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निर्भया के गुनहगार राष्ट्रपति से पहले SC में दाखिल करेंगे याचिका

सुप्रीम कोर्ट में दया याचिका दाखिल करेंगे आरोपियों के वकील

Published
भारत
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राष्ट्रपति का दरवाजा खटखटाने से पहले निर्भया कांड के मुजरिम एक बार फिर उसी सुप्रीम कोर्ट की देहरी पर जाना पसंद कर रहे हैं, जिसने कभी उनकी मौत की सजा पर 'मुहर' लगाई थी. तिहाड़ जेल में मुजरिमों और उनके वकीलों की हुई बेहद गोपनीय बैठक में इस निर्णय पर मुहर लगा दी गई. इस बात का खुलासा शुक्रवार देर रात मुजरिमों के वकील ने किया.

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वकील ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से कहा,

“जेल के नोटिस पर हम बाद में भी अमल कर लेंगे. पहले हमारे पास जब सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प खुला है तो हम उधर ही जाएंगे. मौजूदा हालात में हमें सुप्रीम कोर्ट ही जाना भी चाहिए.”
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दरअसल, 28 अक्टूबर को तिहाड़ जेल प्रशासन ने जेल में कैद चारों मुजरिमों को नोटिस दिए थे. नोटिस में कहा गया था, "वो सभी सात दिनों के अंदर फांसी की सजा के लिए चाहें तो राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दाखिल कर सकते हैं. अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो फिर जेल प्रशासन ट्रायल कोर्ट (जिसने आरोपियों को सजा-ए-मौत मुकर्रर की) पहुंचकर 'डेथ-वारंट' जारी करवाने के प्रयासों में जुट जाएगा."

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वकील ने की आरोपियों से मुलाकात

चारों सजायाफ्ता मुजरिमों ने बाकायदा जेल के नोटिस प्राप्त कर लिए. उसके बाद से इस मामले में एकदम सन्नाटा छाया हुआ था. शुक्रवार दोपहर तक भी इस मामले में कोई खास चर्चा नहीं थी. दोपहर बाद करीब साढ़े तीन बजे तिहाड़ जेल नंबर-2 में कैद मुजरिम अक्षय कुमार सिंह और जेल नंबर-3 में बंद विनय कुमार शर्मा के वकील तिहाड़ जेल पहुंच गए. जबकि इनमें से मंडोली जेल में बंद मुजरिम पवन कुमार गुप्ता से मिलने उसके वकील जेल नंबर-14 में पहुंचे थे.

अक्षय और विनय से तिहाड़ जेल में मिल चुके वकील अजय प्रकाश ने बताया, "मंडोली जेल में बंद पवन कुमार गुप्ता से उनके वकील वी.पी. सिंह ने मुलाकात की."

लंबे समय तक चली इस बेहद गोपनीय मुलाकात के दौरान ही तय किया गया है कि तीनों मुजरिम (तिहाड़ में बंद अक्षय कुमार सिंह, विनय कुमार शर्मा और मंडोली जेल में बंद पवन कुमार गुप्ता) मृत्युदंड की माफी के लिए राष्ट्रपति की देहरी पर पहले नहीं जाएंगे.

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आरोपी की पत्नी को दिल्ली बुलाने की तैयारी

जेल के भीतर चली इस बैठक में निर्भया कांड के मुजरिमों और उनके वकीलों के बीच तय हुआ कि जितनी जल्दी हो जेल में बंद मुजरिम अक्षय की गांव में मौजूद पत्नी को तुरंत दिल्ली बुलवाया जाए. बीते सप्ताह ही अक्षय के ससुर की मौत हो गई थी. इसलिए उसकी पत्नी, पिता के अंतिम संस्कार-रस्म के बाद दिल्ली आ जाएगी. अक्षय की पत्नी से वकालतनामा मिलने के बाद ही अक्षय के वकील अजय प्रकाश सिंह उसकी 'समीक्षा याचिका' सुप्रीम कोर्ट लेकर पहुंचेंगे.

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डॉ. अजय प्रकाश सिंह ने कहा, "जेल में बंद चारों सजायाफ्ता मुजरिमों में से अक्षय ही अकेला ऐसा मुजरिम है, जिसकी समीक्षा याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल नहीं हुई थी."

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और फिलहाल निर्भया कांड के दो मुजरिमों (अक्षय और विनय) की पैरवी कर रहे अजय प्रकाश ने कहा,

“मंडोली जेल में बंद पवन कुमार गुप्ता और तिहाड़ जेल में बंद दूसरे मुजरिम विनय कुमार शर्मा की रिव्यू-पिटीशन चूंकि पूर्व में सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो चुकी हैं, लिहाजा सुप्रीम कोर्ट में उन दोनों की ओर से ‘क्यूरेटिव-पिटीशन’ दाखिल की जाएगी, जो हमारे मुवक्किलों का कानूनी हक है.”
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तिहाड़ प्रशासन पर उठाए सवाल

अजय प्रकाश सिंह ने तिहाड़ जेल प्रशासन के नोटिस को 'पॉलिटिकल' करार दिया. उन्होंने कहा, "जब दिल्ली में चुनाव सिर पर है. तभी जेल प्रशासन को नोटिस देने की याद क्यों आई है? इतना ही नहीं मंडोली जेल में बंद मुजरिम पवन कुमार गुप्ता का तो आयु-संबंधी विवाद अभी तक हाईकोर्ट में चल ही रहा है. आखिर इन तमाम परिस्थितियों में भी जेल प्रशासन को नोटिस देने की क्या जल्दी थी."

इस मुद्दे पर गुरुवार को बातचीत के दौरान तिहाड़ जेल के महानिदेशक संदीप गोयल ने कहा, "नोटिस कानूनन दिया गया है. ताकि जेल में बंद मुजरिम कहीं राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दाखिल करना जाने-अनजाने भूल न जाएं. यह जेल की ड्यूटी थी."

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दूसरी ओर दिल्ली हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज न्यायमूर्ति शिव नारायण ढींगरा ने इस मुद्दे पर आईएएनएस से कहा, "रिव्यू पिटीशन तो उसी बेंच के सामने लगाया जाना उचित होता है, जिसने सजा पर मुहर लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट में सजा पर अंतिम मुहर लगाने वाले जज तो अब रिटायर भी हो चुके होंगे. ऐसे में रिव्यू-पिटीशन कितनी कामयाब रहेगी? यह विचारणीय बिंदु है."

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