कोरोना वायरस संकट के बीच आने वाले दिनों में अब प्याज (Onion) भी आपको रुला सकती है. कुछ राज्यों की प्याज की फसलें खराब हुई हैं इसलिए वहां से प्याज की मंडियों में सप्लाई नहीं आ रही है. इसके अलावा भी महाराष्ट्र में भारी बारिश होने की वजह से भारी तादाद में प्याज के स्टॉक सड़ गए हैं. वहीं इस बार की फसल के लिए प्याज का जर्मिनेशन भी ठीक से नहीं हुआ है. तो इस तरह से प्याज महंगी होने को लेकर कई कारण बनते दिख रहे हैं.
प्याज की देश की सबसे बड़ी और मशहूर नासिक की लासलगांव की मंडी में प्याज की कीमतें बढ़ने की आंशका लगाई जा रही हैं. लासलगांव मंडी समिति के संचालक नाना साहेब पाटील ने क्विंट को बताया है कि अभी मंडी में प्याज का थोक भाव 2100-2200 रुपये प्रति क्विंटल है. लेकिन इसके जल्द ही बढ़ने की उम्मीद है.
प्याज के भाव बढ़ने के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं-
प्याज के भाव बढ़ने का सबसे अहम कारण है कि अभी प्याज की आवक कम है. आंध्र प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक राज्यों से प्याज का जो माल आता है इस बार वहां ज्यादा बारिश होने की वजह से फसलें खराब हुई हैं इसलिए सप्लाई कम है. व्यापारी बताते हैं कि इन राज्यों में लगी प्याज की फसलों का करीब 42-45% खराब हो गया है.
दूसरी अहम वजह ये है कि महाराष्ट्र में भी भारी बारिश होने की वजह से प्याज सीड जर्मीनेशन यानि रोप खराब हो गए हैं. इस वजह से व्यापारियों के बीच अनुमान है कि इस साल अक्टूबर नवंबर में आने वाली प्याज की सप्लाई कम रह सकती है. अनुमान है कि महाराष्ट्र में इस बार प्याज बुआई 25% कम हुई है.
गोडाउन में रखा हुआ प्याज भी भारी तादाद में सड़ गया है. वातावरण में लगातार हो रहे बदलाव की वजह से मौसम प्याज के अनुकूल नहीं रहा और प्याज सड़ी है.
व्यापारी बताते हैं कि कोरोना वायरस संकट के बाद लॉकडाउन लगा और अभी तक पूरी तरीके से बाजार ने रफ्तार नहीं पकड़ी है. कोरोना वायरस संकट की वजह से होटल इंडस्ट्री, फूड कोर्ट्स वगैरह सब बंद रहे. इस दौरान प्याज की डिमांड काफी गिर गई थी लेकिन अब जैसे जैसे डिमांड बढ़ रही है, भाव भी बढ़ रहे हैं. प्याज के भाव की बात करें थोक में प्याज का भाव 20-30 है, वहीं रिटेल में अभी प्याज की कीमतें 40-50 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई हैं.
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