ADVERTISEMENTREMOVE AD

512 Kg प्याज के सिर्फ ₹2! किसानों को रुला रहा प्याज, कीमत गिरने की वजह क्या है?

Onion Farmers in crisis: किसानों ने पूरे एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी- लासलगांव में प्याज के खरीद-बिक्री पर रोक लगाई

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

भारत के किसानों से वादा था दोगुनी आमदनी का, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और नजर आ रही है. हालत यह है कि भारत ही नहीं पूरे एशिया में प्याज के सबसे बड़े होलसेल मार्केट- नासिक के लासलगांव में ही प्याज किसान हतास-परेशान (Onion Farmers in crisis) हैं. वजह है प्रति किलो प्याज के लिए उन्हें केवल 2 से 4 रुपए तक मिल रहे हैं. आखिर में कीमतों में गिरावट परेशान होकर किसानों ने सोमवार, 28 फरवरी को महाराष्ट्र के नासिक जिले के इस लासलगांव मंडी (Lasalgaon wholesale market) में प्याज के खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी.

कुछ ही दिन पहले आपने सोलापुर जिले के बरशी तालुका के बोरगांव के प्याज किसान राजेंद्र तुकाराम चव्हाण की कहानी सुनी होगी. सोलापुर थोक बाजार में अपना 512 किलो प्याज बेचने और सभी खर्चों की कटौती के बाद उन्हें 2 रुपये का चेक मिला था.

यहां समझने की कोशिश करते हैं कि लासलगांव मंडी में प्याज के दाम कितने तक गिरे हैं, इसकी वजह क्या है और ये प्याज किसान सरकार से क्या मांग कर रहे हैं.

512 Kg प्याज के सिर्फ ₹2! किसानों को रुला रहा प्याज, कीमत गिरने की वजह क्या है?

  1. 1. किसानों को रुला रहा प्याज, लागत निकलना भी मुश्किल

    इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार 9 फरवरी तक लासलगांव में प्याज 1,000-1,100 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा था, और किसान किसी तरह लागत निकाल पा रहे थे. लेकिन कीमतें 10 फरवरी को 1,000 रुपये से नीचे और 14 फरवरी तक 800 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गईं.

    आगे यह स्थिति और बदतर हो गयी. पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार सोमवार, 27 फरवरी को जब बाजार खुला और नीलामी की प्रक्रिया शुरू हुई तो प्याज का न्यूनतम मूल्य 200 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया जबकि अधिकतम भाव 800 रुपये प्रति क्विंटल का मिला. मंडी में प्याज का औसत भाव 400-450 रुपये प्रति क्विंटल रहा.

    किसानों के लिए यह कितना बड़ा झटका है, यह समझने के लिए आप पिछले साल की कीमत देखिये. पिछले साल मार्च की शुरुआत में यहां 2,000 रुपये से 2,500 रुपये प्रति क्विंटल का रेट चल रहा था.

    Expand
  2. 2. प्याज किसानों से खरीद मूल्य के गिरने की वजह क्या है?

    इसे समझने के लिए आपको प्याज की खेती का चक्र समझना पड़ेगा. दरअसल प्याज किसान साल में तीन फसलें उगाते हैं:

    • खरीफ (जून-जुलाई में बोई जाती है और सितंबर-अक्टूबर में काटी जाती है)

    • पछेती-खरीफ (सितंबर-अक्टूबर में लगाई जाती है और जनवरी-फरवरी में काटी जाती है)

    • रबी (दिसंबर-जनवरी में रोपी जाती है और मार्च-अप्रैल में काटी जाती है)

    आपको बता दें कि मंझोले और बड़े किसान इन कटी हुई फसल को एक बार में नहीं बेचते; बल्कि आम तौर पर किश्तों में बेचते हैं. ऐसा वे यह सुनिश्चित करने के लिए करते हैं कि मंडी में एकसाथ बहुत प्याज न आ जाए और उन्हें घाटे का सौदा न करना पड़ा.

    लेकिन प्याज को स्टोर करना इतना भी आसान नहीं. वजह है इसमें मौजूद नमी. खरीफ और पछेती-खरीफ, इसमें उगने वाले प्याजों में बहुतनमी होती है. इसलिए इन्हें अधिकतम चार महीने तक स्टोर किया जा सकता है. जबकि रबी फसल वाले प्याज को कम नमी के कारण लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है.

    प्याज की कीमत में मौजूदा गिरावट का सबसे बड़ा कारण फरवरी के दूसरे सप्ताह के बाद से तापमान में अचानक वृद्धि है. उच्च नमी वाले प्याजों में अधिक गर्मी से गुणवत्ता खराब होने का खतरा होता है, वे अचानक सूखने के कारण सिकुड़ जाते हैं.

    यही कारण है कि किसान अब खरीफ के साथ-साथ अपने पछेती-खरीफ में उगाए गए प्याजों को भी मंडी में बेंचने ला रहे हैं. अर्थशास्त्र का नियम कहता है कि जैसे ही किसी वस्तु की सप्लाई बढ़ती है, उसकी कीमत कम होने लगती है. लासलगांव से लेकर भारत के तमाम मंडियों में प्याज किसानों के साथ यही हो रहा है.

    Expand
  3. 3. प्याज किसानों की सरकार से क्या मांग है?

    महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक संघ के अध्यक्ष, भरत दिघोले ने मांग की है कि सरकार 1,000 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम मूल्य तय करे और उस दर से नीचे कोई भी खरीद न होने दे. इसके अलावा, मांग की है कि सरकार को नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (नेफेड) को खरीद शुरू करने का निर्देश देना चाहिए.

    अखिल भारतीय किसान सभा के सचिव डॉ. अजीत नवले ने कहा कि सरकार को किसानों के लिए 600 रुपये प्रति क्विंटल मुआवजा घोषित करना चाहिए."

    किसान नेताओं ने प्याज के आयत पर रोक लगाने की मांग भी की है. अजीत नवले ने कहा है कि "केंद्र सरकार को आयात और निर्यात नीति में बदलाव करना चाहिए जिससे अन्य राज्यों को प्याज निर्यात करने में मदद मिलेगी. भारत में प्याज का पर्याप्त उत्पादन होता है, फिर भी हमारी सरकार व्यापारियों को बांग्लादेश से प्याज लाने की अनुमति दे रही है."

    "बांग्लादेश ने भारत से प्याज के आयात पर भारी टैक्स लगाया है. फिलीपींस और थाईलैंड में प्याज की कीमतें आसमान छू रही हैं. हमारी सरकार इन देशों के साथ बातचीत कर सकती है और ज्यादा से ज्यादा प्याज का निर्यात करे, ताकि हमारे किसानों को कम से कम अंतरराष्ट्रीय बाजार में उचित कीमत मिले."
    डॉ. अजीत नवले, सचिव, अखिल भारतीय किसान सभा

    पीएम मोदी ने एक दिन पहले ही PM किसान सम्मान निधि की 13वीं किस्त जारी की है. 2-2 हजार रुपए की किश्तों में गरीब किसानों को साल में 6 हजार रुपए मिल जाएंगे. लेकिन क्या 512 किलो प्याज बेचकर 2 रुपए का चेक लेने वाले किसान राजेंद्र तुकाराम चव्हाण अपने परिवार को 'सम्मान' के साथ पाल सकते हैं? यकीनन नहीं.

    (क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

    Expand

किसानों को रुला रहा प्याज, लागत निकलना भी मुश्किल

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार 9 फरवरी तक लासलगांव में प्याज 1,000-1,100 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा था, और किसान किसी तरह लागत निकाल पा रहे थे. लेकिन कीमतें 10 फरवरी को 1,000 रुपये से नीचे और 14 फरवरी तक 800 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गईं.

आगे यह स्थिति और बदतर हो गयी. पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार सोमवार, 27 फरवरी को जब बाजार खुला और नीलामी की प्रक्रिया शुरू हुई तो प्याज का न्यूनतम मूल्य 200 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया जबकि अधिकतम भाव 800 रुपये प्रति क्विंटल का मिला. मंडी में प्याज का औसत भाव 400-450 रुपये प्रति क्विंटल रहा.

किसानों के लिए यह कितना बड़ा झटका है, यह समझने के लिए आप पिछले साल की कीमत देखिये. पिछले साल मार्च की शुरुआत में यहां 2,000 रुपये से 2,500 रुपये प्रति क्विंटल का रेट चल रहा था.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्याज किसानों से खरीद मूल्य के गिरने की वजह क्या है?

इसे समझने के लिए आपको प्याज की खेती का चक्र समझना पड़ेगा. दरअसल प्याज किसान साल में तीन फसलें उगाते हैं:

  • खरीफ (जून-जुलाई में बोई जाती है और सितंबर-अक्टूबर में काटी जाती है)

  • पछेती-खरीफ (सितंबर-अक्टूबर में लगाई जाती है और जनवरी-फरवरी में काटी जाती है)

  • रबी (दिसंबर-जनवरी में रोपी जाती है और मार्च-अप्रैल में काटी जाती है)

आपको बता दें कि मंझोले और बड़े किसान इन कटी हुई फसल को एक बार में नहीं बेचते; बल्कि आम तौर पर किश्तों में बेचते हैं. ऐसा वे यह सुनिश्चित करने के लिए करते हैं कि मंडी में एकसाथ बहुत प्याज न आ जाए और उन्हें घाटे का सौदा न करना पड़ा.

लेकिन प्याज को स्टोर करना इतना भी आसान नहीं. वजह है इसमें मौजूद नमी. खरीफ और पछेती-खरीफ, इसमें उगने वाले प्याजों में बहुतनमी होती है. इसलिए इन्हें अधिकतम चार महीने तक स्टोर किया जा सकता है. जबकि रबी फसल वाले प्याज को कम नमी के कारण लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है.

प्याज की कीमत में मौजूदा गिरावट का सबसे बड़ा कारण फरवरी के दूसरे सप्ताह के बाद से तापमान में अचानक वृद्धि है. उच्च नमी वाले प्याजों में अधिक गर्मी से गुणवत्ता खराब होने का खतरा होता है, वे अचानक सूखने के कारण सिकुड़ जाते हैं.

यही कारण है कि किसान अब खरीफ के साथ-साथ अपने पछेती-खरीफ में उगाए गए प्याजों को भी मंडी में बेंचने ला रहे हैं. अर्थशास्त्र का नियम कहता है कि जैसे ही किसी वस्तु की सप्लाई बढ़ती है, उसकी कीमत कम होने लगती है. लासलगांव से लेकर भारत के तमाम मंडियों में प्याज किसानों के साथ यही हो रहा है.

प्याज किसानों की सरकार से क्या मांग है?

महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक संघ के अध्यक्ष, भरत दिघोले ने मांग की है कि सरकार 1,000 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम मूल्य तय करे और उस दर से नीचे कोई भी खरीद न होने दे. इसके अलावा, मांग की है कि सरकार को नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (नेफेड) को खरीद शुरू करने का निर्देश देना चाहिए.

अखिल भारतीय किसान सभा के सचिव डॉ. अजीत नवले ने कहा कि सरकार को किसानों के लिए 600 रुपये प्रति क्विंटल मुआवजा घोषित करना चाहिए."

किसान नेताओं ने प्याज के आयत पर रोक लगाने की मांग भी की है. अजीत नवले ने कहा है कि "केंद्र सरकार को आयात और निर्यात नीति में बदलाव करना चाहिए जिससे अन्य राज्यों को प्याज निर्यात करने में मदद मिलेगी. भारत में प्याज का पर्याप्त उत्पादन होता है, फिर भी हमारी सरकार व्यापारियों को बांग्लादेश से प्याज लाने की अनुमति दे रही है."

"बांग्लादेश ने भारत से प्याज के आयात पर भारी टैक्स लगाया है. फिलीपींस और थाईलैंड में प्याज की कीमतें आसमान छू रही हैं. हमारी सरकार इन देशों के साथ बातचीत कर सकती है और ज्यादा से ज्यादा प्याज का निर्यात करे, ताकि हमारे किसानों को कम से कम अंतरराष्ट्रीय बाजार में उचित कीमत मिले."
डॉ. अजीत नवले, सचिव, अखिल भारतीय किसान सभा

पीएम मोदी ने एक दिन पहले ही PM किसान सम्मान निधि की 13वीं किस्त जारी की है. 2-2 हजार रुपए की किश्तों में गरीब किसानों को साल में 6 हजार रुपए मिल जाएंगे. लेकिन क्या 512 किलो प्याज बेचकर 2 रुपए का चेक लेने वाले किसान राजेंद्र तुकाराम चव्हाण अपने परिवार को 'सम्मान' के साथ पाल सकते हैं? यकीनन नहीं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×