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'एक देश एक चुनाव' पर बनी कमेटी का एलान, शाह के अलावा 8 लोग, अधीर रंजन का इनकार

कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' को लेकर केंद्र द्वारा गठित 8 सदस्यीय समिति का हिस्सा बनने के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया है.

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केंद्र की मोदी सरकार ने 'एक देश, एक चुनाव' (One Nation, One Election) की दिशा में अपने कदम बढ़ा दिए हैं. लॉ मिनिस्ट्री ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर दी है. इसके साथ ही कमेटी के सदस्यों के नामों की घोषणा भी कर दी गई है. समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक, इस कमेटी 8 लोगों को शामिल किया है, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को भी जगह दी गई है.

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हालांकि, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' को लेकर केंद्र द्वारा गठित 8 सदस्यीय समिति का हिस्सा बनने के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया है.

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 8 सदस्ययी कमेटी का गठन किया गया है. कमेटी के अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हैं. इनके अलावा एनके सिंह, गुलाम नबी आजाद, सुभाष कश्यप, हरीश साल्वे, संजय कोठारी को भी शामिल किया गया है.

बता दें, एनके सिंह 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं. सुभाष काश्यप संविधान के जानकार हैं और कई किताबें लिख चुके हैं. वहीं, हरीश साल्वे वरिष्ठ वकील हैं. संजय कोठारी पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त हैं. जबकि, गुलाम नबी आजाद पूर्व कांग्रेस नेता हैं और राज्यसभा में विपक्ष के नेता रह चुके हैं.

केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल को इस समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर रखा गया है. कानूनी मामलों के विभाग के सचिव नितेन चंद्रा को इस समिति का सचिव नियुक्त किया गया है.

कमेटी कैसे काम करेगी?

बता दे, कमेटी राजनीतिक दलों, नेताओं के साथ आम लोगों से सलाह मशविरा करेगी. उनकी राय लेगी. इसके बाद एक ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा. इसके बाद सरकार कानून बनाने के लिए आगे बढ़ेगी और संसद में बिल लेकर आएगी.

'एक देश, एक चुनाव', इसका मतलब क्या है?

दरअसल, भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं. 'एक देश, एक चुनाव' का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव होंगे, यानी मतदाता लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय पर या चरणबद्ध तरीके से अपना वोट डालेंगे.

कब कब हुए देश में एक साथ चुनाव?

बता दें, आजादी के बाद पहला चुनाव एक साथ ही साल 1952 में हुआ. इसके बाद 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही हुए, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं. उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई. इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई.

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