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शुरू नहीं हो पाया करतारपुर के लिए रजिस्ट्रेशन, $20 फीस पर अड़ा पाक

करतारपुर साहिब, भारत की सीमा से सिर्फ तीन किलोमीटर दूर है

Published
भारत
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पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर जाने के लिए रविवार को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की शुरुआत होनी थी, लेकिन अभी तक ये शुरू नहीं हो सका है. इसकी वजह ये है कि पाकिस्तान अब भी 20 डॉलर फीस वसूली पर अड़ा हुआ है. इसके अलावा भी भारत-पाकिस्तान के बीच कुछ मुद्दों पर सहमति नहीं हुई है.

भारत और पाकिस्तान को तीर्थयात्रा के कुछ अनसुलझे मुद्दों पर शनिवार को एक समझौते पर हस्ताक्षर करने थे, लेकिन ऐसा अभी तक नहीं हुआ.

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मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा, "क्योंकि कुछ मुद्दों को हल किया जाना बाकी है, इसलिए करतारपुर तीर्थयात्रा के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन रविवार को शुरू नहीं किया जा सका."

बीजेपी सचिव आरपी सिंह का कहना है कि हर तीर्थयात्री से 20 डॉलर यानी करीब 1500 रुपये पाकिस्तान वसूलना चाह रहा है. करतारपुर कॉरिडोर खुलने पर हर दिन करीब पांच हजार सिख यात्री करतारपुर गुरुद्वारे जाएंगे. इस प्रकार एक साल में 200 करोड़ से ज्यादा रुपये कमाने पर पाकिस्तान की नजर है.

PM मोदी कॉरिडोर का करेंगे उद्घाटन

करतारपुर कॉरिडोर गुरुनानक देव की 550वीं जयंती पर खोला जाना है. आगामी आठ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कॉरिडोर का उद्घाटन करने वाले हैं. इस कॉरिडोर का काम भारत के हिस्से में पंजाब के गुरुदासपुर स्थित डेरा बाबा नानक से पाकिस्तान से लगी अंतर्राष्ट्रीय सीमा तक लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन पाकिस्तान के हिस्से में इस कॉरिडोर की प्रगति काफी धीमी है. अभी तक भारत की सीमा में रहकर तीर्थयात्री दूरबीन से गुरुद्वारे का दर्शन किया करते थे.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को घोषणा करते हुए कहा कि करतारपुर परियोजना अपने अंतिम चरण में है. ये परियोजना 9 नवंबर को जनता के लिए खोली जाएगी.

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भारत की सीमा से सिर्फ तीन किमी दूर

करतारपुर साहिब, भारत की सीमा से सिर्फ तीन किलोमीटर की दूरी पर पाकिस्तान के नारोवाल जिले में स्थित है. लाहौर से इसकी दूरी करीब 120 किमी है.

सिख धर्म के अनुयायियों के मुताबिक, अपनी चार यात्राओं को करने के बाद गुरु नानक देवजी 1522 से करतारपुर में ही निवास करने लगे थे. वो जीवन के आखिरी डेढ़ दशक करतारपुर में ही रहे थे. बाद में करतारपुर में उनकी याद में गुरुद्वारा बना.

पिछले 70 सालों से भारत में रहने वाले सिख वीजा फ्री दर्शन के लिए कॉरिडोर की मांग कर रहे थे. दोनों देशों की ओर से पहल के बाद पिछले साल नवंबर से कॉरिडोर का काम शुरू हुआ था. अब अगले महीने गुरुनानक देव की 550वीं जयंती पर तीर्थयात्रियों के लिए कॉरिडोर खोलने की मोदी सरकार ने मंजूरी दी है.

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