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उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर PSA लगने की ये रही वजह? 

पुलिस ने डॉजियर में लिखा कि उमर का कश्मीर के लोगों पर खासा असर है.

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जम्मू-कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के खिलाफ पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत मामले दर्ज किए जाने की वजह अब सामने आई है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक डोजियर में पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत हिरासत में लिए जाने की वजह बताई है.

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पुलिस ने डॉजियर में लिखा कि उमर अब्दुल्ला का कश्मीर के लोगों पर खासा असर है, वो अपनी कट्टर विचारधारा को छिपाने के लिए राजनीति का इस्तेमाल कर रहे थे, और केंद्र सरकार के खिलाफ गतिविधियों की योजना बना रहे थे. साथ ही महबूबा मुफ्ती पर राष्ट्र विरोधी बयान देने का आरोप है.

बता दें कि उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को पिछले साल 5 अगस्त से ऐहतियातन तौर पर हिरासत में लिया गया है. ये दोनों जम्मू-कश्मीर से आर्टिल 370 और 35ए के हटने के बाद से ही हिरासत में हैं. दोनों नेताओं को तब पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया है, जब उनकी एहतियाती हिरासत की सीमा खत्म ही होने वाली थी.

उमर अब्दुल्ला पर क्या आरोप लगे हैं?

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने जो डोजियर तैयार किया है उसमें ये बातें लिखी हैं कि उमर अबदुल्ला से लोग इतने प्रभावित हैं कि आतंकवादियों की धमकी के बावजूद उमर के कहने पर बड़ी संख्या में लोग पोलिंग बूथ तक पहुंचे थे.

साथ ही पीएसए डोजियर में ये भी लिखा है,

“...ये बात साफ है कि सब्जेक्ट (उमर) मुख्यधारा के राजनेता हैं, वह राजनीति की आड़ में भारत के खिलाफ अपनी गतिविधियों की योजना बना रहे थे और भोली जनता के समर्थन का फायदा उठाते हुए वह इस तरह की गतिविधियों को अंजाम देने में सफल रहे हैं.”

“ट्विटर पर उमर थे एक्टिव, लोगों को भड़का सकते थे”

माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर बड़ी संख्या में लोग उमर अब्दुल्ला को फॉलो करते हैं, इसी का जिक्र करते हुए डॉजियर में उनपर आरोप लगा है कि आर्टिकल 370 को निरस्त करने के फैसले का विरोध करते हुए ट्विटर पर लोगों को राष्ट्र की एकता और अखंडता के खिलाफ भड़काने की उन्होंने कोशिश की. हालांकि, डॉजियर में पुलिस ने उमर की किसी भी सोशल मीडिया पोस्ट का जिक्र नहीं किया.

महबूबा ने बैन संगठन को समर्थन दिया- पुलिस

पुलिस ने कहा कि महबूबा मुफ्ती ने देश विरोधी बयान दिए. उन्होंने जमात-ए-इस्लामिया जैसे संगठनों को समर्थन दिया, जिन पर यूएपीए एक्ट के तहत बैन लगाया गया है. उन्होंने अपने बयान में कहा कि सुरक्षा बल आतंकियों की हत्या कर रहे हैं.

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