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हे ‘प्रभु’, रेल हादसे की मुआवजा राशि में 19 साल से कोई बदलाव नहीं!

भारत में रेल दुर्घटना में मारे जाने वाले यात्रियों को चार लाख रुपये का मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है.

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भारत में ट्रेन दुर्घटना में मारे जाने वाले यात्रियों को चार लाख रुपये का मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है. आपको यह जानकर हैरत होगी कि यह मुआवजा राशि साल 1997 में तय हुई थी. इस तरह 19 साल बाद भी मुआवजा राशि में बदलाव नहीं किया गया है.

हालांकि पहले नौ से 10 साल के अंतराल पर मुआवजा राशि को दोगुना किया जाता रहा है.

मध्य प्रदेश के नीमच निवासी और सूचना के अधिकार (RTI) के कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ को रेल मंत्रालय ने मुआवजे के बारे में जो जानकारी दी है, उससे पता चलता है:

  • देश के आजाद होने के बाद पहली बार 1962 में रेल हादसे में मारे जाने वालों के लिए 10 हजार रुपये मुआवजा तय किया गया था.
  • उसके बाद 1963 में इसे बढ़ाकर 20 हजार रुपये कर दिया गया.
  • 1973 में मुआवजा 50 हजार, 1983 में एक लाख, 1990 में दो लाख और 1997 में बढ़ाकर चार लाख रुपये किया गया.

रविवार को इंदौर से पटना जा रही राजेंद्र नगर एक्सप्रेस के कानपुर जिले के पुखरायां के पास हुए हादसे में 100 से ज्यादा लोगों के मारे गए थे. गौड़ ने घटना के बाद केंद्र सरकार की ओर से मुआवजे का ऐलान किए जाने पर सूचना के अधिकार के तहत पहले से किए गए आवेदनों के आधार पर यह खुलासा किया. उन्होंने बीते नौ महीने में मिली जानकारियों का हवाला दिया है.

दरअसल, गौड़ ने रेल हादसों में मारे जाने वालों को दिए जाने वाले मुआवजे की सूचना के अधिकार के तहत कई बार जानकारी मांगी.

फरवरी, 2016: गौड़ की आरटीआई पर अनुविभागीय अधिकारी ब्रजेश कुमार ने बताया था कि 1997 के बाद मुआवजा राशि में कोई बदलाव नहीं किया गया है. राशि में संशोधन के लिए मंत्री के पास प्रपोजल विचाराधीन है.

मई, 2016: मुआवजे की जानकारी दोबारा मांगने पर रेल मंत्रालय ने बताया कि कई सांसदों ने मुआवजा संशोधन और बढ़ोतरी की मांग की है. फिलहाल प्रपोजल बोर्ड मेंबर्स और कानूनी सलाहकारों के बीच विचाराधीन है. अभी मंत्री स्तर पर इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है.



भारत में रेल दुर्घटना में मारे जाने वाले यात्रियों को चार लाख रुपये का मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है.
भारतीय रेलवे विश्व के सबसे बड़े रेल नेटवर्कों में से एक है (फोटो: iStock)

तीन महीने पहले फरवरी 2016 में यही प्रपोजल मंत्री के पास विचाराधीन होने की बात कही गई थी.

अगस्त, 2015: गौड़ ने पीएमओ को लेटर लिखकर रेल हादसा मुआवजा बढ़ाकर 25 लाख रुपये करने की मांग करते हुए सुझाव दिया था कि सभी टिकट पर एक रुपये का सेस लगा दिया जाए, तो करोड़ों की राशि हर दिन जमा हो जाएगी और उचित मुआवजा देने में कोई दिक्कत नहीं आएगी.

साथ ही पीड़ित परिवार के मुआवजे की गणना एमएसीटी क्लेम की तरह करने का सुझाव दिया था. इन सुझावों को प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी सराहा था और निर्णय लेने में सक्षम अधिकारी को भेजने की बात कही थी.

लेकिन जब गौड़ ने प्रधानमंत्री कार्यालय को 12 अगस्त, 2015 को दिए गए सुझावों पर हुए अमल का ब्योरा चाहा, तो जवाब मिला कि यह सुझाव रेल मंत्रालय को 10 नवंबर, 2016 को मिला है. इस तरह प्रधानमंत्री कार्यालय से रेल मंत्रालय तक सुझाव पहुंचने में लगभग 15 महीने का समय लग गया.

नवंबर, 2016: रेल मंत्रालय में सूचनाधिकार के तहत आवेदन किया, जिस पर उन्हें 11 नवंबर को संयुक्त निदेशक (यातायात) देवाशीष सिकंदर की ओर से जवाब भेजा गया कि जो मुआवजा राशि साल 1997 में तय हुई थी, उसमें 19 साल बाद भी कोई बदलाव नहीं किया गया है.

पहले रेल मुआवजा राशि को नौ से 10 सालों में दोगुना किया जाता रहा है. अगर 1997 के बाद भी यही होता, तो राशि 2006 में चार से बढ़कर आठ लाख और 2015 में 16 लाख रुपये हो गई होती, मगर ऐसा नहीं हुआ.

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