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"परीक्षा से डरने लगा था": NIT सिल्चर में स्टूडेंट की सुसाइड से मौत,छात्र कर रहे विरोध

कोज बुकर के दोस्तों के अनुसार, इंटरनेट समस्याओं के कारण वह फर्स्ट ईयर की परीक्षा में पास नहीं हो सका था

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(डिस्क्लेमर: स्टोरी में सुसाइड का जिक्र है. अगर आपको खुद को चोट पहुंचाने के ख्याल आते हैं, या आप जानते हैं कि कोई मुश्किल में है, तो मेहरबानी करके उनसे सहानुभूति दिखाएं और स्थानीय इमरजेंसी सर्विस, हेल्पलाइन और मेंटल हेल्थ NGO के इन नंबरों पर कॉल करें.)

20 वर्षीय कोज बुकर अरुणाचल प्रदेश के एक सुदूर इलाके से आता था. 15 सितंबर को कथित तौर पर उसकी आत्महत्या से मौत हो गई थी. असम के सिलचर में इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी NIT के मैकनिकल इंजीयरिंग के छात्र सुष्मित गुप्ता ने बताया कि जब हमने उससे बैकलॉग के बारे में पूछा तो "उसने बताया कि होमटाउन में खराब इंटरनेट सर्विस होने के कारण वह पढ़ नहीं पाया. जिस कारण वो फर्स्ट ईयर की परीक्षा पास नहीं कर पाया."

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सुष्मित गुप्ता कोज बुकर के ठीक बगल वाले रूम में रहता है. सुष्मित NIT के हॉस्टल नंबर 7 के रूम नंबर 7070 में रहते हैं जबकि उसे ठीक बगल वाला रूम, कोज बुकर का था. इसी रूम में 20 साल के स्टूडेंट कोज बुकर की 15 सितंबर को कथित तौर पर आत्महत्या से मौत हो गई थी. हालांकि, जब यह कथित घटना घटी, तब सुष्मित अपने कमरे में मौजूद नहीं था.

कोज ने 2021 में कोरोना महामारी के बीच इस संस्थान के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया था. उसकी फर्स्ट ईयर की क्लास के साथ फर्स्ट सेमेस्टर की परीक्षा भी ऑनलाइन ही हुई थीं.

कोज की मौत के बाद, NIT सिलचर में अशांत माहौल है. छात्र लगातार कई दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका आरोप है कि कोज, जो कि बीटेक थर्ड ईयर का छात्र था, उसे पिछले सेमेस्टर के परीक्षा में बैकलॉग के कारण पांचवें सेमेस्टर में रजिस्ट्रेशन कराने की अनुमति नहीं मिली. इस कारण वह बहुत प्रेशर में था.

कोज बुकर की मौत के बाद 15 सितंबर से NIT सिलचर के छात्र मामले की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

"उसे दूसरा मौका मिलना चाहिए था"

NIT सिलचर की पॉलिसी के अनुसार, कोई छात्र 5वें सेमेस्टर के लिए तब तक रजिस्ट्रेशन नहीं करा सकता, जब तक कि उसने पिछले सेमेस्टर के बैकलॉग को पूरा नहीं कर लिया हो.

रजिस्ट्रार केएल बैष्णब के अनुसार, कोज के 14 पेपर बैकलॉग थे - पहले सेमेस्टर से सात, तीसरे सेमेस्टर से दो और चौथे सेमेस्टर से पांच. इस कारण उसे फर्स्ट ईयर के छात्र के साथ क्लास लेने को कहा गया.

इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के चौथे ईयर के स्टूडेंट ऋषिकांत ने द क्विंट को बताया...

"कोज 5वें सेमेस्टर में रजिस्टेशन के लिए कई बार डीन ऑफ एकेडमिक्स, बिनॉय कृष्णा रॉय के पास गया, लेकिन उसे अनुमति नहीं मिली."
ऋषिकांत, छात्र, एनआईटी

आरोपों के जवाब में, रजिस्ट्रार ने कहा कि कोज ने उनके ऑफिस से कोई औपचारिक अनुरोध नहीं किया था. इस बात की सच्चाई के लिए उन्हें फिर से पता करना होगा कि क्या ये बात सही है.

मामले पर अधिक जानकारी के लिए द क्विंट ने प्रोफेसर रॉय से संपर्क किया. उन्होंने कहा, "चूंकि जांच चल रही है, इसलिए मुझे मीडिया से बात करने की अनुमति नहीं है."

"उसे परीक्षा से डर लगने लगा था"

उत्तराखंड के रहने वाले बीटेक थर्ड ईयर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग के स्टूडेंट अमित कुमार ने पास के हॉस्टल नंबर 6 में शिफ्ट होने से पहले सितंबर 2022 से मई 2023 तक कोज के साथ एक रूम शेयर किया था.

अमित और कोज फर्स्ट ईयर से ही दोस्त थे. वे एक साथ फुटबॉल खेला करते थे. अपने आखिरी फुटबॉल मैच को याद करते हुए अमित ने कहा, "मैच में सेंटर-फॉरवर्ड खेलते हुए कोज ने अपनी टीम के लिए एक गोल किया था. उसके किए गए गोल की वजह से उनकी टीम मैच जीत भी गई थी."
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अमित के मुताबिक, कोज इंट्रोवर्ट था और ज्यादा बात नहीं करता था. लेकिन चौथे सेमेस्टर के अंत तक अमित को लगा कि उसके दोस्त के साथ सब कुछ ठीक नहीं है.

"चौथे सेमेस्टर के अंत में, मैंने देखा कि उसे परीक्षा से डर लगने लगा था. बैकलॉग के कारण, उसके पास पढ़ने के लिए अधिक सब्जेक्ट थे. हमने इस बारे में बातचीत की कि क्या वह संस्थान छोड़ना चाहता है या अपनी डिग्री पूरी करने के लिए अधिक समय लेना चाहता है. उसने मुझसे कहा कि वह डिग्री लेना चाहता है, भले ही इसे पूरा करने में ज्यादा समय लगे.
अमित कुमार, एनआईटी सिल्चर के छात्र

फुटबॉल खेलने के अलावा कोज एक अच्छा सिंगर भी था. अमित ने याद करते हुए कहा, वह बहुत अच्छा गाता भी था और शानदार गिटार भी बजाता था.

छात्रों का विरोध जारी

डीन को हटाने की मांग को लेकर NIT सिलचर के छात्र 17 सितंबर से कैंपस में भूख हड़ताल पर बैठे हैं. छात्रों का आरोप है कि यदि डीन कोज की समस्या पर ध्यान देते तो वह यह कदम नहीं उठाता. प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने संस्थान की समस्या को लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी पत्र लिखा.

ऋषिकांत ने द क्विंट को बताया कि "हम प्रोफेसर बिनॉय कृष्णा रॉय के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं और कॉलेज प्रशासन से कोज की मौत के वजहों की गहन जांच सुनिश्चित करने के लिए FIR दर्ज करने कराने को कह रहे हैं. कॉलेज प्रशासन को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि कोज के परिवार को फाइनेंसियल, कानूनी और भावनात्मक समर्थन के साथ-साथ सुरक्षा भी मिले."
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द क्विंट से बात करते हुए, रजिस्ट्रार बैष्णब ने कहा, "हम छात्रों के साथ बातचीत कर रहे हैं और छात्रों की मांगों पर काम करने की कोशिश कर रहे हैं. फिलहाल, प्रोफेसर रॉय की जगह डॉ. ललित कुमार सैकिया को अंतरिम डीन को नियुक्त किया गया है."

इस बीच, कछार पुलिस ने 15 सितंबर को परिसर में हुई कथित तोड़फोड़ के लिए छात्रों के खिलाफ दो FIR दर्ज की हैं. छात्र यह भी मांग कर रहे हैं कि कॉलेज यह सुनिश्चित करे कि उनके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई न की जाए.

कोज बुकर की मौत ने NIT सिलचर में छात्रों के मेंटल हेल्थ के मुद्दे को फिर से सुर्खियों में ला दिया है.

यह पूछे जाने पर कि क्या संस्थान ने छात्रों की स्वस्थ मानसिक हालत के लिए कदम उठाए हैं? बैष्णब ने कहा, "हम समझते हैं कि कंपटीशन के कारण NIT में एडमिशन पाना मुश्किल है, लेकिन एक बार जब कोई छात्र कैंपस में आ जाता है, तो हम यह सुनिश्चित करते हैं कि उनके लिए पढ़ाई के अलावा एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टीविटीज में भाग लेने का मौका मिले.

रजिस्ट्रार ने द क्विंट को बताया कि उनके पास छात्रों के लिए कैंपस में काउंसलर हैं, लेकिन क्विंट से बात करने वाले छात्रों ने असहमति जताते हुए कहा कि यह दावा "सरासर झूठ" है.

इस बीच, संस्थान ने कोज की मौत के मामले की जांच के लिए एक आंतरिक समिति का गठन किया है, जबकि छात्रों की मांग है कि एक बाहर की बॉडी को जांच करनी चाहिए.

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