वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने विशेष आर्थिक पैकेज के तहत पांचवी किस्त सामने रखी है. इसमें MSMEs (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग) के साथ-साथ इंडस्ट्री लॉ को भी सरल कर निजी क्षेत्र को राहत पहुंचाने की कोशिश की गई है. एक बड़ी घोषणा में वित्तमंत्री ने बताया कि अब निजी क्षेत्र का दायरा स्ट्रैटजिक सेक्टर में भी बढ़ाया जाएगा.
स्ट्रैटजिक सेक्टर में होंगे बदलाव
वित्तमंत्री ने बताया कि अब सरकार स्ट्रैटजिक सेक्टर की परिभाषा में बदलाव करने वाली है. अब इस सेक्टर में ज्यादा से ज्यादा चार सरकारी कंपनियां ही काम कर पाएंगी.
अगर इसमें ज्यादा सरकारी कंपनियां होंगी, तो उनका आपस में विलय किया जाएगा. अब यह सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां इस सेक्टर के बाहर काम नहीं कर पाएंगी. स्टैटजिक सेक्टर में अब निजी कंपनियों को भी काम करने की इजाजत दी जाएगी.
इंसॉस्वेंसी एंड बैंकरप्टसी कोड (IBC) के प्रावधान ढीले किए जाएंगे
उद्यमियों को सहूलियत देने के लिए अब IBC कोड के नियमों में ढील दी जाएगी. छोटी चूक या तकनीकी प्रक्रिया में देरी को अपराधीकरण से अलग किया जा रहा है. इसके तहत अब एक साल तक कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. सरकार इसके लिए अध्यादेश भी लाने जा रही है.
साथ ही कंपनी कंप्लायंस एक्ट में भी बदलाव होने जा रहा है. कंपनी एक्ट में पहले 18 मामलों की कोर्ट में सुनवाई नहीं होती थी. अब इनकी संख्या बढ़ाकर 58 कर दी जाएगी. साथ में रीजनल डॉयरेक्टर की ताकतों में भी वृद्धि की जाएगी. इससे NCLT में भीड़ कम होगी.
भारतीय कंपनियां सीधे विदेशों में कर सकेंगी लिस्टिंग
वित्तमंत्री ने निजी कंपनियों को और सहूलियत देते हुए बताया कि अब यह कंपनियां विदेशों में खुद अपनी लिस्टिंग करवा सकेंगी. ऐसी निजी कंपनियां जो नॉन कॉन्वर्टेबल डिबेंचर बाजार में रखती हैं, उन्हें लिस्टेड होने की जरूरत नहीं होगी.
बता दें कोरोना लॉकडॉउन के चलते धीमी पड़ी अर्थव्यवस्था को तेज करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी.
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