पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों में कटौती की उम्मीद लगाए बैठे लोगों के लिए बुरी खबर है. सरकार ने तेल कीमतों (Petrol-Diesel Price Hike) में कटौती से इनकार कर दिया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने 16 अगस्त को कहा, "सरकार तेल की ऊंची कीमतों से आसानी से राहत मिल दे पाती, अगर उसे ऑयल बॉन्ड की लागत वहन नहीं करनी पड़ती, जो पिछली सरकार ने कंपनियों को जारी की थी."
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार ने तेल कंपनियों को ऑयल बॉन्ड जारी किए थे. ऑयल बॉन्ड एक सिक्योरिटी होती है, जिसके सरकार नकद सब्सिडी के बदले तेल कंपनियों को देती है. सरकार इस बॉन्ड पर ब्याज भी चुकाती है.
यूपीए सरकार पर दोष
ये बताते हुए कि वो अभी पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती क्यों नहीं कर सकती हैं, सीतारमण ने कहा, "अगर मैंने यूपीए के 4 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के ऑयल बॉन्डों का खर्च नहीं उठाया होता, तो मैं पेट्रोलियम की कीमतों से राहत दे सकती थी."
सीतारमण ने कहा, "यूपीए सरकार द्वारा जारी ऑयल बॉन्डों के लिए किए जा रहे ब्याज भुगतान से राजकोष पर बोझ है. केंद्र ने पिछले 5 सालों में ऑयल बॉन्ड पर ब्याज में 62,000 करोड़ से ज्यादा का भुगतान किया है और हमें अभी भी 2026 तक 37,000 करोड़ रुपये का ब्याज देना है."
वित्त मंत्री ने तेल कीमतों में कटौती करने में असमर्थता के लिए यूपीए सरकार सरकार को दोषी ठहराया. उन्होंने कहा, "यूपीए सरकार ने 1.44 लाख करोड़ के ऑयल बॉन्ड जारी करके तेल कीमतों में कमी की है. मैं उनकी चालबाजी से नहीं कर सकती. ऑयल बॉन्ड के कारण, हमारी सरकार पर बोझ आया है, इसलिए हम हैं पेट्रोल-डीजल के दाम कम नहीं कर पा रहे हैं."
कई शहरों में पेट्रोल की कीमत100 रुपये प्रति लीटर को पार कर गई है. चेन्नई में इसकी कीमत 102.49 रुपये प्रति लीटर और कोलकाता में 101.08 रुपये प्रति लीटर है.
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