ADVERTISEMENTREMOVE AD

ओला अब किराए से देगा साइकिल, जानिए पहले कहां लॉन्च होगी सर्विस?

ऐप बेस्ड साइकल सर्विस ‘ओला पेडल’ के नाम से शुरु होगी.  IIT कानपुर कैंपस में इन साइकलों का ट्रायल चल रहा है  

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

ओला साइकिल चलाइए और सेहत बनाइए. कैब और ऑटो के बाद अब ओला किराए पर साइकिल देना भी शुरू करने जा रही है. सस्ता, सेहतमंद और साफ पर्यावरण का वादा. ओला को लगता है कि उसकी कैब सर्विस की तरह साइकिल लेने वाले भी भरपूर होंगे

ये समझिए कि साइकिल चलाएंगे तो एक्सरसाइज ना कर पाने की गिल्टी फीलिंग भी नहीं रहेगी. तो समझ लीजिए ओला पैडल ऐप के जरिए साइकिल कैसे बुक होगी और कितना किराया लगेगा?

ADVERTISEMENTREMOVE AD

अगर आपका ऑफिस या कॉलेज घर से 5 किलोमीटर के दायरे में आता है, और आप ट्रैफिक जाम या महंगी यातायात सुविधाओं की वजह से खुश नहीं हैं, तो जल्द ही आपकी समस्या का एक अनोखा हल निकलने वाला है. ओला के मुताबिक कुछ दूरियां ऐसी होती हैं जिनके लिए लोग कैब नहीं लेना चाहते. लेकिन वहां तक पैदल जाना भी दूर पड़ता है. ऐसी ही दूरियों के लिए कंपनी 'ओला पैडल' नाम से साइकिल  शेयरिंग सर्विस ला रही है. कंपनी ने एक वीडियो जारी कर इसकी जानकारी दी है.

IIT कैंपस में हो रहा है ट्रायल

ओला इन दिनों आईआईटी कानपुर के कैंपस में इस साइकिल रेंटल सर्विस का पायलट प्रोजेक्ट के तहत टेस्ट कर रही है. फिलहाल कैंपस में 600 साइकिल के साथ योजना को परखा जा रहा है. अगर यहां ट्रायल सफल होता है, तो आने वाले समय में पूरे भारत के कई शहरों में इस सर्विस का दायरा बढ़ाया जाएगा. माना जा रहा है कि इस योजना से युवाओं में साइकिल का चलन बढ़ेगा और साथ ही यह पर्यावरण सुरक्षा की ओर भी एक बेहतर कदम होगा.

‘ओला पैडल’ के साइकल में एंटी स्लिप चेन लगी हैं, यानी साइकिल चलते वक्त चेन नहीं उतरेंगी. साथ ही इनमें पंक्चर प्रूफ टायर्स भी लगाए गए हैं, ताकि यूजर्स बेफिक्र होकर साइकिल की सवारी कर सकें.     
ADVERTISEMENTREMOVE AD

हाईटेक सुविधाओं से लैस होंगे साइकल

कैब बुकिंग की तरह 'ओला पैडल' सर्विस को भी मोबाइल एप के जरिये बुक किया जा सकेगा. सबसे खास बात है कि ये सर्विस आधार सेवाओं से जुड़ी होगी, यानी आपके अंगूठे की छाप से इसका लॉक खुल जाएगा और इसे आप कहीं भी ले जा सकते हैं. अपनी मंजिल पर पहुंचकर इसे आप वहां अनलॉक कर दें, जहां से अन्य यूजर इसे ले सकते हैं. इस तरह साइकिल की सिक्यूरिटी के लिहाज से भी आधार नंबर काफी कारगर साबित होगा. कंपनी का कहना है कि ट्रायल सफल होने के बाद सर्विस के अगले लॉट में इन साइकिलों को क्यूआर कोड और जीपीएस ट्रैकिंग की सुविधा से भी लैस कर दिया जाएगा.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×