निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले के चारों गुनहगार खुद को फांसी से बचाने के लिए बार-बार नए पैंतरे आजमां रहे हैं. इससे पहले भी तीन बार दोषियों की फांसी टल चुकी हैै. अब एक बार फिर इसे टालने की कोशिश की जा रही है. निर्भया के चार दोषियों में से एक विनय शर्मा ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उसने याचिका दायर कर दावा किया है कि मर्सी पेटिशन को खारिज किए जाने में संवैधानिक अनियमितताएं थी. राष्ट्रपति के पास भेजी गई अनुशंसा में दिल्ली के गृह मंत्री सत्येन्द्र जैन के हस्ताक्षर नहीं थे.
विनय शर्मा की ओर से याचिका उसके वकील एपी सिंह ने दायर किया, उन्होंने कहा मामले को दिल्ली हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में दायर किया गया है. याचिका में दावा किया गया कि
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जो दया याचिका खारिज की है उसे खारिज किए जाने में प्रक्रियागत खामियां और ‘संवैधानिक अनियमितताएं’ थीं.
'दिल्ली के गृह मंत्री का हस्ताक्षर नहीं'
दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में दावा किया गया है कि दया याचिका खारिज करने के लिए राष्ट्रपति के पास भेजी गई अनुशंसा में दिल्ली के गृह मंत्री सत्येन्द्र जैन के हस्ताक्षर नहीं थे. विनय की दया याचिका राष्ट्रपति ने एक फरवरी को खारिज कर दी थी.
याचिका के मुताबिक मामले को जब सुप्रीम कोर्ट के सामने उठाया गया तो केंद्र ने कहा था कि जैन का हस्ताक्षर व्हाट्सएप पर ले लिया गया था.
दिल्ली में लागू थी अचार संहिता
याचिका में दावा किया गया है कि जब मर्सी पेटिशन दायर की गई थी उस समय चुनाव आदर्श आचार संहिता लागू थी और जैन उस वक्त केवल विधायक उम्मीदवार थे क्योंकि चुनावों की घोषणा हो चुकी थी और इसलिए वह गृह मंत्री की शक्ति का इस्तेमाल नहीं कर सके.
याचिका में आरोप लगाया गया है, ‘‘मर्सी पेटिशन खारिज करने के लिए इस्तेमाल की गई शक्तियां अवैध, असंवैधानिक, न्यायिक विफलता और भारत के निर्वाचन आयोग के संवैधानिक मूल्यों की विफलता है.’’
दिल्ली की एक अदालत ने पांच मार्च को चार दोषियों विनय शर्मा, अक्षय कुमार सिंह, मुकेश कुमार सिंह और पवन कुमार गुप्ता को 20 मार्च को फांसी पर लटकाने के लिए डेथ वारंट जारी किया था. हालांकि अब फिर से फांसी टलने की आशंका जताई जा रही है.
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