केंद्रीय कैबिनेट की अपॉइंटमेंट कमेटी ने एक बार फिर नृपेंद्र मिश्रा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रिंसिपल सेक्रेटरी नियुक्त किया है. यह आदेश 31 मई, 2019 से प्रभावी हो गया है. नृपेंद्र मिश्रा को कार्यकाल के दौरान कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला रहेगा. इससे पहले उम्मीद जताई जा रही थी कि मोदी की दूसरी पारी में पीएमओ में भी फेरबदल देखने को मिल सकता है. लेकिन ऐसा नहीं हुआ, पीएम मोदी ने पुराने अफसरों पर ही भरोसा जताया है.
इसके अलावा रिटायर्ड आईएएस अधिकारी पीके मिश्रा को प्रधानमंत्री का एडिशनल प्रिंसिपल सेक्रेटरी बनाया गया है. उनकी नियुक्ति का आदेश भी 31 मई 2019 से प्रभावी हो गया है. कार्यभार के दौरान पीके मिश्रा को भी कैबिनेट मंत्री का दर्जा हासिल रहेगा.
कौन हैं नृपेंद्र मिश्रा?
- नृपेंद्र मिश्रा 1967 बैच के उत्तर प्रदेश काडर के अधिकारी हैं.
- उन्हें पहली मोदी सरकार में 28 मई 2014 को पीएम नरेंद्र मोदी का प्रिंसिपल सेक्रेटरी नियुक्त किया गया था.
- मिश्रा 2006 से 2009 के बीच ट्राई के अध्यक्ष रह चुके हैं. वह साल 2009 में इसी पद से रिटायर हुए थे.
- मिश्रा की अध्यक्षता में ही ट्राई ने अगस्त 2007 में स्पेक्ट्रम की नीलामी की सिफारिश की थी.
- 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में कथित अनियमितताओं के मामले की सुनवाई में वह दिल्ली की एक कोर्ट में अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में पेश हो चुके हैं.
टॉप लेवल के ब्यूरोक्रेट के रूप में नृपेंद्र मिश्रा का लंबा और असाधारण करियर रहा है. बता दें, प्रधान सचिव नीति निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. मिश्रा को एक सक्षम और व्यवसाय समर्थक प्रशासक होने का श्रेय जाता है. वह दयानिधि मारन के मंत्री के कार्यकाल के दौरान दूरसंचार सचिव रह चुके हैं और उनको ब्रॉडबैंड पॉलिसी का श्रेय जाता है.
कौन हैं पीके मिश्रा?
- पीएमओ में प्रमोद कुमार मिश्रा भी नृपेंद्र मिश्रा की तरह शक्तिशाली नौकरशाह हैं
- पीके मिश्रा को एक बार फिर एडिशन प्रिंसिपल सेक्रेटरी बनाया गया है. पीएम मोदी ने यह पद अपने सबसे भरोसेमंद नौकरशाह को पीएमओ में करीब रखने के लिए सृजित किया था.
- पीके मिश्रा को महत्वाकांक्षी स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय मिशन का पदेन मिशन निदेशक का प्रभार भी दिया गया था.
- पीके मिश्रा को प्रधानमंत्री मोदी का काफी करीबी माना जाता है. वह मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान 2001 और 2004 के बीच उनके प्रधान सचिव थे.
- मूल रूप से ओडिशा के रहने वाले मिश्रा ने मोदी के आरएसएस प्रचारक से गुजरात का मुख्यमंत्री बनने में केंद्रीय भूमिका निभाई थी.
- बाद में मिश्रा के 2008 में रिटायर होने के एक दिन बाद मोदी ने उनको गुजरात विद्युत विनियामक आयोग का अध्यक्ष बना दिया था
- बतौर प्रशासक अपने चार दशक के लंबे करियर में मिश्रा केंद्र सरकार और गुजरात सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे
- शरद पवार के कृषि मंत्री के कार्यकाल के दौरान वह एक दिसंबर, 2006 से लेकर 31 अगस्त, 2008 तक कृषि सचिव थे और उनको राष्ट्रीय कृषि विकास कार्यक्रम और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन लागू करने का श्रेय जाता है. उनके कार्यकाल में कृषि क्षेत्र की जीडीपी में काफी वृद्धि हुई
- बाद में वह नेशनल कैपिटल रीजन प्लानिंग बोर्ड के सदस्य सचिव और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सचिव रहे
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