‘‘इतिहास पर जब फिल्में बनाई जाती हैं, तो ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ कोई बर्दाश्त नहीं करेगा. पूरा देश एक स्वर में कह रहा है कि फिल्म में ऐतिहासिक मूल्यों से खिलवाड़ किया गया है, इसलिये मैं पूरे जोश और होश में यह कह रहा हूं कि ऐतिहासिक तथ्यों से खिलवाड़ कर अगर रानी पद्मावती के सम्मान के खिलाफ फिल्म में दृश्य रखे गए, तो उसका प्रदर्शन मध्य प्रदेश की धरती पर नहीं होगा.’’शिवराज सिंह चौहान, सीएम, मध्य प्रदेश
एक बार फिर साफ कर दें कि ऊपर का बयान किसी लोकल सेना या सेनानी का नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान का है. शिवराज ने 20 नवंबर को भोपाल में राजपूत क्षत्रिय समाज के लोगों को संबोधित ऐसा कहा था.
अब सुप्रीम कोर्ट के रुख से ये तय हो गया है कि राज्य सरकारें सुपर सेंसर बोर्ड का रोल नहीं अदा कर सकती हैं. साथ ही राज्य अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते.
'पद्मावत' पर इन राज्यों को पड़ी 'सुप्रीम' फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने पद्मावत की रिलीज पर बैन के गुजरात, राजस्थान और हरियाणा सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है. इसमें मध्य प्रदेश इसलिए बच गया, क्योंकि उसने इन तीन राज्यों की तरह कोई सरकारी आदेश जारी नहीं किया था.
इस तरह फिल्म पूरे देश में रिलीज होने का रास्ता साफ हो गया है. अदालत ने ये भी साफ कर दिया है कि कोई भी राज्य कानून-व्यवस्था खराब होने का हवाला देकर अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी से बच नहीं सकता.
इस मसले पर राज्यों के रुख और तर्क पर विस्तार से चर्चा जरूरी है.
'मियां की जूती' वाली कहावत का मतलब
कुछ राज्य कानून-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका जताते हुए फिल्म बैन करने का तर्क दे रहे थे. सुप्रीम कोर्ट ने इन राज्यों को फटकार लगाते हुए याद दिलाया कि कानून-व्यवस्था बरकरार रखना राज्यों की ही जिम्मेदारी है. वे अपनी इस जिम्मेदारी से बच नहीं सकते. यानी कोर्ट ने मियां की जूती, मियां के सिर पर ही दे मारी है.
4 राज्य, जिन्होंने बैन का ऐलान किया था
गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश की सरकारों ने ऐलान किया था कि वे अपने राज्यों में पद्मावत के प्रदर्शन की इजाजत नहीं देंगे.
वे राज्य, जिन्होंने अधिसूचना या आदेश जारी किया था
गुजरात, राजस्थान, हरियाणा राज्यों का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि अधिसूचना या आदेश केवल गुजरात और राजस्थान सरकार की ओर से ही जारी किए गए थे.
राज्यों के पक्ष में अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल का तर्क
- इन राज्यों में कानून-व्यवस्था की समस्या के बारे में खुफिया रिपोर्ट है. फिल्म को प्रमाणपत्र देते समय सीबीएफसी ने इन पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया.
- हमारे देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में कभी भी तथ्यों से छेड़छाड़ शामिल नहीं हो सकती.
- मामले की सुनवाई या तो अगले दिन की जाए या फिर 22 जनवरी को, ताकि राज्य दस्तावेजों की स्टडी करें और अदालत की मदद कर सकें.
फिल्म निर्माताओं के वकील का तर्क
फिल्म के अन्य निर्माताओं समेत वायकॉम18 की ओर से पेश सीनियर वकील हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया:
- राज्यों के पास फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने जैसी ऐसी अधिसूचना जारी करने की कोई शक्ति नहीं है, क्योंकि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) फिल्म की रिलीज के लिए प्रमाण पत्र जारी कर चुका है.
- जब सीबीएफसी ने फिल्म को प्रमाणपत्र दे दिया है, तब राज्य ‘सुपर सेंसर बोर्ड' की तरह काम नहीं कर सकते.
- कानून-व्यवस्था बनाए रखना राज्यों का दायित्व है.
MP में 'पद्मावती' बैन, 'पद्मावत' पर इशारेबाजी
मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने पद्मावती फिल्म दिखाए जाने पर प्रतिबंध का ऐलान किया था. हालांकि सरकार ने पद्मावत को लेकर बैन का ऐलान नहीं किया, लेकिन बैन के संकेत जरूर दिए थे.
जब मध्य प्रदेश के कुछ संगठनों ने इस फिल्म का विरोध किया था, तब शिवराज सिंह चौहान ने साफ कहा था कि राज्य में यह फिल्म नहीं दिखाई जाएगी.
सीएम चौहान से पिछले दिनों पत्रकारों ने फिल्म का नाम बदले जाने के बाद भी हो रहे विरोध प्रदर्शन को लेकर सवाल किया, तो उनका जवाब था, "जो पहले कहा गया है, वही लागू रहेगा."
इसके अलग-अलग मतलब निकाले जा रहे थे. मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव एसके मिश्रा ने साफ किया था कि 'पद्मावत' पर बैन के बारे में अभी आधिकारिक तौर पर फैसला नहीं हुआ है.
मतलब शिवराज ने एक सियासतदान वाला दांव खेलते हुए अपने दोनों विकल्प खुले रखे थे.
हरियाणा में खट्टर मंत्रिमंडल का बैन का फैसला
हरियाणा की मनोहरलाल खट्टर सरकार ने राज्य में संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत की रिलीज पर रोकने का फैसला 16 जनवरी को किया था.
यह निर्णय मंगलवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में हरियाणा मंत्रिमंडल की एक बैठक में लिया गया.
हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने मंगलवार को फिल्म पर प्रतिबंध लगाने के बारे में ट्वीट किया:
फिल्म पद्मावती/पद्मावत हरियाणा में प्रतिबंधित
विज का विजन:
अनिल विज ने फिल्म की रिलीज का मुद्दा उठाते हुए ये तर्क दिया:
- राज्य में राजपूत समुदाय फिल्म के खिलाफ है.
- पूरे मंत्रिमंडल ने हरियाणा में फिल्म की स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगाने के लिए उन्हें समर्थन दिया है.
गुजरात ने भी लगाया था बैन
पद्मावत पर बैन लगाने वाले राज्यों में गुजरात भी शामिल है. क्या ये महज संयोग है कि इस फिल्म में बैन लगाने या बैन का ऐलान करने वाले चारों ही राज्यों में बीजेपी की सरकार है?
राजस्थान ने कहा, कानूनी विशेषज्ञों की राय लेंगे
राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 15 जनवरी को कहा था कि पद्मावत उनके राज्य में प्रदर्शित नहीं होगी. पद्मावत पर रोक लगाने वाले राजस्थान सरकार का रुख भी बदला दिख रहा है.
वसुंधरा का बयान और 'जौहर' की धमकी
सीएम वसुंधरा राजे के रुख के बाद पद्मावत पर बैन की मांग करने वालों का हौसला और बढ़ा. इस बीच चित्तौड़गढ़ की महिलाओं ने फिल्म की रिलीज पर रोक नहीं लगाने पर जौहर (आग में कूदने) की धमकी दे डाली.
कांग्रेस को खिंचाई करने का मौका मिला
राजस्थान के रुख पर कांग्रेस को चुटकी लेने का मौका मिल गया. कांग्रेस नेता राज बब्बर ने तर्क दिया:
‘’फिल्म के रिलीज होने का मतलब यह है कि उसे सेंसर बोर्ड ने प्रमाणपत्र दे दिया है. केंद्र सरकार को वसुंधरा जी से पूछना चाहिए कि क्या वह केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्रालय का विरोध कर रही हैं? मंत्रालय के तहत आने वाले सेंसर बोर्ड ने फिल्म को रिलीज करने का सर्टिफिकेट दिया है.”
अब 'स्टडी' करेगी सरकार
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राजस्थान के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने कहा है कि पद्मावत पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की स्टडी की जाएगी. साथ ही सरकार कानूनी जानकारों की राय लेने के बाद कोई कदम उठाएगी.
कुल मिलाकर, सुप्रीम कोर्ट ने सेंसर बोर्ड से पास फिल्म पर बैन लगाने वाले राज्यों को करारा झटका दिया है. बहुत मुमकिन है कि अदालत का निर्देश आने वाले वक्त में भी ऐसे मामलों की दिशा तय करेगा.
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