महत्याओं के बारे में सुना. किसान की विधवा की त्रासदी सुनने के बाद उन्होंने भारत में किसानों और उनके परिवारों के लिए काम शुरू किया. वो बताती हैं, "मैं हमेशा से भारत में काम करना चाहती थी, इस दौरान किसानों की त्रासदी के बारे में सुना तो एक पायलट प्रोजेक्ट महाराष्ट्र में शुरू किया. अभी तक ये काफी सफल रहा है, हमारी कोशिश है कि किसानों की जिंदगी को आसान किया जाए, उन्हें अच्छी एग्रीकल्चर प्रैक्टिस के बारे में बताया जाए, उसे मुहैया कराया जाए, इन घरों की महिलाओं को रोजगार और शिक्षा दी जाए."
जानी विश्वनाथ का फाउंडेशन हीलिंग लाइव्स भारत में सेव इंडियन फार्मर के सहयोग से बोरवेल रिचार्ज का प्रोजेक्ट कर रही हैं. ताकि बरसात का पानी जमीन में जा सके और बाद में इसी पानी को किसान पीने और खेती के लिए इस्तेमाल कर सकें.
अगर महिलाएं बेरोजगार हैं तो…
जानी का ज्यादातर वक्त ट्रैवल में बीतता है. वो बुंदेलखंड में उन महिलाओं और किसानों से मिलने आई थीं, जहां उन्हें आगे काम करना है और अब तक किए गए प्रयासों की जायजा लेना था. वो कहती हैं, ये पैसा हमारी काफी मेहनत का है इसलिए हम चाहते हैं वो सही हाथों में जाए और लोगों में उसका असर नजर आए. मैं चाहती हूं कि एक गांव को पूरी तरह सक्षम बनाया जाए, अगर पानी की समस्या है तो किसानों को ड्रिप इरीगेशन जैसी सुविधाएं मिलें, महिलाएं बेरोजगार हैं तो उन्हें घरेलू उद्योग सिखाएं जाएं."
जानी के मुताबिक, कृषि क्षेत्र में बहुत कुछ करने की जरुरत है, खासकर लोगों की सोच बदले. हमें जिनकी बदौलत खाना मिलता है, लोगों को चाहिए उन्हें शुक्रिया बोलना सीखें, हम सबको चाहिए, जिसको जो जिस काबिल है, वो किसानों के लिए गरीबों के लिए कुछ काम करें, उन्हें सहयोग करें.
(अरविंद शुक्ला की ये रिपोर्ट गांव कनेक्शन से ली गई है.)
ये भी पढ़ें- आठवीं पास खेती का ‘चाणक्य’: देखिए इस किसान की सफलता की कहानी
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)