निर्भया के चारों दोषियों को कल यानी 20 मार्च 2020 को सुबह 5.30 बजे फांसी दी जाएगी. पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों की याचिका पर फैसला सुनाते हुए दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा है.
फांसी की सजा को माफ कराने के लिए चारों दोषियों मुकेश, पवन, अक्षय और विनय से ने राष्ट्रपति के पास भी दया याचिका भेजी थी. हालांकि राष्ट्रपति की ओर से भी दोषियों की दया याचिका खारिज कर दी गई थी.
आइए बताते हैं राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करने के बाद क्या-क्या होता है?
राष्ट्रपति के पास हैं ये अधिकार
संविधान की धारा-72 के तहत देश के राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि वह सजा को माफ कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें किसी भी कारण को बताने की जरूरत नहीं होती है. फैसला राष्ट्रपति के विवेक पर निर्भर करता है.
दया याचिका क्या है, कैसे लगती है?
राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगाने की प्रक्रिया काफी लंबी है. हालांकि, ऑनलाइन याचिका दाखिल करने से समय कम लगता है. दया याचिका लगाने के लिए सबसे पहले याचिका जेल प्रशासन को सौंपी जाती है. जेल प्रशासन की ओर से याचिका दिल्ली सरकार को भेजी जाती है. याचिका पर दिल्ली सरकार का गृह मंत्रालय टिप्पणी देता है. इसके बाद ये याचिका एलजी को भेजी जाती है. यहां से याचिका गृह मंत्रालय को जाती है. गृह मंत्रालय में सीनियर ऑफिसर्स अपनी टिप्पणी देते हैं. इसके बाद यह याचिका राष्ट्रपति को जाती है. जिसके बाद याचिका पर राष्ट्रपति अपना फैसला देते हैं.
इसके बाद राष्ट्रपति के फैसले को वापस जेल प्रशासन के पास भेजते हैं. हालांकि इसका भी क्रम होता है. पहले राष्ट्रपति से गृहमंत्रालय. इसके बाद फाइल एलजी के पास आती है. फिर एलजी ऑफिस से यह फाइल दिल्ली सरकार के गृह मंत्रालय को भेजी जाती है. जिसके बाद गृह मंत्रालय से फाइल जेल प्रशासन को सौंपी जाती है.
बता दें कि नियमों के मुताबिक दोषी को दया याचिका खारिज होने के 14 दिन बाद ही फांसी पर लटकाया जा सकता है. इसीलिए इस केस में अभी कई और मोड़ देखे जा सकते हैं.
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