बाॅम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि किसी भी प्रतिबंधित क्षेत्र में सिर्फ स्टिंग आॅपरेशन किए जाने पर आॅफिशियल सीक्रेट ऐक्ट नहीं लगाया जा सकता. बॉम्बे हाई कोर्ट के जज ने द क्विंट की रिपोर्टर पूनम अग्रवाल की अग्रिम जमानत याचिका पर अपने फैसले में कहा कि
"सिर्फ इसलिए कि स्टिंग ऑपरेशन एक निषिद्ध क्षेत्र में किया गया था, आॅफिशियल सीक्रेट ऐक्ट की धारा 3 और 7 के प्रावधानों को लागू करने के लिए काफी नहीं है."
जज ने 26 अप्रैल को पूनम और वाॅर दिग्गज दीपचंद को अग्रिम जमानत दी और कहा कि
प्रथम दृष्टया इस मामले में अभियोजन पक्ष द्वारा विशिष्ट तथ्यों के साथ दायर किए गए मुकदमे को देखकर, ये नहीं लगता कि आईपीसी की धारा 306 या 500 के या आॅफिशियल सीक्रेट ऐक्ट की धारा 3 और 7 के तहत कोई अपराध हुआ हो.
जवान गनर राॅय मैथ्यू का मृत शरीर बैरक में पाया गया था. इसके बाद देवलाली पुलिस (नासिक, महाराष्ट्र) ने द क्विंट की पूनम और दीपचंद पर आॅफिशियल सीक्रेट ऐक्ट की धारा 3 और 7 के तहत और आईपीसी की धारा 306 और 500 के तहत केस दर्ज किया था.
पुलिस ने 27 मार्च को इनके खिलाफ केस दर्ज किया था.
सेना ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि 'सहायक' का दुरुपयोग न किया जाए.
अग्रिम जमानत का आदेश देते हुए जस्टिस रेवाती मोहिते डेरे ने कहा
क्लिप देखने के बाद, ऐसा लगता है कि स्टिंग ऑपरेशन का उद्देश्य ये दिखाना था कि 19 जनवरी, 2017 को जारी किए गए सर्कुलर से उलट सहायकों से नौकरों वाले काम कराए जा रहे हैं, जैसे कुत्तों को टहलाने ले जाना, बच्चों को स्कूल ले जाना और अधिकारियों की पत्नियों को पार्लर, शॉपिंग पर ले जाना.
ये स्टिंग आॅपरेशन 7 फरवरी को किया गया था. द क्विंट की इनवेस्टिगेशन एसोसिएट एडिटर पूनम अग्रवाल इससे पहले भी कई स्टिंग कर चुकी हैं.
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