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गंगा में कचरा फेंकना पड़ेगा महंगा, लगेगा 50,000 रुपये का जुर्माना

NGT ने हरिद्वार-उन्नाव के बीच गंगा नदी के तट से 100 मीटर तक के क्षेत्र को ‘नो डेवलपमेंट जोन’ किया घोषित 

Published
भारत
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राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तराखंड के हरिद्वार और उत्तर प्रदेश के उन्नाव के बीच गंगा नदी के तट से 100 मीटर तक के क्षेत्र को 'नो डेवलपमेंट जोन ' घोषित किया है. इतना ही नहीं हरिद्वार से उन्नाव के बीच बह रही गंगा में कचरा फेंकने पर अब आपको 50,000 रुपये का जुर्माना भी देना पड़ सकता है.

गंगा की सफाई को लेकर एनजीटी का बड़ा फैसला आया है. एनजीटी ने नदी के आसपास के 100 मीटर के दायरे को 'नो डिवेलपमेंट जोन' घोषित कर दिया है, यानी कि अब नदी के आस-पास 100 मीटर के दायरे में किसी भी तरह का निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता है. एनजीटी का ये फैसला हरिद्वार से उन्नाव के बीच के जोन के लिए है.

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एनजीटी ने कहा है कि गंगा नदी के तट से 500 मीटर के दायरे में किसी भी तरह का कचरा डंप नहीं होना चाहिए. एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है कि गंगा नदी में कचरा डंप करने पर 50 हजार रुपए का पर्यावरण हर्जाना देना होगा.

UP और UK सरकार को घाटों के लिए गाइडलाइन बनाने के निर्देश

इसके अलावा एनजीटी ने उत्तरप्रदेश सरकार से कहा है कि वह अपनी जिम्मेदारी समझते हुए चमड़े के कारखानों को जाजमऊ से उन्नाव या फिर किसी भी दूसरी जगह, जहां राज्य सरकार उचित समझती हो, वहां छह सप्ताह के भीतर ट्रांसफर किए जाने चाहिए. एनजीटी ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को गंगा और उसकी सहायक नदियों के घाटों पर धार्मिक क्रियाकलापों के लिए दिशानिर्देश बनाने के लिए कहा है.

एनजीटी ने 543 पन्नों वाले अपने फैसले के पालन की निगरानी करने और इस संबंध में रिपोर्ट पेश करने के लिए पर्यवेक्षक समिति का भी गठन किया है.

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