दिल्ली की एक अदालत ने निर्भया मामले के तीन दोषियों की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. इन तीनों दोषियों ने एक फरवरी को उन्हें फांसी देने पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए याचिका दायर की थी.
तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा के सामने दायर स्थिति रिपोर्ट में इस याचिका का विरोध किया. उन्होंने कहा कि एक दोषी की याचिका लंबित है और बाकी को फांसी दी जा सकती है. वहीं दोषियों के वकील ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि जब एक दोषी की याचिका लंबित हो तो बाकी को फांसी नहीं दी जा सकती.
कोर्ट ने 30 जनवरी को जेल अधिकारियों को नोटिस जारी करके दोषियों की याचिका पर जवाब मांगा था.
दोषी पवन गुप्ता, विनय कुमार शर्मा और अक्षय कुमार के वकील ए पी सिंह ने अदालत से फांसी पर ‘अनिश्चितकालीन’ रोक लगाने का अनुरोध किया था.
इन दोषियों में से विनय की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है.
मामले के चौथे दोषी मुकेश की दया याचिका को राष्ट्रपति ने 17 जनवरी को खारिज कर दिया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मुकेश की दया याचिका खारिज करने के राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देने वाली अपील भी ठुकरा दी.
वहीं, विनय और अक्षय की क्यूरेटिव पिटीशन भी सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है. सिर्फ पवन के पास क्यूरेटिव पिटीशन का विकल्प बचा हुआ है.
सुप्रीम कोर्ट से क्यूरेटिव पिटीशन खारिज होने के बाद दोषी के पास राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दाखिल करने का विकल्प होता है.
बता दें कि निचली अदालत ने 17 जनवरी को निर्भया मामले के चारों दोषियों मुकेश (32), पवन (25), विनय (26) और अक्षय (31) को मौत की सजा देने के लिए दूसरी बार ब्लैक वारंट जारी किया था, जिसमें एक फरवरी को सुबह छह बजे तिहाड़ जेल में उन्हें फांसी देने का आदेश दिया गया. इससे पहले सात जनवरी को अदालत ने फांसी के लिए 22 जनवरी की तारीख तय की थी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)