मुस्लिम बहुल आबादी वाले देश पाकिस्तान के सिंध प्रांत में कृष्णा कुमारी कोल्ही नाम की सीनेटर ने इतिहास रचा है. वो पाकिस्तान की पहली हिंदू दलित महिला सीनेटर बन गई हैं. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने रविवार को ये जानकारी दी है.
पीपीपी की कार्यकर्ता हैं कृष्णा
बिलावल भुट्टो जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की कार्यकर्ता हैं कृष्णा कुमारी कोल्ही. वो सिंध से अल्पसंख्यक सीट पर बतौर सीनेटर चुनी गईं. पीपीपी ने उन्हें सीनेट का टिकट दिया था. कहा जा रहा है कि उनका निर्वाचन पाकिस्तान में महिला और अल्पसंख्यकों के लिए मील का पत्थर साबित होगा. इससे पहले पीपीपी ने रत्ना भगवानदास चावला को सीनेटर के तौर पर चुना था.
कृष्णा कोल्ही के बारे में जानिए
कृष्णा सिंध प्रांत के थार के नगरपारकर जिले की रहने वाली हैं. कृष्णा का जन्म साल 1979 में एक बेहद गरीब किसान जुगनू कोल्ही के घर में हुआ था. कृष्णा और उनके परिवार के सदस्य तकरीबन तीन साल तक उमरकोट जिले के कुनरी में अपने जमींदार के स्वामित्व वाली निजी जेल में रहे. जब वे कैद में थे उस वक्त कृष्णा तीसरी कक्षा में पढ़ती थीं. महज 16 साल की उम्र में कृष्णा का विवाह लालचंद से हो गया, उस वक्त वो नौवीं कक्षा में पढ़ती थीं. उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और साल 2013 में उन्होंने सिंध यूनिवर्सिटी से समाजशास्त्र में मास्टर्स की डिग्री ली. एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर अपने भाई के साथ वो पीपीपी में शामिल हुईं और बाद में यूनियन काउंसिल बेरानो की अध्यक्ष चुनी गईं.
वंचितों और हाशिये पर मौजूद लोगों की आवाज
कृष्णा काफी सक्रिय थीं और उन्होंने थार और दूसरे इलाकों में रह रहे वंचितों और समाज में हाशिये पर मौजूद समुदाय के लोगों के अधिकारों के लिये काम किया. उनका ताल्लुक बहादुर स्वतंत्रता सेनानी रूपलो कोल्ही के परिवार से है. साल 1857 में जब अंग्रेजों ने सिंध पर आक्रमण किया तो कोल्ही ने नगरपारकर की ओर से उनके खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 22 अगस्त, 1858 को अंग्रेजों ने उन्हें फांसी दे दी.
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