निर्भया के गुनहगारों को फांसी पर लटकाया जा चुका है. 20 मार्च की सुबह को चारों दोषियों को निर्भया के साथ गैंगरेप और हत्या के मामले में कानूनी रूप से मृत्युदंड दिया गया. वहीं, चार दोषियों में से एक विनय शर्मा के बारे में जेल अधिकारी ने बताया है कि उसे जेल नियमों को तोड़ने पर सबसे अधिक सजा मिली थी.
अधिकारी ने बताया कि छोटी-मोटी लड़ाई करने पर परिवार से मुलाकात के समय में कटौती और गंभीर परेशानी उत्पन्न करने पर बैरक बदलने को लेकर चारों दोषियों को सजा दी गई. लेकिन विनय को सबसे अधिक सजा मिली. जेल अधिकारी ने आगे बताया,
तिहाड़ जेल में विनय पेंटिंग सीख रहा था और उसे सात साल में 11 बार नियमों को तोड़ने के लिए सजा मिली थी जबकि पवन को आठ बार, मुकेश को तीन बार और अक्षय को एक बार नियम तोड़ने के लिए सजा मिली.
पढ़ाई कर रहे थे चारों दोषी
अधिकारी ने बताया कि विनय ने 2015 में एक वर्षीय स्नातक उपाधि पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया, लेकिन उसे पूरा नहीं किया. अगले साल 2016 में उसने मुकेश, पवन और अक्षय के साथ दसवीं कक्षा में प्रवेश लिया और परीक्षा में शामिल हुए लेकिन उत्तीर्ण नहीं हुआ.
मुकेश नहीं कर रहा था कोई काम
अधिकारी के मुताबिक, जेल में काम कर विनय ने 39 हजार रुपये, अक्षय ने 69 हजार रुपये और पवन ने 29 हजार रुपये कमाये. हालांकि, मुकेश ने काम नहीं किया. उन्होंने बताया कि दैनिक मजदूरी के रोजाना अर्जित इस राशि को उनके परिवार को सौंप दिया है.
अधिकारी ने बताया कि सात साल के कारावास के दौरान अक्षय सिलाई का काम और गेंहू पीसने का काम करता था, पवन जेल की कैंटीन में काम करता था जबकि विनय सहायक का काम करता था.
बता दें कि 16 दिसंबर 2012 को निर्भया के साथ 6 लोगों ने गैंगरेप किया था, जिसके बाद सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था. इसमें से एक नाबालिग था जिसे 3 साल की सजा हुई वहीं, एक आरोपी ने आत्महत्या कर ली. बाकी चार दोषियों विनय, मुकेश, पवन और अक्षय जो सात साल से जेल में थे उन्हें 20 मार्च 2020 को सुबह साढ़े पांच बजे फांसी की सजा दी गई.
इनपुट भाषा से
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)