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गडकरी की एक और गुगली, अबकी बार नेहरू महान

गडकरी के इतने भाषणों का निशाना किसकी तरफ

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भारत
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ट्रांसपोर्ट मंत्री नितिन गडकरी को पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के भाषण बहुत पसंद हैं.

आम दिनों की बात होती, तो शायद ये हेडलाइन न होती, पर इन दिनों गडकरी अपने हर भाषण में कुछ ऐसा बोल देते हैं, जो सुर्खियां बन जाता है.

गडकरी इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों की कॉन्‍फ्रेंस में पहुंचे, तो उन्होंने सिर्फ नेहरू की तारीफ ही नहीं की, बल्कि उनके भाषण में देश के पहले प्रधानमंत्री की पसंदीदा बातें नजर आईं. इसमें सहिष्णुता, राजनीतिक जिम्मेदारी का जिक्र था और करीब 45 मिनट के भाषण में एक भी बार किसी राजनीतिक पार्टी या व्यक्ति की बुराई नहीं थी. लेकिन कटाक्ष जरूर थे, जिनके बारे में अंदाज लगाया जा सकता है कि इशारा किस तरफ है.

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हार की जिम्मेदारी कौन लेगा

नितिन गडकरी ने मुस्कुराते हुए पूछा, ''अगर मैं पार्टी अध्यक्ष हूं और मेरे सांसद या विधायक अच्छा नहीं कर रहे हैं, तो जिम्मेदार कौन होगा?''

इसके बाद गडकरी दूसरी बातों की तरफ बढ़ गए, लेकिन उनकी बात ये एनालिसिस करने के लिए पर्याप्त थी कि उनका संकेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की तरफ तो नहीं है.

ट्रांसपोर्ट मंत्री ने 22 दिसंबर को कहा कि सफलता के पिता कई होते हैं, लेकिन असफलता की जिम्मेदारी कोई नहीं लेना चाहता. उनकी बातें हेडलाइन बनीं, क्योंकि विश्लेषण यही हुआ कि उनका इशारा शायद बीजेपी की लीडरशिप की तरफ है, जिसे विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार की भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए.

गडकरी ने इसके बाद ट्वीट और बाइट के जरिए सफाई भी दी कि ऐसी हेडलाइन से उनके और पार्टी के बीच संदेह पैदा करने की शरारत की जा रही है.

22 दिसंबर को पुणे और 24 दिसंबर को दिल्ली

गडकरी ने 22 दिसंबर को पुणे में मराठी में भाषण दिया था. इसलिए उसके अंग्रेजी और हिंदी तर्जुमा में संदेह का लाभ दिया जा सकता था, लेकिन दिल्ली में उनका भाषण विशुद्ध हिंदी में था, जिसमें उन्होंने कहा कि जिम्मेदारी लेने से बचना नहीं चाहिए.

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नेहरू के भाषण भी पसंद

लीडरशिप और जिम्मेदारी की चर्चा के बाद गडकरी ने मुस्कुराते हुए पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू के विचारों की खुलकर तारीफ की. गडकरी ने कहा कि नेहरू के भाषण उन्हें पसंद हैं, क्योंकि उनमें समस्या नहीं, समाधान की बात होती थी. व्यक्ति की नहीं, विचारों की बात होती थी. वो अपने काम और चुनौतियों की बात करते थे, दूसरे की बुराइयों की नहीं.

गडकरी के मुंह से नेहरू जी की इतनी खुली तारीफ की चर्चा इसलिए हो रही है, क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव के दौरान अक्सर देश की मौजूदा समस्याओं के लिए जवाहरलाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं.

मोदी अक्सर कहते हैं कि जम्मू-कश्मीर समस्या के लिए नेहरू की नीतियां जिम्मेदार थीं. हाल ही में विधानसभा चुनाव के एक भाषण में मोदी ने कहा था कि नेहरू को खेती-किसानी की समझ नहीं थी, इसलिए किसानों की समस्याएं हल नहीं हो पाईं.

गडकरी ने पिछले भाषण पर ट्वीट और बाइट के जरिए जो सफाई दी थी, उससे लग रहा था कि वो बैकफुट पर हैं. लेकिन दिल्ली में वो खुलकर बोले. उन्होंने साफ कर दिया कि उनके मन में जो आता है, वही बोलते हैं.

बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘’कोई भी सर्वोत्तम नहीं है, लेकिन मैं सब जानता हूं, ऐसा सोचने वाला व्यक्ति कभी बदल नहीं सकता. इसलिए बड़े पदों में बैठे व्यक्ति में विनम्रता और शालीनता होनी चाहिए.’’

गडकरी ने ये भी कहा...

  • अच्छे कामों को बताने के लिए विज्ञापनों की जरूरत नहीं पड़ती. उन्होंने कहा कि आर्टिफिशयल मार्केटिंग करनी नहीं चाहिए, अगर आपकी बात में दम है, तो अपने आप लोगों को पसंद आएगी.
  • दूसरों की गलतियां निकालना बंद होना चाहिए. जो काम करेगा, उससे गलतियां होनी तय हैं.

ट्रांसपोर्ट मंत्री नितिन गडकरी इन दिनों अपने कामकाज को लेकर खबरों में हैं और विपक्ष की तारीफ कमा रहे हैं. उतनी की वाहवाही उनके बेबाक भाषणों की भी हो रही है. मीडिया भी अब उनकी हर तकरीर पर बारीक नजर रख रहा है.

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