नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) को पैगंबर मोहम्मद (Prophet Muhammad) के खिलाफ विवादस्पद टिप्पणी मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. SC ने बीजेपी से निष्कासित नूपुर शर्मा के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उनके खिलाफ अलग-अलग राज्यों में दर्ज मामलों को क्लब (एक साथ मिलाने) करने की उनकी याचिका को स्वीकार कर लिया है और सभी FIRs को दिल्ली ट्रांसफर करने का आदेश दिया है ताकि उन्हें अलग-अलग राज्यों में अपना बचाव न करना पड़े.
जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने कोर्ट की निगरानी में मामले की जांच के लिए एक संयुक्त विशेष जांच दल के गठन के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा किए गए एक प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया.
दो जजों की इस बेंच ने कहा कि दिल्ली में FIR दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) यूनिट द्वारा दर्ज की गई है, जो एक विशेष एजेंसी है, और सुझाव दिया कि IFSO ही मामले की जांच करे.
SC ने यह भी कहा कि IFSO मामले की जांच के उद्देश्य से अन्य राज्यों से जानकारी जमा करने के लिए स्वतंत्र होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की भी अनुमति दी.
बैकग्राउंड
नूपुर शर्मा को जून के महीने में बीजेपी ने उस समय पार्टी प्रवक्ता के पद से निलंबित कर दिया गया जब पैगंबर मुहम्मद के बारे में उनकी टिप्पणियों के बाद भारत के अंदर और खाड़ी देशों में जमकर बवाल शुरू हो गया था. इसके बाद उनके खिलाफ कई राज्यों में FIR दर्ज की गयी थी.
1 जुलाई को हुई एक सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने नूपुर शर्मा को एक समाचार चैनल की बहस के दौरान पैगंबर पर उनकी टिप्पणी के बाद हुई हिंसा के लिए अकेले ही पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराया था.
सुनवाई के दौरान नूपुर शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से देश भर में उनके खिलाफ दर्ज सभी FIR को एक साथ जोड़ने और उन्हें दिल्ली में ट्रांसफर करने का अनुरोध किया था. उन्होंने दलील दी थी कि अगर वह सुनवाई के लिए हर राज्य में जाती हैं तो उन्हें और उनके परिवार को सुरक्षा खतरों का सामना करना पड़ेगा.
बाद में, 19 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नूपुर शर्मा को पैगंबर पर उनकी टिप्पणियों को लेकर उनके खिलाफ दर्ज नौ मामलों में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने आज इस अंतरिम राहत को जांच खत्म होने तक के लिए बढ़ा दिया है.
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