संसद का शीतकालीन सत्र (Winter Session of Parliament) 22 दिसंबर को ही स्थगित हो गया, जो 23 दिसंबर तक चलने वाला था. यानी तय समय से पहले ही संसद के सत्र को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया. ये सत्र 29 नवंबर को शुरू हुआ और 23 दिसंबर तक चलना था. लेकिन सरकार और विपक्ष के बीच चल रही तनातनी के चलते इसे एक दिन पहले ही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया.
संसद सत्र में लगातार बढ़ रहा बवाल
संसद जहां देश को दिशा देने के लिए कानून बनाए जाते हैं उसके शीतकलानी सत्र में ही नहीं बल्कि इससे पहले हुए मॉनसून सत्र में भी सरकार और विपक्ष के बीच तनातनी चलती रही जिसमें 12 सांसदों को निलंबित किया गया, बिन चर्चा और वाद विवाद के बिल पारित किए गए.
यही नहीं शीतकालीन सत्र के दौरान भी विपक्ष का सरकार पर जमकर गुस्सा फूटा. टीएमसी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन को इतना गुस्सा आया कि उन्होंने अपने हाथ में पकड़ी रूलबुक को स्पीकर की ओर फेंका. वहीं समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन ने गुस्से में आकर सरकार को श्राप दे दिया.
तय समय से पहले सदन के स्थगित होने पर कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि, "ये जो शीत सत्र शुरू हुआ वो निलंबन के साथ शुरू हुआ. जिस दिन सदन शुरू हुआ उसी दिन हमारे 12 सदस्यों को निलंबित किया गया. ये ऐसे 12 सदस्य हैं जो हमेशा राज्यसभा में सक्रिय रहते हैं. घटना मानसून सत्र में हुई थी और कार्रवाई शीत सत्र में की गई."
वहीं कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि "सदन चलाने का हमारा इरादा था लेकिन सरकार ने सदन में बहुमत के बुलडोज के सहारे विपक्ष को दबाया और सदन को ठप करने का तनाव पैदा किया."
उधर केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि, "हम लोग सदन चलाना चाहते थे. विपक्ष चर्चा ही नहीं करना चाहता है बाद में दिन गिनाते हैं."
शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा और राज्यसभा में कितना काम हुआ?
गैर-सरकारी रिसर्च संस्था पीआरएस के आंकड़ों के अनुसार शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा ने 77% तो वहीं राज्यसभा में 43% ही काम हुआ.
दोनों सदनों के अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित होने के बाद लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा, "सत्र के दौरान अनेक विषयों पर सार्थक-सकारात्मक चर्चा हुई, सत्र की 82% कामकाज हुआ. इस दौरान माननीय प्रधानमंत्री जी, मैं सदन में सभी दलों के नेताओं और सदस्यों के सहयोग के लिए आभार व्यक्त करता हूं.
वहीं राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने कहा, "मुझे ये बताते हुए खुशी नहीं हो रही है कि सदन ने अपनी क्षमता से बहुत कम काम किया. मैं इस सत्र के को लेकर विस्तार से बात नहीं करना चाहता क्योंकि ये मुझे बहुत आलोचनात्मक दृष्टिकोण के लिए प्रेरित करेगा."
राज्यसभा जहां पर 95 घंटे और 6 मिनट काम-काज होना था वहां केवल 18 बैठकों में 45 घंटे और 34 मिनट ही काम हो पाया. यानी 49 घंटे और 32 मिनट का समय बर्बाद हुआ सदन के बार बार स्थगित होने से और व्यवधान पैदा होना से. यानी तय समय का 52% समय व्यर्थ हुआ.
कुल 21 घंटे और 7 मिनट का समय लगा बिल पर हुई चर्चा में खर्च किया गया जिनमें से कुछ बिल का पारित होना बाकी है. इन बहसों के दौरान सदस्यों द्वारा कुल 127 बार हस्तक्षेप किया गया.
वहीं बात लोकसभा की करें तो अध्यक्ष ओम बिरला के अनुसार, सत्र के दौरान लोकसभा की 18 बैठकें हुईं, जो लगभग 83 घंटे तक चलीं. हंगामे के कारण सदन को 18 घंटे 48 मिनट का नुकसान हुआ.
लोकसभा में कुल 12 बिल पेश किए गए और उनमें से नौ पास हो गए. अध्यक्ष के अनुसार, सदन में दस विधेयक पारित किए गए. संसद द्वारा शीतकालीन सत्र के दौरान पारित किए गए विधेयकों की सूची इस प्रकार है:
कृषि कानून निरसन विधेयक
चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक
जैव विविधता (संशोधन) विधेयक, 2021
द नार्कोटिक ड्रग्ज एंड साइकोट्रोपिक स्बस्टेंसेस (संशोधन) विधेयक, 2021
ज सेंट्रल विजिलेंस कमिशन (संशोधन) विधेयक, 2021
द दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टेब्लिशमेंट (संशोधन) विधेयक, 2021
द हाईकोर्ट एंड सुप्रीम कोर्ट जजेज (सैलेरी एंड कंडिशन ऑफ सर्विस) संशोधन विधेयक, 2021
द एसिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (रेग्युलेशन) विधेयक, 2020
द सरोगेसी (रेग्युलेशन) विधेयक, 2019
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मा एजुकेशन एंड रिसर्च (संशोधन) विधेयक,2021
द डैम सेफ्टी विधेयक, 2019
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