ADVERTISEMENTREMOVE AD

टेरर फंडिंग रोकने में नाकाम पाक, FATF की ‘ग्रे लिस्ट’ में रहेगा

इस मामले में आखिरी फैसला 21 फरवरी को लिया जाएगा

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

ग्लोबल टेरर फाइनेंसिंग वॉचडॉग एजेंसी FATF ने पाकिस्तान को 'ग्रे लिस्ट' में ही रखने का सुझाव दिया है. फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के एक सब-ग्रुप ने कहा है कि पाकिस्तान टेरर फंडिंग रोकने में नाकाम रहा है और इसलिए उसे 'ग्रे लिस्ट' में ही रखना चाहिए. ये फैसला FATF इंटरनेशनल कोऑपरेशन रिव्यू ग्रुप की पेरिस में चल रही मीटिंग में लिया गया है. सूत्रों के मुताबिक, इस मामले में आखिरी फैसला 21 फरवरी को लिया जाएगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

FATF की ये बैठक आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के फाउंडर हाफिज सईद को 11 साल की सजा होने के कुछ वक्त बाद हो रही है. पाकिस्तान के एक कोर्ट ने दो टेरर फाइनेंसिंग मामलों में सईद को 11 साल जेल की सजा सुनाई है.

भारत हमेशा ये कहता आया है कि पाकिस्तान लगातार लश्कर, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों का समर्थन करता रहा है. इन सभी संगठनों के निशाने पर भारत रहता है. भारत ने FATF से इसे लेकर पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.  

पाकिस्तान 'ग्रे लिस्ट' से निकलना चाहता है

पाकिस्तान को 'ग्रे लिस्ट' से निकलकर 'व्हाइट लिस्ट' में जाने के लिए 39 में से 12 वोट चाहिए. 'ब्लैक लिस्ट' में जाने से बचने के लिए पाकिस्तान को तीन देशों का समर्थन चाहिए. पिछले महीने बीजिंग में FATF की बैठक में, पाकिस्तान को फोर्स के मौजूदा अध्यक्ष चीन के अलावा मलेशिया और टर्की का समर्थन मिल गया था.

अक्टूबर 2019 में हुई FATF बैठक में कहा गया था कि पाकिस्तान ने उसे बताए गए 27 में से सिर्फ 5 टास्क किए हैं. FATF ने ये टास्क टेरर फंडिंग पर लगाम लगाने के लिए बताए थे. तब पाकिस्तान को निर्देश दिए गए थे कि उसे एक्शन प्लान फरवरी 2020 तक पूरा करना है. पाकिस्तान को जून 2018 में 'ग्रे लिस्ट' में डाला गया था. अगर वो इसी लिस्ट में रहता है तो उसके लिए IMF, वर्ल्ड बैंक और यूरोपियन यूनियन से वित्तीय मदद लेना मुश्किल हो जाएगा.

FATF क्या है?

FATF एक इंटर-गवर्नमेंटल संगठन है, जिसे 1989 में मनी लॉन्डरिंग, टेरर फाइनेंसिंग और इंटरनेशनल फाइनेंशियल सिस्टम को खतरे से निपटने के लिए बनाया गया था. FATF में अभी 39 सदस्य हैं. भारत इसके एशिया-पैसिफिक ग्रुप का मेंबर है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×