मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने गृह मंत्री अनिल देशमुख पर आरोप लगाने वाला लेटर लिखने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में रिट पिटीशन दायर करके मांग की है कि उन्होंने सीएम को जो लेटर लिखा है और जो आरोप लगाए हैं, उस पूरे मामले में स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कराई जानी चाहिए. साथ ही परमबीर सिंह ने उनका ट्रांसफर होमगार्ड विभाग में किए जाने का भी मुद्दा उठाया है.
याचिका में परमबीर सिंह ने गृह मंत्री अनिल देशमुख के कथित भ्रष्टाचार की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) से कराने की मांग की है. इसके अलावा उन्होंने सर्वोच्च अदालत से भी गुजारिश की है कि उनको पद से हटाए जाने का आदेश भी रद्द किया जाए.
परमबीर सिंह करीबी सूत्रों ने क्विंट को बताया था कि 'सचिन वझे और एसीपी पाटिल को कई बार गृहमंत्री अनिल देशमुख ने अपने बंगले पर बुलाया था. सचिन वझे ने इस बारे में सिंह को कोई जानकरी नहीं दी और छुपाते रहा.'
सूत्रों ने बताया कि- 'अभी तक NIA की तरफ से परमबीर को कोई समन नहीं मिला है और ना ही कोई कॉल आया. परमबीर से जब इस बारे में पूछा जाएगा तब वो बताऊंगा.
पूर्व कमिश्नर ने लेटर क्यों लिखा इस जवाब पर परमबीर के करीबी सूत्रों ने बताया कि 'अगर सिंह खुद सीएम से मिलकर ये बताते तो इस बात का रिकॉर्ड क्या रहता, इसलिए उन्होंने लेटर लिखा ताकि सारी बातें रिकॉर्ड पर रहें. वझे, एसीपी पाटील को बंगले पर बुलाया जाता था, इन्हें कब बुलाया गया ये तीनों से पूछा जाए.'
बता दें कि 20 मार्च को मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने सीएम उद्धव को लेटर लिखकर आरोप लगाया है कि गृहमंत्री अनिल देशमुख मुंबई पुलिस के अफसरों से उगाही कराते थे. लेटर में बताया गया कि अंबानी धमकी केस में गिरफ्तार इंस्पेक्टर सचिन वझे को गृह मंत्री ने 100 करोड़ हर महीने उगाही करने का टारगेट दिया था. चिट्ठी के सामने आते ही देशमुख ने इन आरोपों को झूठा करार दिया है.
इसके बाद बीजेपी ने ठाकरे सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. पूर्व सीएम और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने गृहमंत्री अनिल देशमुख को हटाने की मांग की. उन्होंने कहा है कि जब तक देशमुख अपनी कुर्सी पर बने रहेंगे, तब तक इस मामले की जांच नहीं हो सकती है. इसीलिए बीजेपी तब तक आंदोलन करती रहेगी.
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