वीडियो एडिटर: विशाल कुमार
भारतीय मूल के अमेरिकी अभिजीत बनर्जी को साल 2019 के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल प्राइज दिया गया है. उन्हें ये प्राइज फ्रांस की एस्थर डुफ्लो और अमेरिका के माइकल क्रेमर के साथ साझा तौर से दिया गया है. ये पुरस्कार 'वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन' के लिए किए गए काम के लिए गया. एस्थर डुफ्लो अभिजीत बनर्जी की पत्नी हैं.
नोबेल कमेटी के बयान के मुताबिक, ‘‘ इस साल के प्राइज विनर्स का रिसर्च वैश्विक स्तर पर गरीबी से लड़ने में हमारी क्षमता को बेहतर बनाता है. सिर्फ दो दशक में उनकी नई सोच ने डेवलपमेंट इकनॉमिक्स को पूरी तरह बदल दिया है. डेवलपमेंट इकनॉमिक्स मौजूदा दौर में रिसर्च का अहम क्षेत्र है.’’
जेएनयू के पास आउट हैं अभिजीत विनायक बनर्जी
58 साल के अभिजीत विनायक बनर्जी ने कलकत्ता यूनिवर्सिटी, जवाहरलाल नेहरू यूनिर्वसिटी (JNU) से पढ़ाई की है. अभिजीत ने साल 1988 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री हासिल की. फिलहाल, वो मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के फोर्ड फाउंडेशन इंटरनेशनल प्रोफेसर हैं.
2003 में उन्होंने एस्थर डुफेलो और सेंथिल मुलैनाथन के साथ, अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी एक्शन लैब (J-PAL) की स्थापना की. वो इसके एक डायरेक्टर्स में से एक हैं.
अभिजीत बनर्जी से मिहिर शर्मा की बातचीत (17 मई 2019)
बनर्जी ब्यूरो ऑफ रिसर्च इन द इकनॉमिक एनालिसिस ऑफ डेवलपमेंट, NBER के रिसर्च एसोसिएट, एक सीईपीआर के रिसर्च फेलो, कील इंस्टीट्यूट के इंटरनेशनल रिसर्च फेलो, अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज के प्रेसिंडेट हैं.
इकनॉमेट्रिक सोसाइटी, और एक गुगेनहेम फेलो और एक ''अल्फ्रेड पी स्लोन'' फेलो और इंफोसिस प्राइज के विजेता रहे हैं.
अभिजीत कई आर्टिकल और चार किताबों के लेखक हैं, जिनमें पुअर इकनॉमिक्स (www.pooreconomics.com) शामिल है. इस किताब ने गोल्डमैन सैक्स बिजनेस बुक ऑफ द ईयर जीता. वो तीन और किताबों के एडिटर हैं और उन्होंने दो डॉक्यूमेंटरी का डायरेक्शन किया है.
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