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घोटाले के आरोप पर भड़के रिजिजू- न्यूज प्लांट करने वाले जूते खाएंगे

करप्शन के आरोपों पर मोदी सरकार के मंत्री का विवादित बयान

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भारत
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अरुणाचल प्रदेश की पनबिजली परियोजना में हुए कथित भ्रष्टाचार की रिपोर्ट में नाम सामने आने पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. इससे पहले भ्रष्‍टाचार मामले से जुड़ी रिपोर्ट सामने आने पर कांग्रेस ने केंद्र सरकार को निशाने पर लिया था, जिसके बाद अब मोदी सरकार के मंत्री रिजिजू ने पलटवार किया है.

ये जो खबरें प्लांट कर रहे हैं, हमारे यहां आएंगे, तो जूते खाएंगे. लोगों की सेवा करना भ्रष्टाचार है क्या? ये खबर किसी ने बदमाशी करके प्लांट की है. हां लेटर मैंने लिखा है, लेकिन उसमें ऐसा कुछ नहीं है. ये कोई मुद्दा नहीं है.
किरण रिजिजू, केंद्रीय मंत्री
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मोदी सरकार के मंत्री पर भ्रष्टाचार का आरोप ?

अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्‍सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक, अरुणाचल प्रदेश के 600 मेगावाट कामेंग हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्‍ट के तहत दो बांधों के निर्माण में कथित रूप से भ्रष्‍टाचार हुआ. ये अरुणाचल प्रदेश के सबसे बड़े प्रोजेक्‍टों में शुमार है. इसका निर्माण सार्वजनिक उद्यम नॉर्थ ईस्‍टर्न इलेक्ट्रिक पॉवर कॉरपोरेशन (एनईईपीसीओ) द्वारा किया जा रहा है. किरण रिजिजू के कजिन गोबोई रिजिजू इस प्रोजेक्‍ट में कॉन्ट्रेक्‍टर हैं.

इस कंपनी के चीफ विजिलेंस ऑफिसर सतीश वर्मा ने अपनी 129 पेज की रिपोर्ट में गोबोई रिजिजू, कंपनी के चेयरमैन, मैनेजिंग डायरेक्‍टर समेत कई बड़े अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं. यह प्रोजेक्‍ट अरुणाचल के वेस्‍ट कामेंग जिले में पड़ता है. इसी संसदीय सीट से किरण रिजिजू सांसद हैं.

हालांकि रिजिजू ने तमाम आरोपों को खारिज किया है. उन्होंने कहा कि वह तो केवल लोगों की मदद कर रहे हैं. रिजिजू का दावा है कि उन्होंने किसी बड़े ठेकेदार के लिए चिट्ठी नहीं लिखी, बल्कि स्थानीय लोग, जो प्रॉजेक्ट की चीजें सप्लाई कर रहे हैं, उनके लिए लिखी थी.

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क्या है पूरा मामला?

चीफ विजिलेंस ऑफिसर सतीश वर्मा ने इसी साल जुलाई महीने में अपनी रिपोर्ट सीबीआई, सीवीसी और ऊर्जा मंत्रालय को भेजी थी. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि कॉन्ट्रैक्‍टर, एनईईपीसीओ अधिकारियों और वेस्‍ट कामेंग जिला प्रशासन की मिलीभगत से भ्रष्‍टाचार किया गया. इसमें एनईईपीसीओ और सरकारी फंड के तकरीबन 450 करोड़ रुपये तक के फ्रॉड की बात कही गई है.

रिपोर्ट मिलने के बाद से लेकर अब तक सीबीआई दो बार औचक निरीक्षण कर चुकी है, लेकिन अभी तक इस मामले में कोई भी एफआईआर दर्ज नहीं की गई है. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी सतीश वर्मा का त्रिपुरा में सीआरपीएफ में ट्रांसफर कर दिया गया है.

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