2012 निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस के दोषी पवन गुप्ता ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली है. दोषी पवन कुमार गुप्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि साल 2012 में घटना के दौरान वो नाबालिग था. इसी के आधार में उसने कोर्ट से राहत देने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने दोषी की सभी दलीलों को खारिज कर दिया था.
गैंगरेप के चार दोषियों- विनय, अक्षय, मुकेश सिंह और पवन गुप्ता को 22 जनवरी को फांसी होनी थी, लेकिन मुकेश के दया याचिका दाखिल करने के कारण इसमें देरी हो सकती है.
बता दें कि मुकेश की दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज कर दी है. याचिका खारिज होने के 14 दिन बाद ही दोषी को फांसी हो सकती है.
दोषियों को फांसी में देरी क्यों?
सुप्रीम कोर्ट सभी दोषियों की रिव्यू पिटिशन खारिज कर चुका है, लेकिन इसके बाद भी दोषियों के पास दो ऑप्शन होता है- क्यूरेटिव पिटिशन और मर्सी पिटिशन (दया याचिका). विनय और मुकेश ने क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल की थी, जो खारिज हो चुकी हैं. इसके बाद मुकेश ने दया याचिका दाखिल की और ये भी खारिज हो गई है.
सुप्रीम कोर्ट के 2013 में शत्रुघन चौहान केस में आए एक जजमेंट के मुताबिक, जब तक दया याचिका के खारिज हुए 14 दिन नहीं हुए हैं, तब तक दोषी को फांसी नहीं हो सकती.
मां ने पीएम से लगाई गुहार
निर्भया के दोषियों को फांसी में होने वाली देरी से निर्भया की मां आशा देवी ने भी पीएम मोदी से अपील करते हुए कहा है कि मैं मोदी जी से हाथ जोड़कर कहना चाहती हूं कि 2014 में आपने कहा था ‘बहुत हुआ नारी पर वार’ अबकी बार मोदी सरकार, प्रधानमंत्री जी एक बच्ची की मौत के साथ मजाक न होने दें.
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