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सैलानियों का सैलाब! कोरोना संक्रमण रोकने के लिए क्या कर रहे टूरिस्ट सेंटर?

कोरोना काल में हिल स्टेशनों पर उमड़ रही भीड़, प्रशासन कर रहा सख्ती का दावा

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कोरोना के मामले कम होते ही राज्यों ने कोरोना को लेकर लगाई गई पाबंदियों में ढ़ील देना शुरू कर दिया है. जिसके चलते पर्यटकों ने हिल स्टेशनों और बाकी के पर्यटन स्थलों की ओर रुख करना शुरू किया है. आलम ये है कि भीड़ को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिंता जतानी पड़ी है. लेकिन असली सवाल ये है कि जिन राज्यों ने पर्यटकों के लिए अपने दरवाजे खोले हैं, वो कोरोना को लेकर क्या और कैसी सावधानी बरत रहे हैं? जानिए किस टूरिस्ट प्लेस का क्या हाल है.

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उत्तराखंड में हजारों पर्यटक

कोरोना नियमों में ढ़ील मिलते ही लोग घूमने के लिए पहाड़ी राज्यों की तरफ भागने लगे, जिसमें उत्तराखंड भी शामिल है. उत्तराखंड में पहले तो कोरोना को लेकर कई तरह की पाबंदियां लगाई गई थीं, लेकिन अब कई नियमों में छूट दी गई है. ऐसे में तमाम सैलानी उत्तराखंड के हिल स्टेशनों पर उमड़ रहे हैं.

पहाड़ों की रानी मसूरी में पिछले कुछ हफ्तों से पर्यटकों का तांता लगा हुआ है. आलम ये है कि यहां के होटलों में वीकेंड्स पर कमरे मिलने भी मुश्किल हो रहे हैं. यहां से आई तस्वीरों में देखा जा सकता है कि न तो लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं और न ही मास्क पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है.

मसूरी के अलावा नैनीताल में भी लगातार टूरिस्ट पहुंच रहे हैं. शहरों से आए लोगों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए यहां पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. फिर चाहे मॉल रोड पर घूमना हो या फिर झीलों का दीदार करना... हर जगह जमकर भीड़ पहुंच रही है. जिससे सोशल डिस्टेंसिंग का चाहते हुए भी पालन नहीं हो सकता है. उत्तराखंड के चोपता, तुंगनाथ, माणा, ऋषिकेश, उत्तरकाशी, लैंसडाउन और हद्वानी जैसी जगहों पर भी पर्यटक पहुंच रहे हैं.

प्रशासन की क्या तैयारी?

अब सवाल ये है कि कोरोना महामारी के बीच जब हजारों की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं तो प्रशासन इसके लिए कितना तैयार है और क्या एहतिहात बरती जा रही है? उत्तराखंड सरकार का दावा है कि सीमाओं पर कड़ी चेकिंग हो रही है और बिना कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट के किसी को भी घुसने नहीं दिया जा रहा है. साथ ही हिल स्टेशनों पर कोरोना नियमों का सख्ती से पालन कराया जा रहा है. वहीं होटल मालिकों का दावा है कि वो भी बिना कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट के किसी को भी कमरा नहीं दे रहे हैं.

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लेकिन उत्तराखंड में टूरिस्टों की आवाजाही को लेकर सच्चाई कुछ और ही है. दरअसल सीमाओं पर जितनी सख्ती का दावा किया जा रहा है, वो सख्ती जमीन पर नहीं है. कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट सिर्फ औपचारिकता की तरह है. ज्यादातर लोग एडिटेड पीडीएफ लेकर चल रहे हैं, वहीं कुछ जगहों पर तो किसी को रोका तक नहीं जा रहा है. इसी का नतीजा है कि मसूरी में तीन लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. बताया गया है कि इन लोगों के संपर्क में कई अन्य लोग भी आए हैं.

हिमाचल में भी हजारों की भीड़

उत्तराखंड के अलावा लोग हिमाचल के हिल स्टेशनों पर जाना पसंद करते हैं. कोरोना की दूसरी लहर थोड़ी कम हुई तो लोग हिमाचल के शिमला, मनाली और सोलन जैसे इलाकों में पहुंचने लगे. पिछलों दिनों सामने आई मनाली की तस्वीरों को लेकर सोशल मीडिया पर खूब गुस्सा दिखा. यहां हजारों की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं और कोरोना नियमों का पालन नहीं हो पा रहा है. इस भीड़ को देखकर कारोबारियों के चेहरों पर तो मुस्कान है, लेकिन कुछ लोग कोरोनाकाल में इस भीड़ को देखकर खौफ में हैं.

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कुछ ऐसा ही नजारा शिमला का भी है. जहां रोजाना सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. क्योंकि कोरोना के चलते पब्लिक ट्रांसपोर्ट अभी पूरी तरह से खुला नहीं है, इसीलिए लोग अपनी गाड़ियां लेकर यहां आ रहे हैं. जिससे लंबा जाम लग रहा है. साथ ही मॉल रोड और रिज एरिया में भारी भीड़ होने से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पा रहा.

14 जुलाई के आंकड़ों की बात करें तो सोलन से शिमला की तरफ 38 हजार से ज्यादा वाहन गए, वहीं शिमला से सोलन की तरफ करीब 39 हजार से ज्यादा गाड़ियां क्रॉस हुईं. कुल मिलाकर एक दिन में 78 हजार से ज्यादा गाड़ियों ने शिमला की सड़कों को पार किया. हालात ये हैं कि ट्रैफिक को चलाने के लिए कई अतिरिक्त पुलिसबल को तैनात करना पड़ा है.
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प्रशासन का दावा- सख्ती से हो रहा नियमों का पालन

उत्तराखंड की ही तरह हिमाचल प्रदेश सरकार का दावा है कि वो पर्यटकों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए तमाम तरह के कदम उठा रहे हैं. पुलिस प्रशासन दावा कर रहा है कि अब तक कोरोना नियमों का उल्लंघन करने वाले सैकड़ों लोगों से लाखों रुपये का जुर्माना वसूला गया है. साथ ही हिमाचल प्रदेश प्रशासन का ये भी दावा है कि राज्य की सीमाओं पर एंट्री के लिए सख्त चेकिंग की जा रही है.

महाराष्ट्र में भी खुले पर्यटन स्थल

पहाड़ी राज्यों के अलावा महाराष्ट्र में भी पर्यटन को खोल दिया गया है. अब आसपास के लोग यहां घूमने निकल रहे हैं. लोनावला, महाबलेश्वर, माथेरान, कर्जत, पालघर, इगतपुरी में पर्यटकों की भीड़ देखी जा सकती है. हालांकि सरकार की तरफ से कोरोना नियमों का सख्ती से पालन करने के आदेश है. कहा गया है कि किसी भी जगह ज्यादा भीड़ जमा नहीं होनी चाहिए. सभी जगहों की एंट्री पर पुलिस चेक पॉइंट्स लगाए गए हैं. साथ ही दावा किया जा रहा है कि होटलों और रिसॉर्ट्स में भी चेकिंग हो रही है. कई जगहों पर नगर पालिका और ग्राम पंचायत ने भी स्थानीय लोगों की टीम बना कर निगरानी करने के काम दिया है.

इसी तरह देश के अन्य राज्यों में भी लोगों को बढ़ती भीड़ देखकर कोरोना की चिंता सता रही है. दार्जलिंग में कोलकाता से ज्यादा कोरोना मामले सामने आ रहे हैं. जिससे स्थानीय लोगों में खौफ का माहौल है. यहां पर्यटकों के लिए कोरोना रिपोर्ट लाना जरूरी नहीं है.

केरल और तमिलनाडु में सरकार की सख्ती

तमिलनाडु की अगर बात करें तो यहां राज्य में कोरोना नियमों में ढील दी गई है. हालांकि यहां सभी हिल स्टेशनों को फिलहाल नहीं खोला गया है. यहां के मशहूर हिल स्टेशन कोडाइकनाल को 5 जुलाई को खोला गया था. जहां पार्कों में खासी भीड़ देखी गई थी, जिसके बाद प्रशासन ने एक बार फिर पार्क बंद करने का फैसला किया. फिलहाल ऊटी और अन्य जगहों को नहीं खोला गया है.

वहीं केरल में हर बात का खयाल रखा जा रहा है. इसीलिए अब तक राज्य में किसी भी टूरिस्ट प्लेस को नहीं खोला गया है. यहां के हिल स्टेशनों पर कोई भी नजर नहीं आ रहा. यहां के टूरिज्म मिनिस्टर ने कहा है कि जब तक वर्किंग सेक्टर से जुड़े लोगों का 100 फीसदी वैक्सीनेशन नहीं हो जाता है तब तक पर्यटकों के लिए हिल स्टेशनों को नहीं खोला जाएगा.

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क्यों खतरनाक है सैलानियों का सैलाब?

अब तमाम राज्य सरकारों का ये दावा है कि वो कोरोना संबंधी तमाम नियमों का पालन कर रहे हैं और सख्ती बरती जा रही है. लेकिन असल में ऐसा हो नहीं रहा है. इसीलिए ये ट्रेंड कोरोना की तीसरी वेव को न्योता देता नजर आ रहा है. राज्यों की सीमाओं पर पर्यटकों की सख्ती से चेकिंग नहीं हो रही है. हिमाचल में शिमला और आसपास के इलाकों में किसी भी गाड़ी को रोककर कोरोना रिपोर्ट या अन्य तरह की चेकिंग नहीं हो रही है. साथ ही होटलों में भी बिना किसी परेशानी के कमरे मिल रहे हैं. यानी अगर कोई कोरोना संक्रमित व्यक्ति है तो वो आसानी से लोगों के बीच जा सकता है और होटल में कमरा भी ले सकता है.

उत्तराखंड का भी कुछ ऐसा ही हाल है. यहां सिर्फ कागजों पर सख्ती नजर आ रही है. अगर आप पंजाब और हरियाणा से होते हुए उत्तराखंड की सीमा में घुसते हैं तो कहीं भी कोई चेक पोस्ट ऐसी नहीं है, जहां कोरोना रिपोर्ट मांगी जाए. हरिद्वार या देहरादून आसानी से पहुंचा जा सकता है. वहीं कुछ जगहों पर सिर्फ औपचारिकता की जा रही है, ज्यादातर लोग नकली कोरोना रिपोर्ट लेकर पहुंच रहे हैं और दूर से ही रिपोर्ट देखकर उन्हें आगे जाने दिया जा रहा है. यानी कुल मिलाकर अगर आगे कोरोना के मामले बढ़ते हैं या तीसरी लहर आती है तो इसके लिए इन राज्यों के प्रशासन की लापरवाही भी बड़ी जिम्मेदार होगी.

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