‘साल 2012 में हुए निर्भया कांड के चार दोषियों में से एक दोषी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उसे मृत्युदंड दिया गया है, जबकि दिल्ली में वायु और जल प्रदूषण उसे वैसी ही मार रही है. ऐसे में मृत्युदंड दिया जाना चाहिए क्या?’
निर्भया कांड के एक दोषी अक्षय सिंह ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में अजीब दलील दी है. कोर्ट में पुनर्विचार में अक्षय ने अपनी सजा की समीक्षा करने का अनुरोध किया है, क्योंकि दिल्ली की जहरीली हवा उसे पहले ही मार रही है.
अक्षय ने अपनी याचिका में लिखा कि ‘ये सभी को पता है कि दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है और दिल्ली-एनसीआर एक गैस चैंबर बन गई है. यहां का पानी जहरीला होता जा रहा है. जीवन इतना छोटा है और लोग प्रदूषण से ही मर रहे हैं, तो फिर मृत्युदंड क्यों? ’
अक्षय ने पुनर्विचार याचिका को लेकर कहा कि वह अकेला दोषी नहीं है, जिसने सजा की समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. अपनी याचिका में अक्षय ने ये भी लिखा है कि उसे गलत तरीके से दोषी ठहराया गया है और कई देशों में तो मृत्युदंड की सजा को खत्म करने की बात कही जा रही है.
पहले भी खारिज हुई पुनर्विचार याचिका
अक्षय सिंह ठाकुर के अलावा निर्भया कांड में मुकेश सिंह, पवन गुप्ता और विनय शर्मा को दोषी ठहराया गया था. इन चारों को मौत की सजा सुनाई गई थी और सुप्रीम कोर्ट ने इस सजा को बरकरार रखा था.
मृत्युदंड पर पुनर्विचार के लिए इससे पहले मुकेश सिंह, पवन गुप्ता और विनय शर्मा ने भी याचिका दायर की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था.
सात सालों से इंसाफ के इंतजार में निर्भया
दिसंबर 2012 में दिल्ली में एक मेडिकल स्टूडेंट के साथ निर्मम तरीके से गैंगरेप किया गया था. उसे इलाज के लिए सिंगापुर के अस्पताल में भेजा गया, लेकिन उसकी मौत हो गई. इस घटना के बाद पूरे देश में बडे़ पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया गया.
इस घटना के बाद देश में बलात्कार के खिलाफ सख्त कानून भी बनाए गए. इस केस में छह लोगों को दोषी ठहराया गया था, जिसमें से एक नाबालिग था. छह दोषियों में से एक ने जेल में आत्महत्या कर ली थी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)