Patanjali Misleading Ads: भ्रामक विज्ञापन मामले में पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ अवमानना केस की सुप्रीम कोर्ट में बुधवार (10 अप्रैल) को सुनवाई हुई. कोर्ट ने पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव को अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया था. सुनवाई से पहले, दोनों ने कोर्ट के समक्ष अपना दूसरा माफीनामा दायर किया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. शीर्ष अदालत ने कहा ‘’हम माफीनामे से संतुष्ट नहीं हैं.’’ अब इस मामले में अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होगी.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान क्या हुआ?
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्लाह की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की.
रामदेव और बालकृष्ण आचार्य की ओर से पेश हुए वकील ने कोर्ट में दलील दी कि माफी "बिना शर्त और अयोग्य" थी, तो न्यायमूर्ति कोहली ने कहा, "अदालत में गलत पकड़े जाने के बाद उन्होंने केवल कागज पर माफी मांगी है. हम इसे अस्वीकार करते हैं. कोर्ट ने कहा कि हम इसे जानबूझकर की गई अवज्ञा मानते हैं.
कोर्ट ने पतंजलि की ओर से पेश वकील विपिन सांघी और मुकुल रोहतगी को कहा कि आपने कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है, इसलिए कार्रवाई के लिए तैयार रहें.
कोर्ट की बड़ी बातें
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पतंजलि का कहना है कि उनके विज्ञापन लोगों को आयुर्वेदिक दवाओं से जोड़े रखने के लिए थे, जैसे कि वे दुनिया में आयुर्वेदिक दवाएं लाने वाले पहले व्यक्ति हों.
कोर्ट ने कहा कि हमारा सरोकार केवल कथित अवमाननाकर्ताओं से नहीं है. बल्कि उन सभी कंपनियों से हैं, जो उपभोक्ताओं को बड़े-बड़े सपने दिखाते हैं.
कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से पूछा "उन अनगिनत मासूम लोगों का क्या, जिन्होंने यह विश्वास करके दवाएं लीं कि इससे बीमारियां ठीक हो जाएंगी?"
कोर्ट ने पतंजलि को कार्रवाई को तैयार रहने को कहा. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि अब समाज में एक संदेश जाना चाहिए.
एक आदमी दया चाहता है, उन अनगिनत निर्दोष लोगों का क्या जिन्होंने दवाएं लीं? अब वे फंस गए हैं, तो वे कहते हैं कि हम चेतावनी जारी कर रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि 2018 से अब तक जिला आयुर्वेदिक और यूनानी अधिकारी के पदों पर रहने वाले सभी अधिकारी अपने द्वारा उठाए गए कार्यों पर जवाब दाखिल करें.
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को फटकारा
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पतंजलि के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने को लेकर उतराखंड सरकार को भी फटकार लगाई है. शीर्ष अदालत ने कहा कि सभी शिकायतें शासन को भेज दी गईं. लाइसेंसिंग इंस्पेक्टर चुप रहे, अधिकारी की ओर से कोई रिपोर्ट नहीं है. संबंधित अधिकारियों को अभी निलंबित किया जाना चाहिए.'
कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से पूछा "उन अनगिनत मासूम लोगों का क्या, जिन्होंने यह विश्वास करके दवाएं लीं कि इससे बीमारियां ठीक हो जाएंगी?"
पंतजलि के खिलाफ क्या है मामला?
सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की ओर से 17 अगस्त 2022 को पतंजलि के खिलाफ याचिका दायर की गई थी, जिसमें कहा गया कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ भ्रामक प्रचार किया. इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा भी किया गया.
21 नवंबर 2023 को याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को आदेश दिया कि वह तुरंत सभी गलत और भ्रामक दावे बंद करे.
ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट, 1954 के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने वाले भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करना जारी रखने के लिए कंपनी के खिलाफ 19 मार्च को 'कारण बताओ' नोटिस जारी किया गया था.
इस मामले में 2 अप्रैल को फिर सुनवाई हुई. जिसमें कोर्ट ने पतंजलि की ओर से दायर माफीनामा को स्वीकार नहीं किया और कहा कि ये सिर्फ खानापूर्ति के लिए है.
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