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'आत्मनिर्भर भारत':बेड से ऑक्सीजन तक लोग खुद कर रहे एक-दूसरे की मदद

ऑक्सीजन लंगर, चेरिटी बेड्स जैसी मुहिम और श्रीनिवास बी वी जैसे कई लोग एक-दूसरे की मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं

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कोरोना के इस भयावह दौर में चारों तरफ कोहराम मचा हुआ है. ऑक्सीजन की किल्लत से लोगों के मरने की खबरें आई हैं. अस्पतालों में जगह नहीं है, दवाइयों में जमकर मुनाफाखोरी हो रही है. लेकिन इस कठिन वक्त की चुनौती का सामना जब सरकारी मशीनरी नहीं कर पाई तो हिंदुस्तानियों ने ही एक दूसरे के लिए हाथ बढ़ाया. सरकार से मदद न मिलती देख लोग खुद ही 'आत्मनिर्भर' होने लगे.

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कोई दवा पहुंचाने का काम कर रहा है, तो कोई टेक्नोलॉजी के जरिए सूचनाएं पहुंचा रहा है. कहीं धार्मिक जगहों पर लोगों को सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं. ऐसे बेनाम हीरो हजारों की तादाद में हैं तभी ये देश चल रहा है लेकिन हम यहां कुछ का ही जिक्र कर पाएंगे.

चेरिटी बेड्स

ईजीडाइनर के चेयरमैन कपिल चोपड़ा ने charitybeds.com नाम से एक वेबसाइट बनाई. इस वेबसाइट पर नई दिल्ली के अस्पतालों में उपलब्ध बेड की लाइव ट्रैकिंग की जाती है.

ट्विटर पर भी इसका हैंडल काफी सक्रिय रहता है. वहां से भी अस्पतालों के साथ दूसरी जरूरी स्वास्थ्य जानकारियां जैसे- ऑक्सीजन कहां उपलब्ध है, खास दवाईयां कहां मिल रही है, जैसी चीजों की जानकारी ले सकते हैं. कोरोना की पहली लहर के वक्त भी इस वेबसाइट ने काफी अच्छा काम किया था.

ऑक्सीजन लंगर

कोरोना महामारी के इस दौर पर में चारों तरफ ऑक्सीजन की कमी से हाहाकार मचा हुआ है. इस बीच इंदिरापुरम स्थित गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा लोगों की मदद करने आगे आया है. गुरुद्वारे की तरफ से ऑक्सीजन लंगर की शुरुआत की गई है. इसके तहत गुरुद्वारा लोगों को अस्पताल में बेड मिलने तक अपने परिसर में ही ऑक्सीजन उपलब्ध करवाता है.

बता दें गुरुद्वारा ऑक्सीजन सिलेंडर भरने या देने का काम नहीं कर रहा. बल्कि यह लोगों से अपने गाड़ियों में आकर गुरुद्वारे में ऑक्सीजन के इस्तेमाल की बात कह रहा है.

ट्विटर टूल्स

ट्विटर पर रेमडेसिविर, फेबिफ्लू, ऑक्सीजन जैसे की वर्ड्स के साथ ट्वीट की बाढ़ आ गई है. ऐसे में लोगों को अपनी काम की जानकारी खोजने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इस समस्या से निपटने का जिम्मा उठाया दिल्ली में रहने वाले वेब डिवेलपर अरनव गोसैन और बंगलुरू के उमंग गलैया ने.

इन्होंने ‘covidresources.vercel.app’ and ‘covid19-twitter.in’ नाम से दो टूल्स बनाए हैं. अरनव गौसैन के टूल के जरिए लोकेशन और रिसोर्स के आधार पर ट्वीट्स को फिल्टर किया जा सकता है. इन टूल में 39 बड़े शहरों को शामिल किया गया है. वहीं गलैया के टूल से हम ट्विटर के एडवांस सर्च फीचर में पहुंचते हैं.
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मुंबई: मस्जिद से सप्लाई हो रही फ्री ऑक्सीजन

मुंबई के कुंभरवाड़ा स्थित फूल मस्जिद से ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है. यहां ऑक्सीजन का बड़ा भंडारण किया गया है और पूरे इलाके में सप्लाई का काम किया जा रहा है. यह सेवा पिछले साल से जारी है. इसके लिए मस्जिद की तरफ से कोई शुल्क भी नहीं लिया जाता.

कोरोना से जुड़ी हर समस्या का समाधान करने की कोशिश करते हैं श्रीनिवास

श्रीनिवास बी वी: चाहे किसी शहर में प्लाज्मा पहुंचाने की बात हो, या कहीं अस्पताल में बेड की व्यवस्था, या फिर कहीं ऑक्सीजन उपलब्ध करवाना हो, इंडियन यूथ कांग्रेस के चीफ श्रीनिवास बीवी हर समस्या को हल करने की कोशिश करते हैं.

बहुत बड़ी संख्या में उन्होंने लोगों को मदद भी उपलब्ध करवाई है. श्रीनिवास ने इसके लिए अपनी पूरी टीम बनाई है, जिसके वालेंटियर जरूरतमंदों के साथ मिलकर काम भी करते हैं. लोग ट्विटर पर श्रीनिवास से मदद मांगते हैं और श्रीनिवास संबंधित जगह पर अपनी टीम के जरिए उस व्यक्ति की मदद करवाने की कोशिश करते हैं.

कुमार विश्वास: कवि से मददगार तक

प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास भी ट्विटर के जरिए जरूरतमंदों की आवाज आगे बढ़ा रहे हैं. चाहे रेमडेसिविर की बात हो, या अस्पताल में बेड दिलवाने की सोशल मीडिया के अलावा कुमार विश्वास कई बार संबंधित अधिकारियों से व्यक्तिगत तौर पर बात कर भी लोगों की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं.

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इस बीच किरण मजूमदार शॉ ने भी एक वेबसाइट external.sprinklr.com को शेयर किया है. इस वेबसाइट पर ट्विटर के ट्वीट्स को कैटेगरी (जैसे- इंजेक्शन, हॉस्पिटल बेड, प्लाज्मा और ऑक्सीजन सिलेंडर) के हिसाब से बांटा गया है. ऐसे में जरूरतमंदों को जरूरी मदद तक पहुंचना आसान हो जाता है.

मुंबई: बस स्टॉप को सेनेटाइज करता स्पाइडरमैन

इस बीच कई आम लोग भी अपने-अपने स्तर से मदद करने की कोशिश कर रहे हैं. इन्हीं में से एक हैं मुंबई में सार्वजनिक जगहों पर स्पाइडरमैन बनकर सेनेटाइज करने वाले अशोक कुर्मी. अशोक कुर्मी सोशल वर्कर हैं और सायन फ्रेंड सर्किल फाउंडेशन के प्रेसिडेंट हैं.

वे स्पाइडरमैन की कॉस्ट्यूम पहनकर खुद के शरीर को सुरक्षित रखते हैं और वे अलग-अलग इलाकों में घूमकर बस स्टैंड और बसों को सेनेटाइज करने का काम करते हैं. कुर्मी का कहना है कि उनकी ड्रेस के चलते लोग उनकी कोरोना जागरुकता से भरी बातों को याद भी रखते हैं.

लेकिन यह तो एक लंबी सूची के महज कुछ नाम हैं. कोरोना के दौर में लोग बढ़-चढ़कर कहीं सोशल मीडिया, तो कहीं किसी वॉट्सऐप पर ग्रुप बनाकर लोगों की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं. कई लोग लंगर चला रहे हैं, तो कई लोग दूसरी जरूरी चीजों को लोगों के घरों तक पहुंचा रहे हैं.

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