ADVERTISEMENTREMOVE AD

"इंडिया की उपलब्धियां सुनना नहीं चाहते"-विपक्ष के 'INDIA-INDIA' नारे पर जयशंकर

सदन में सत्ता पक्ष के सांसदों को मोदी-मोदी के नारे लगाते हुए सुना गया. वहीं विपक्ष ने इंडिया-इंडिया के नारे लगाए.

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

मणिपुर हिंसा (Manipur Violence) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के संसद में बयान देने की मांग को लेकर मॉनसून सत्र के छठे दिन भी हंगामा हुआ. विपक्षी दल के सांसद गुरुवार को संसद में काले कपड़े पहनकर पहुंचे और विरोध जताया. विपक्ष के हंगामे के बीच लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही कई बार बाधित हुई. सदन में सत्ता पक्ष के सांसदों को मोदी-मोदी के नारे लगाते हुए सुना गया. वहीं विपक्ष के सांसद इंडिया-इंडिया के नारे लगाते दिखे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

संसद में काले कपड़े पहनकर पहुंचे विपक्षी सांसद

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि ये इस बात का प्रतीक है कि हम मणिपुर के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं. उन्होंने कहा, “हम प्रयास करेंगे कि सरकार को इस बात का अहसास कराया जाए कि हमारे देश का एक महत्वपूर्ण सूबा मणिपुर पिछले 80-85 दिनों से जल रहा है. सरकार से विनती है कि बचा लो मणिपुर को. अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियां निभाए. मणिपुर की मौजूदा सरकार को बर्खास्त करे, मुख्यमंत्री को हटाए.”

“हमारी मांग थी कि प्रधानमंत्री आकर बयान दें (मणिपुर पर) और उसके बाद विस्तृत चर्चा करें. लेकिन पीएम मोदी पता नहीं क्यों अड़े हुए हैं. इसलिए हम अविश्वास प्रस्ताव लाने को मजबूर हैं. हम जानते हैं कि इससे उनकी सरकार गिरेगी नहीं लेकिन हमारे पास और चारा ही क्या है?”
अधीर रंजन चौधरी, कांग्रेस सांसद

पीएम के पास देश भर में भाषण देने का समय है लेकिन संसद में नहीं- खड़गे

कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि वह मणिपुर हिंसा पर संसद में बोलना नहीं चाहते, जो लोकतंत्र का मंदिर है, लेकिन उनके पास देश भर में राजनीतिक भाषण देने के लिए पर्याप्त समय है जो "लोकतंत्र को खराब" कर रहा है.

"जो सरकार मणिपुर के लोगों की पुकार नहीं सुनती, वह मानवता पर कलंक है. खड़गे ने एक ट्वीट में कहा, "मणिपुर का जलना देश के लिए एक काला अध्याय है. जिस सरकार ने पिछले 85 दिनों से मणिपुर के लोगों की चीख-पुकार पर ध्यान नहीं दिया, वह मानवता पर कलंक है. संसद सत्र चल रहा है और प्रधानमंत्री सदन में बोलने के बजाय जगह-जगह जाकर भाषण दे रहे हैं, यह लोकतंत्र को कलंकित कर रहा है."
मल्लिकार्जुन खड़गे

विपक्ष के काले कपड़े पर मेघवाल का तंज

कांग्रेस, डीएमके, एनसीपी और टीएमसी सहित अन्य विरोधी दलों के सांसदों द्वारा काले कपड़े पहनकर सदन की कार्यवाही में शामिल होने पर तंज कसते हुए केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि क्या काले कपड़े पहनकर विपक्ष विकसित भारत के दृश्य को रोकना चाहते हैं.

"विरोध करना विपक्ष का काम है, वे करें. लेकिन देश बहुत तेजी से तरक्की कर रहा है फिर भी उन्हें यह पसंद नहीं आ रहा."

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता जिस तरह से बढ़ रही है उसे देखते हुए वे कुछ भी करें लेकिन उससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. मेघवाल ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की सोच बहुत आगे की है. प्रधानमंत्री ने 2047 तक विकसित भारत बनाने का सपना देखा है। क्या काले कपड़े पहनकर विपक्ष विकसित भारत के दृश्य को रोकना चाहता है?

यह कैसा 'इंडिया' है जो इंडिया की उपलब्धियों को सुनना ही नहीं चाहता- जयशंकर

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राज्य सभा में विपक्षी दलों के व्यवहार को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि यह कैसा 'इंडिया' है जो 'इंडिया की उपलब्धियों को सुनना ही नहीं चाहता. विदेश मंत्री "ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि वे राज्य सभा में भारतीय विदेश नीति की सफलता को लेकर स्वतः ही बयान दे रहे थे, लेकिन विपक्ष भारत की उपलब्धियों को सुनने को तैयार ही नहीं है.

"विदेश नीति के मोर्चे पर आमतौर पर देश में राजनीतिक एकता रही है. प्रधानमंत्री के हाल के अमेरिका सहित कई अन्य देशों के दौरे के दौरान भारत ने कई बड़ी सफलताएं और उपलब्धियां हासिल की है. यह उपलब्धियां भारत की उपलब्धियां हैं, देश की उपलब्धियां हैं, जिसके बारे में वह सदन को जानकारी दे रहे थे. लेकिन विपक्ष यह तय कर चुका है कि कुछ भी हो जाये, लेकिन वो भारत की उपलब्धियों को सुनना नहीं चाहते."

विदेश मंत्री ने विपक्षी दलों के गठबंधन 'इंडिया' पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ये इंडिया इंडिया की बात करते हैं लेकिन इंडिया के हितों की बात ही नहीं सुनना चाहते. उन्होंने कहा कि यह कैसा 'इंडिया' है जो 'इंडिया की उपलब्धियों को सुनना ही नहीं चाहता.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×