पाकिस्तान ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत के उस बयान की निंदा की है, जिसमें उन्होंने कश्मीर घाटी में युवाओं को कट्टरपंथ से मुक्ति दिलाने के लिए शिविर चलाने का सुझाव दिया था. नई दिल्ली में आयोजित रायसीना डायलॉग 2020 को संबोधित करते हुए जनरल रावत ने पाकिस्तान का स्पष्ट संदर्भ देते हुए कहा था कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों को आतंक निरोधक संस्था एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में डालने और कूटनीतिक रूप से अलग थलग करने की जरूरत है.
जनरल रावत ने कश्मीर में हालात का जिक्र करते हुए कहा था कि घाटी में 10 और 12 साल के लड़के-लड़कियों को कट्टरपंथी बनाया जा रहा है, जो चिंता का विषय है. उन्होंने कहा,
‘‘इन लोगों को धीरे-धीरे कट्टरपंथ से अलग किया जा सकता है. हालांकि, ऐसे लोग भी हैं जो पूरी तरह कट्टरपंथी हो चुके हैं. इन लोगों को अलग से कट्टरपंथ से मुक्ति दिलाने वाले कैंप में ले जाने की जरूरत है.’’जनरल बिपिन रावत
जनरल रावत के बयान की निंदा करते हुए पाकिस्तान के विदेश विभाग ने कहा, ‘‘यह टिप्पणी चरमपंथी मानसिकता और दिवालिया सोच को दर्शाती है जो स्पष्ट रूप से भारत के राजकीय संस्थानों में फैल चुकी है.’’
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