कोरोना वायरस से बचाव के लिए ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन 79 प्रतिशत तक कारगर है. अमेरिका में इस वैक्सीन के ट्रायल में यह बात सामने आई है. ट्रायल में वैक्सीन से बुखार और अन्य गंभीर बीमारी की रोकथाम में मदद मिली है.
30 हजार लोगों पर हुआ वैक्सीन का ट्रायल
यूके के दवा निर्माता ने सोमवार को 30 हजार वॉलंटियर्स पर हुए इस वैक्सीन के सफल और सुरक्षित परीक्षण का डेटा पब्लिश किया. इसमें बताया गया कि वैक्सीन उम्रदराज लोगों पर काफी प्रभावी साबित हुई.
वैक्सीन के परीक्षण में शामिल हुए एक चौथाई वॉलंटियर्स 65 साल से अधिक आयु के थे. इससे पहले पिछले साल हुई स्टडी में 65 साल से ज्यादा आयु के लोगों के शामिल नहीं होने की वजह से एक निर्णायक डेटा नहीं मिल पाया था.
ब्लड क्लॉटिंग की वजह से वैक्सीन पर उठे थे सवाल
कुछ दिनों पहले इस वैक्सीन के इस्तेमाल के बाद ब्लड क्लॉटिंग के मामले सामने आने पर टीके की विश्वसनीयता पर सवाल उठे थे. इसके बाद यूरोप के कई देशों में इस वैक्सीन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई थी.
हालांकि एस्ट्राजेनेका ने कहा है कि यूएस में किए गए परीक्षणों में ब्लड क्लॉटिंग की जांच को लेकर कमेटी ने विशेष समीक्षा की है. इनमें न्यूरोलॉजिस्ट की मदद से ब्रेन में रक्त का थक्का जमने का मामला देखने को नहीं मिला.
दवा निर्माता ने कहा 21,583 लोगों को दी गई वैक्सीन के पहले डोज में thrombosis या उससे जुड़े कोई प्रभाव देखने को नहीं मिले.
बॉयो फॉर्माक्यूटिकल्स के अधिकारी ने कहा कि, इस परीक्षण से वैक्सीन की विश्वसनीयता बढ़ेगी और यह कोविड-19 से बचाव में काफी प्रभावी साबित होगी. हम विश्वास है कि वैक्सीन से दुनियाभर में लोगों को कोरोना वायरस से बचाव में मदद मिलेगी.
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के अमेरिका में हुए इस परीक्षण को लेकर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कहा है कि एस्ट्राजेनेका की कोविड-19 वैक्सीन ट्रायल में 79 प्रतिशत तक असरदार साबित हुई है. जिससे बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने से राहत मिली है.
बता दें कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ऑक्सफोर्ड के साथ मिलकर भारत में कोविशील्ड वैक्सीन का निर्माण कर रहा है.
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