केंद्रीय ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर नितिन गडकरी ने क्विंट के एक खास कार्यक्रम में एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया के साथ सड़क सुरक्षा को लेकर अपने विचार रखे. हाल ही में आए भारी भरकम जुर्माने वाले कानून (मोटर व्हीकल एक्ट) पर नितिन गडकरी ने कहा कि इस एक्ट का मकसद रेवेन्यू जेनरेट करना नहीं है, लेकिन कानून के प्रति सम्मान भी नहीं और डर भी नहीं, ऐसी अवस्था समाज के लिए अच्छी नहीं है.
हैदराबाद में वेटरनरी महिला डॉक्टर के साथ गैंगरेप और मर्डर घटना का जिक्र करते हुए गडकरी ने कहा- “मैं अक्सर कहता था कि फांसी की सजा बहुत ज्यादा है. आदमी कभी-कभी गलती करता है तो सजा के साथ सुधरने का मौका देना चाहिए. लेकिन हैदराबाद की घटना देखकर मन में ऐसा आया कि इसे तो चौराहे पर फांसी देनी चाहिए. क्योंकि लोगों के मन में अगर कानून के प्रति डर और सम्मान नहीं होगा तो हम समाज को ठीक से चला नहीं पाएंगे.”
गडकरी ने एक दूसरा उदाहरण देते हुए कहा- 1980 और अब के समय में रुपये की वैल्यू में बड़ा अंतर आया है. आजकल मैं होटल में देखता हूं कि टिप देने वाला भी 100 रुपये से कम नहीं देता. तो 50-100 रुपये के जुर्माने से कोई डरता नहीं था, लोग सोचते थे चलो भर देंगे. लेकिन अब नया कानून लागू होने के बाद लोगों के व्यवहार में बदलाव आया है. लोग इसके महत्व को समझ रहे हैं. राज्य भी सहयोग कर रहे हैं.
क्या MV एक्ट पर विरोध से परेशान हुए गडकरी?
क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने केंद्रीय मंत्री से पूछा कि जिस तरह राज्य सरकार की ओर से मोटर व्हीकल एक्ट का विरोध किया गया, क्या उससे परेशान हुए?
इस पर नितिन गडकरी ने कहा, 'राजनीति में तो ये सब चलता है. लेकिन एक बात जरूर है कि आप लोगों का नेतृत्व करना चाहते हैं या लोगों के नेतृत्व में रहना चाहते हैं. मैं भी लोकसभा सांसद हूं. मुझे भी चुनाव लड़ना है लेकिन मैंने एक बात तय की. मैं लोगों को एक ही बात कहता हूं कि आपको मुझे ही वोट देना है ऐसा नहीं है. अगर मैं ठीक काम करूंगा, तो आप मुझे वोट दीजिए.'
गडकरी ने बताया कि उन्होंने अपने शहर में सड़क चौड़ी करने के लिए अपने ससुर का भी घर तुड़वा दिया था. उन्होंने बताया, इस वजह से उनकी पत्नी नाराज हो गईं थी.
जिस तरह से इस मुहिम को समर्थन मिलना चाहिए था, वो नहीं दिख रहा. क्या इससे आप निराश होते हैं?
मैं निराश नहीं हूं. अच्छे काम का कोई शॉर्टकट नहीं होता. जैसे मैंने आज मुंबई-पूणे हाइवे पर, एनजीओ ने इतना अच्छा काम किया, तमिलनाडु की सरकार ने 29% इसको कम किया. मुझे लगता है कि इससे ही धीरे-धीरे स्थितियां बदलेंगी. मैं मानता हूं कि स्थितियां बदलने की शुरुआत हो गई है. मरने वालों में 18-35 उम्र के लोगों की संख्या 65% है. नौजवान सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवा रहे हैं. मेरे सचिव का लड़का, अमेरिका से पढ़कर आया था, सड़क दुर्घटना में उसकी जान चली गई.
गडकरी ने उम्मीद जताते हुए कहा, “मुझे लगता है कि लोगों में जागरुकता आई है. एनजीओ और मीडिया के माध्यम से, स्कूलों में अवेयरनेस प्रोग्राम चलाने से चीजें और बदलेंगी.”
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