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मनमोहन सरकार में GDP दोगुनी हुई, तो मोदी सरकार के 10 साल में क्यों नहीं?-चिदंबरम

P Chidambaram ने कहा कि ग्रोथ की चार में तीन इंजन धीमी चल रही है-निजी खतत, निजी निवेश और निर्यात

Published
भारत
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संसद के शीतकालीन सत्र में सोमवार को सरकार के अतिरिक्त बजट की मांग की चर्चा पर राज्यसभा में कांग्रेस नेता और पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने भारत की अर्थव्यवस्था पर केंद्र की मोदी सरकार को जमकर घेरा. उन्होंने सवाल किया कि भारत की अर्थव्यवस्था की स्थिति डंवाडोल है. उन्होंने आंकड़ों के साथ सरकार से सवाल किया भारत की GDP साल 1991 में 25 लाख करोड़ थी. इसके बाद देश में उदारीकरण आया. नरसिम्हाराव के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी. भारत की GDP करीब 12-13 सालों में 50 लाख करोड़ हो गई. यानी दोगुनी हो गई. फिर अगले 10 सालों में भारत की जीडीपी दोगुनी हो गई. लेकिन, क्या अगले 10 साल यानी 2024 तक भारत की जीडीपी दोगुनी होगी?

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"ग्रोथ के चार इंजन में तीन खराब"

इस दौरान चिदंबरम ने कहा कि ग्रोथ के चार इंजन हैं. पहला- सरकारी खर्च, दूसरा- निजी खपत, तीसरा- निजी निवेश और चौथा- निर्यात. लेकिन, जब हम देखते हैं सरकारी खर्च बढ़ा है, लेकिन जो ग्रोथ के तीन इंजन हैं, उनका प्रदर्शन खराब है.

"गरीब और मध्यम वर्ग की खपत में गिरावट"

निजी खपत नीचे जा रहा है. खासकर गरीब और मध्यम वर्ग का. महंगी कारें, महंगे समान की खपत तो है लेकिन, गरीब और मध्यम वर्ग का खपत क्यों गिर रहा है. इसके अलावा देश में निजी निवेश की स्थिति भी डंवाडोल है.

चितंबरम ने कहा कि निर्यात की भी स्थिति वही है. निर्यात कम हो रहा है, जिसकी वजह से व्यापार घाटे में बेतहाशा वृद्धि हो रही है. ऐसे में सवाल ये है कि ग्रोथ के चार इंजन में से तीन की स्थिति क्यों डंवाडोल है. इस पर सरकार और वित्तमंत्री को जवाब देना चाहिए.

इसके अलावा चिंदबरम ने कहा कि ये साफ देखा जा रहा है कि दुनिया मंदी की तरफ बढ़ रही है. इसके लिए भारत की क्या तैयारी है?

AAP सांसद राघव चड्ढा ने भी सरकार के अतिरिक्त बजट की मांग पर कई सवाल उठाए. चड्ढा ने कहा कि सरकार ने 40 लाख करोड़ रुपये का बजट इस साल पेश किया, लेकिन भारत के सभी मौजूदा आर्थिक सूचकांक खतरे की घंटी बजा रहे हैं. चड्ढा ने सदन को अहम सुझाव देते हुए कहा कि बजट पर दो बार चर्चा होनी चाहिए. एक जब बजट पेश किया जाता है और दूसरा शीतकालीन सत्र के दौरान बजट पेश होने के 7-8 महीने बाद ताकि सदन और देश की जनता जान सके कि प्रस्तुत बजट को खर्च कर देश ने क्या हासिल किया है? कितनी नौकरियां पैदा हुई? बेरोजगारी और महंगाई दर क्या है?

AAP सांसद ने भारत की अर्थव्यवस्था पर आठ बीमारियां लगी हैं. बेरोजगारी, महंगाई, वित्तीय घाटा, किसानों की समस्या, स्टार्टअप्स, रुपए में गिरावट, कर्ज और निर्यात.

बेरोजगारी:

राघव चड्ढा ने कहा कि जब साल 2014 में बीजेपी की सरकार बनी थी तो बेरोजगारी दर 4.9 फीसदी थी, अब 8 साल बाद बीजेपी की सरकार में 8 फीसदी पर आ गया है. ये पिछले 45 साल में सबसे ज्यादा है. ये तो आंकड़े संगठित क्षेत्रों को हैं. असंगठित क्षेत्रों का डाटा तो सरकार के पास है ही नहीं. चड्ढा ने एक आंकड़ा दिया कि वित्तमंत्री ने इसी सदन में बताया था कि सरकार के पास नौकरियों के लिए 22 करोड़ आवेदन आए थे, लेकिन सरकार ने सिर्फ 7 लाख लोगों को नौकरी दी.

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महंगाईः

AAP सांसद ने कहा कि बीजेपी सरकार में पिछले 30 साल में सबसे ज्यादा महंगाई बढ़ गई है. उन्होंने बताया कि जहां भारत में थोक महंगाई 12-15 फीसदी पर है, वहीं खुदरा महंगाई 6-8 फीसदी पर घूम रही है.

चड्ढा ने कहा कि जब 2014 में बीजेपी सरकार बनी थी उस समय पेट्रोल की कीमत 55 रुपए थी, अब 100 रुपए पर है. डीजल की कीमत 45 रुपए थी अब 90 रुपए है. गैस सिलेंडर 400 रुपए का था, अब 1100 रुपए का हो गया है. दूध एक लीटर 36 रुपए का था, अब 60 रुपए हो गया है. CNG की कीमत 40 प्रति किलो थी वो अब 80 रुपए प्रति किलो हो गई है.

प्रति व्यक्ति आय में कमीः

चड्ढा ने बताया कि किसी भी देश की वृद्धि उसके प्रति व्यक्ति आय पर निर्भर करती है. लेकिन, भारत की प्रति व्यक्ति आय बढ़ने की बजाय 9160 रुपए गिर गई है.

भारत सरकार पर कर्जः

चड्ढा ने कहा कि साल 1947 से 2014 तक कई पार्टियों की सरकारें रहीं. इन सभी सरकारों ने मिलाकर 55 लाख करोड़ का कर्ज लिया. लेकिन, पिछले 8 साल में बीजेपी की सरकार 85 लाख करोड़ का कर्ज ले लिया. उन्होंने कहा कि जब 2014 में बीजेपी की सरकार बनी तो कर्ज और जीडीपी का अनुपात 40 फीसदी था, जो अब बढ़कर 90 फीसदी को छू रहा है. ऐसे में देश पर कुल 155 लाख करोड़ का कर्ज हो गया है.

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