केंद्र सरकार के द्वारा 18 से 22 सितंबर तक संसद के विशेष सत्र (Parliament Special Session) के ऐलान के एक दिन बाद शुक्रवार, 1 सितंबर को "एक राष्ट्र, एक चुनाव" (One Nation, One Election) की संभावनाओं पर विचार करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है. इस संबंध में जल्द ही नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता है.
TOI की रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी सूत्रों ने समिति के गठन की पुष्टि की है. बता दें कि संसद के विशेष सत्र के लिए एजेंडा अभी तक सामने नहीं आया है.
रिपोर्ट के मुताबिक समिति का गठन न केवल इस संबंध में जल्द ही एक कानून लाने की स्थिति तलाशने के लिए किया गया है, बल्कि आम सहमति और कानून को सुचारू रूप से पारित करने के लिए अन्य राजनीतिक दलों तक पहुंचने के लिए भी किया गया है.
प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से ही नरेंद्र मोदी "एक राष्ट्र, एक चुनाव" के समर्थक रहे हैं. पीएम मोदी कई बार इसका सुझाव भी दे चुके हैं.
बता दें कि 1967 तक लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते थे लेकिन कुछ राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद यह चलन टूट गया.
"एक राष्ट्र,एक चुनाव" पर चर्चा की जरूरत है- कांग्रेस नेता
'एक राष्ट्र एक चुनाव' की संभावना तलाशने के लिए केंद्र द्वारा पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द के नेतृत्व में एक समिति गठित करने की रिपोर्ट पर कांग्रेस नेता भाई जगताप ने PTI से बात करते हुए कहा कि
इस (एक राष्ट्र, एक चुनाव) पर बहुत ज्यादा चर्चा की अनिवार्य जरूरत है. हालांकि, इससे साबित होता है कि बीजेपी INDIA से डरती है, इसलिए यह कदम उठाया गया है.
शिवसेना (UBT) गुट के नेता अनिल देसाई ने कहा कि 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' चाहे जो भी अवधारणा हो, उसे विभिन्न राजनीतिक दलों के सामने रखने की जरूरत है और फिर विचार, योगदान, विचार-विमर्श और चर्चा होगी और फिर फैसला आएगा.
PTI की रिपोर्ट के मुताबिक CPI महासचिव डी राजा ने कहा कि सरकार राजनीतिक दलों और संसद से परामर्श के बिना एकतरफा निर्णय कैसे ले सकती है?
"ये एक साजिश है,इनके मन में डर है"
शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने कहा कि मुझे लगता है कि ये एक चुनाव आगे करने के लिए एक साजिश है, ये लोग चुनाव नहीं कराना चाहते...ये लोग INDIA से डर गए हैं, इनके मन में डर है इसलिए नया-नया फंडा लेकर आते हैं.
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