जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि, पाकिस्तान के दबाव के कारण उमर अब्दुल्ला-महबूबा मुफ्ती ने पंचायत चुनाव में हिस्सा नहीं लिया. उन्होंने कहा, जम्मू कश्मीर में अपने कार्यकाल के दौरान हिंसा रहित पंचायत चुनाव कराने में उन्होंने सफलता हासिल की थी. इसके बावजूद केंद्र शासित प्रदेश के शीर्ष नेता पाकिस्तान के दबाव में सहयोग नहीं कर रहे थे.
बता दें, सत्यपाल मलिक ने अक्टूबर 2019 तक जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के रूप में कार्य किया, जिसके बाद उन्हें गोवा का राज्यपाल नियुक्त किया गया.
'प्रोटोकॉल तोड़कर उमर और महबूबा से मिला था'
सत्यपाल मलिक ने कहा, “पीएम मोदी ने कहा था कि हम जम्मू कश्मीर में पंचायत चुनाव कराएंगे. इसके लिए मैं प्रोटोकॉल तोड़कर उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती से मिलने उनके आवास पर गया. लेकिन उन्होंने पाकिस्तान के दबाव में भाग लेने से इनकार कर दिया.” उन्होंने आगे कहा,
“आतंकवादियों ने धमकी दी थीं, हुर्रियत ने उनका बहिष्कार किया. कुछ स्थानों पर रोक लगाई गई. लेकिन फिर भी चुनाव सफलतापूर्वक हुए और चुनाव के दौरान कोई हिंसा नहीं हुई.”सत्यपाल मलिक
उन्होंने यह भी कहा कि तत्कालीन प्रशासन ऐसा करने में सक्षम था क्योंकि केंद्र शासित प्रदेश के लोगों ने इस प्रणाली को स्वीकार कर लिया था, क्योंकि ये उन्हें लाभ पहुंचा रहा था.
'सभी के लिए खोल दिया था राजभवन'
मलिक ने अपने जम्मू कश्मीर के कार्यकाल के बारे में बताते हुए कहा कि, मैंने सभी के लिए राजभवन खोल दिया था. मैंने अपने सभी सलाहकारों को सप्ताह में एक बार लोगों की शिकायतें सुनने का काम सौंपा था. मेरे कार्यकाल में 95 हजार शिकायतें आईं, जिसमें से 93 हजार को मैंने गोवा आने से पहले ही हल कर दिया था. इससे लोग सहज महसूस कर रहे थे और सरकार के प्रति गुस्सा कम था.
मलिक ने ये भी बताया कि, राज्य में करीब 50 हजार सरकारी नौकरियां खाली पड़ी हैं. हमने घोषणा की थी कि हम 50 हजार कश्मीरी युवाओं को नौकरी देंगे. मुझे उम्मीद है कि सरकार उन्हें जल्द ही लोगों को देगी.
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