ONDC यानि ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स. Amazon, Flipcart जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों के आगे रिटेलर तबाह न हो जाएं इसलिए सरकार इस प्लेटफॉर्म को इस साल देशभर में लॉन्च करने जा रही है. फिलहाल इस प्लेटफॉर्म का ट्रायल अप्रैल में पांच शहरों में शुरू किया गया जिसमें दिल्ली, बेंग्लुरु, भोपाल, शिलॉन्ग और कोयम्बटूर शामिल हैं यानि इन जगहों के सेलर और बायर को जोड़ कर प्रोजेक्ट को टेस्ट किया जा रहा है.
ONDC का मकसद
ऑनलाइन मार्केट में जहां एमेजॉन, फ्लिकार्ट जैसे ई-कॉमर्स एप का दबदबा हैं वहां छोटे विक्रेताओं को सशक्त करने के लिए इस प्लेटफॉर्म को लाने की तैयारी की जा रही है. ONDC को समझने में कई टेक्निकल शब्दों का इस्तेमाल करना पड़ेगा इसलिए उससे पहले आसान भाषा और उदाहरण के साथ इसे समझते हैं. चूंकी ये प्लेफॉर्म अब तक इस्तेमाल में नहीं आया है इसलिए इसे लेकर कम जानकारियां हैं.
मान लीजिए A और B दोनों कपड़ों का व्यापार करते हैं. A अपने कपड़ों को एमेजॉन पर बेचता है, उसके कपड़ों की विजिबलिटी ज्यादा है और इसलिए उसकी सेल्स भी ज्यादा है क्योंकि उसने खुद को एमेजॉन पर रजिस्टर कर लिया है. लेकिन उधर उसी क्वालिटी/कीमत पर कपड़े बेचने वाला B किसी शहर के कोने में कपड़े बेचता है लेकिन ना ही लोग उस तक पहुंच पा रहे हैं और ना ही उसकी सेल्स बढ़ पा रही है.
ऐसे में ONDC प्लेटफॉर्म जो कि एक ओपन नेटवर्क है- इस पर हर कोई सेलर अपने आप को इस प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर करके व्यापार कर सकेगा. एक ही प्लेटफॉर्म पर आपको मशहूर से मशहूर और आपके घर के पड़ोसी की दुकान का सामान दिखेगा और आप उसे खरीद पाएंगे.
इस प्लेटफॉर्म के जरिए आप केवल सामान ही नहीं बल्कि खाना ऑर्डर कर सकेंगे, टिकट बुक कर सकेंगे, होटेल बुकिंग और जितनी भी आप ऑनलाइन सर्विसेस लेते हैं वो आपको इस प्लेटफॉर्म पर एक ही जगह पर मिल पाएंगी.
ये ओपन सोर्स क्या होता है?
ओपन सोर्स को बेहतर तरीके से समझने के लिए एंड्रॉइड और आई फोन का उदाहरण लिया जा सकता है. एंड्रॉइड एक ओपन सोर्स है. एंड्रॉइड आपको विवो, ओप्पो, गूगल, एमआई जैसे अनेक फोन में दिखता है लेकिन सारे फोन का इंटरफेस अलग-अलग होता है. क्योंकि ये सारी कंपनिया अपने तरीके से एंड्रॉइड को संशोधित कर लेती हैं.
लेकिन आई फोन क्लोस्ड सोर्स है. मतलब इसके आईओएस के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकता है, और इसीलिए ये टेकनॉलजी केवल आईफोन यूजर्स को ही इस्तेमाल करने को मिलती हैं.
पहले ऑनलाइन पेमेंट के लिए जैसे पेमेंट करने वाले और पेमेंट रिसीव करने वाले को पेटीएम डाउनलोड करना होता था. लेकिन जब से यूपीआई आया तब से आपको किसी एक एप की जरूरत नहीं है. आप एप कोई सा भी डाउनलोड करें फिर भी आप पेमेंट कर सकते हैं. जैसे गूगल पे वाला किसी फोनपे वाले को पेमेंट कर सकता है, और इसे यूपीआई संभव बना पाया.
कितना व्यापक है प्लेटफॉर्म?
बिजनेस स्टैंडर्ड ने सूत्रों के हवाले से बताया कि, फोनपे, पेटीएम, सेलर एप, Dunzo, माइक्रोसॉफ्ट, टैली, गुडबॉक्स, ई-समुदाय ONDC के साथ जुड़ चुके हैं.
इस नेटवर्क के साथ जुड़ने के लिए ई-कॉमर्स के 80 से अधिक कंपनियों के साथ चर्चा जारी है. इनमें इंडिया पोस्ट, भीम, गूगल पे, रिलायंस रिटेल, मैक्स होलसेल, मेट्रो ब्रांड्स, जोहो, शॉपर्स स्टॉप, गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस, पे नियरबी और सैमसंग शामिल हैं.
ओएनडीसी के एमडी और सीईओ टी कोशी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि ओएनडीसी ने फरवरी में माइक्रोसॉफ्ट और अन्य छोटे स्टार्ट-अप सहित 140 संस्थाओं के साथ एक हैकथॉन का कार्यक्रम रखा जिसमें उस प्लेटफॉर्म को हैक करने के लिए मंच दिया गया था.
सूत्रों के अनुसार ओएनडीसी में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज, नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, बीएसई, सीडीएसएल, क्यूसीआई, प्रोटीन, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक, एचडीएफसी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक, सिडबी, पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, नाबार्ड, बैंक ऑफ बड़ौदा ने निवेश किया है.
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