मध्य प्रदेश सरकार और नेशनल हेल्थ मिशन द्वारा मार्च 2020 में जारी किया गया पब्लिक हेल्थ एडवाइजरी का वीडियो गलत संदर्भ के साथ वायरल किया जा रहा है. ये वही वक्त था जब कोरोना वायरस का संक्रमण शुरू हुआ था और इसके बाद एडवाइजरी में कई सारे बदलाव किए गए. अब इसी वीडियो के फिर से गलत दावों के साथ वायरल किया जा रहा है.
दावा
जो वीडियो वायरल किया जा रहा है उसमें बस स्टॉप पर तीन पुरुष और एक महिला दिख रही है तीनों पुरुषों ने मास्क लगाया हुआ है. वहीं महिला बिना मास्क के है. महिला ये कह रही है कि जिनको खासी, बुखार हो सिर्फ उनको मास्क लगाने की जरूरत है. स्वस्थ लोगों को कोई भी मास्क लगाने की जरूरत नहीं है.
वीडियो में जो महिला है वो स्टेथोस्कोप टांगे हुए हुए है जो दिखाता है कि वो महिला डॉक्टर है. जब महिला लोगों को समझाती है तो वहां के लोग मास्क उतार लेते हैं.
वीडियो के आखिरी में एक प्लेट दिखती है जिसमें मध्य प्रदेश सरकार और नेशनल हेल्थ मिशन का लोगो बना हुआ है.
लोग इसे इस दावे के साथ शेयर कर रहे हैं कि भारत सरकार ने कहा है कि स्वस्थ लोगों को मास्क नहीं लगाना है.
कई लोग स्माइल इमोजी डालकर भी इसे शेयर कर रहे हैं.
क्विंट को व्हाट्सएप के जरिए किसी यूजर से इस वायरल वीडियो के बारे में जानकारी मिली.
हमें क्या मिला?
हमने वीडियो को कई सारे की फ्रेम्स में तोड़ा और फिर उन इमेज से रिवर्स इमेज सर्च किया. इस सर्च के जरिए हम 18 मार्च 2020 को ग्वालियर कलेक्टर के फेसबुक अकाउंट से अपलोड किए गए वीडियो पर पहुंचे.
हमें जबलपुर के कलेक्टर के फेसबुक अकाउंट पर भी यही वीडियो मिला जो इसी तारीख को अपलोड किया गया था.
साफ तौर पर ये वीडियो पुराना है और इसे गलत संदर्भ के साथ शेयर किया जा रहा है. ये वीडियो कोरोना महामारी के भारत में आने के शुरुआती चरण में बनाया गया था. देश और दुनिया की कई सारी स्वास्थ्य संस्थाओं की भी तब तक यही गाइलाइन थी. बताया जाता था कि जो लोग बीमार हैं सिर्फ वही लोग मास्क लगाएं.
अप्रैल में जाकर मास्क लगाने को कोविड 19 से बचने के लिए अनिवार्य बताया गया.
इसलिए वायरल वीडियो में जो दावा किया जा रहा है कि 'सरकार ये पैरवी कर रही है कि सिर्फ बीमार लोगों को ही मास्क पहनना चाहिए' ये गलत है. पुराने सरकारी विज्ञापन को निकालकर इसे गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है.
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