देश कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है. अस्पताल बेडों और मेडिकल ऑक्सीजन की कमी से बेहाल हैं. कई अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की मौत की खबरें सामने आ रही हैं. क्या देश इस सबके लिए तैयार नहीं था? क्या सरकार को दूसरी वेव का अनुमान नहीं था? एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक पार्लियामेंट्री पैनल ने पिछले साल नवंबर में केंद्र को अस्पताल बेड और ऑक्सीजन उत्पादन बढ़ाने की सलाह दी थी.
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, हेल्थ पर पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी ने सलाह दी थी कि नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी ऑक्सीजन सिलिंडर का दाम तय करे, जिससे कि उनकी उपलब्धता और खरीदा जाना सुनिश्चित हो सके.
इस कमेटी की अध्यक्षता समाजवादी पार्टी नेता राम गोपाल यादव ने की थी. पिछले साल नवंबर में संसद में दाखिल की गई रिपोर्ट में कहा गया,
“कमेटी सरकार को ऑक्सीजन उत्पादन बढ़ाने का भी सुझाव देती है, जिससे कि अस्पतालों में मांग के मुताबिक सप्लाई हो सके.”
'अस्पताल बेड बहुत कम हैं'
रिपोर्ट में कहा गया कि कोविड संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकारी अस्पताल बेडों की संख्या 'बहुत कम' है.
पार्लियामेंट्री पैनल ने कहा कि अस्पताल बेडों और वेंटीलेटर की कमी से महामारी के खिलाफ कंटेनमेंट प्लान कम प्रभावकारी हो जाता है.
“संक्रमण के मामले बढ़ने के बीच अस्पताल बेड की खोज भयानक हो गई थी. पहले से भरे अस्पतालों से मरीजों को वापस भेजे जाने लो घटनाएं सामान्य हो चुकी थीं. AIIMS पटना में ऑक्सीजन सिलिंडर पकड़े मरीजों का बेड के लिए इधर-उधर भागना मानवता को हुई पीड़ा का गवाह बना.”पार्लियामेंट्री पैनल
हेल्थकेयर सिस्टम की खराब हालत पर परेशान पैनल ने सरकार से पब्लिक हेल्थ में निवेश बढ़ाने और देश में हेल्थकेयर सेवाओं के विकेंद्रीकरण का सुझाव दिया था.
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