भारत कोविड महामारी से जूझ रहा है...राष्ट्रीय संकट की इस घड़ी में हर आदमी सरकार और सिस्टम से मदद की आस लगाए बैठा है..किसी को ऑक्सीजन, किसी को रेमेडिसविर इंजेक्शन तो किसी को अस्पताल पहुंचने के लिए एंबुलेंस चाहिए. केंद्र और राज्य सरकारें अपने स्तर पर हरसंभव कोशिशें कर रही हैं. लेकिन इस बुरे दौर में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मानवता दिखाने के बजाय मुनाफाखोरी में लगे हुए हैं.
ऑक्सीजन, एंबुलेंस के लिए मुंह मांगे दाम
देश के अलग-अलग हिस्सों में मुनाफाखोरी करने वाले कुछ लोग ऑक्सीजन, ऑक्सीजन सिलेंडर, एंबुलेंस और रेमेडिसविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करके महंगे दामों पर इन्हें बेच रहे हैं और अपनों की जान बचाने के लिए बेबस परिजन..मुंह मांगी कीमत पर इन्हें खरीदने को मजबूर हैं.
नोएडा की अमिता कुमारी ने क्विंट हिंदी को बताया कि, उनसे 20 लीटर के ऑक्सीजन के एक खाली सिलेंडर के लिए 42 हजार रुपए मांगे गए. वहीं एंबुलेंस से दिल्ली के लक्ष्मीनगर से ग्रेटर नोएडा जाने के लिए उनसे 8 हजार से लेकर 15 हजार रुपए तक मांगे गए. मजबूरी में उन्हें 8 हजार रुपए देकर एबुलेंस की व्यवस्था की.
यूपी से दिल्ली तक ऑक्सीजन की कालाबाजारी
कोरोना वायरस संक्रमण के इस दौर में जीवनरक्षक इंजेक्शन मानी जा रही रेमडेसिविर की कालाबाजारी में लखनऊ में 4 लोगों को गिरफ्तार किया. हैरानी की बात है कि इनमें दो डॉक्टर और दो एजेंट शामिल हैं. पुलिस ने इन चारों को एरा मेडिकल कॉलेज से गिरफ्तार किया है. इनके पास से 34 इंजेक्शन और करीब साढ़े चार लाख कैस बरामद किया गया. वहीं यूपी के कानपुर में ऑक्सीजन की कालाबाजारी करने पर गैस एजेंसी के मालिक को गिरफ्तार किया गया और 51 ऑक्सीजन सिलेंडर बरामद किए गए.
देश की राजधानी दिल्ली जहां ऑक्सीजन की सबसे ज्यादा किल्लत है और सीएम केजरीवाल केंद्र से लगातार अतिरिक्त ऑक्सीजन मुहैया कराने की अपील कर रहे हैं. उसी दिल्ली में पुलिस ने एक कारोबारी के घर छापा मारकर ऑक्सीजन के सिलेंडर बरामद किए. गिरफ्तार कारोबारी ऑक्सीजन की कालाबाजारी कर रहा था.
वहीं दिल्ली से सटे गुरुग्राम में सीएम फ्लाइंग स्क्वॉयड ने ऑक्सीजन की ब्लैक मार्केटिंग के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया. आरोपी व्यक्ति ऑक्सीजन को महंगे दामों पर बेच रहा था.
इसके अलावा देश के कई शहरों में ऑक्सीजन, बेड्स और रेमेडिसविर इंजेक्शन की किल्लत के बीच इनकी ब्लैक मार्केटिंग की खबरें लगातार सामने आ रही है. पीड़ित लोग इसकी शिकायत सरकार के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी कर रहे हैं.
सर्वे में भी सामने आया ब्लैक मार्केटिंग का सच
शासन और जनता के मुद्दों पर सर्वे कराने वाले एक सोशल मीडिया प्लेटफार्म के सर्वे में सामने आए आंकड़ों के मुताबिक, अस्पतालों में ICU बेड के लिए 55% मरीजों को किसी जुगाड़ या संपर्क की जरूरत पड़ी. वहीं, रेमडेसिविर जैसे कोविड मैनेजमेंट ड्रग्स के लिए 28% लोगों ने जुगाड़ या संपर्क का इस्तेमाल किया.
नेशनल ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल के मुताबिक, रेमडेसिविर उन कोविड मैनेजमेंट ड्रग्स में से एक है, जिन्हें अस्पातल में भर्ती कोविड मरीजों के लिए मंजूरी दे दी गई है. ब्रांड के हिसाब से 1,000 से 5,000 तक का बिकने वाला यह एंटीवायरल इंजेक्शन वर्तमान में ब्लैक मार्केट में 30 से 40 हजार में बिक रहा है.
कालाबाजारी रोकने के निर्देश नाकाम
स्थिति ये है कि एक तरफ तो केंद्र और राज्य सरकारें कोरोना की मारी जनता को ऑक्सीजन, दवा पर्याप्त मात्रा में दिलाने में नाकाम रही हैं और दूसरी तरफ वो इन चीजों की कालाबाजी भी नहीं रोक पाई है. केंद्र ने राज्यों से कालाबाजारी रोकने के निर्देश दिए हैं जरूर दिए हैं लेकिन जमीन पर पूरा असर नहीं दिख रहा.
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